पुणे : वैज्ञानिकों ने सूर्य की सर्वाधिक सूक्ष्मता के साथ रेडियो छवियां ली हैं जिनसे अंतरिक्ष में मौसम और पृथ्वी पर इसके संभावित असर का विश्वसनीय पूर्वानुमान व्यक्त करने में मदद मिल सकती है.
सूर्य ऐसी खगोलीय वस्तु है, जिस पर संभवत: सर्वाधिक अध्ययन किया गया है लेकिन अभी इससे जुड़े कई रहस्यों से पर्दा नहीं उठ पाया है और वैज्ञानिक दशकों से इनका खुलासा करने की कोशिशों में जुटे है.
इनमें पृथ्वी को संभावित रूप से प्रभावित कर सकने वाले कोरोना द्रव्यमान उत्क्षेपण के मूल संबंधी रहस्य भी शामिल है. महाराष्ट्र के पुणे में राष्ट्रीय रेडियो खगोल भौतिकी केन्द्र (NCRA) में वैज्ञानिकों का एक दल इनमें से कुछ रहस्यों को समझने के लिए अनुसंधानकर्ताओं के एक अंतरराष्ट्रीय समूह का नेतृत्व कर रहा है.
‘एस्ट्रोफिजिकल जर्नल’ में प्रकाशित अध्ययन का नेतृत्व करने वाली एनसीआरए की वैज्ञानिक दिव्या ओबरॉय ने कहा, सूर्य अध्ययन करने के लिए आश्चर्यजनक रूप से एक चुनौतीपूर्ण रेडियो स्रोत है.
इसका उत्सर्जन एक सेकेंड में बदल सकता है और निकटवर्ती आवृत्तियों में भी बहुत अलग हो सकता है. उन्होंने कहा कि इसके अलावा चुंबकीय क्षेत्रों के कारण विकिरण बहुत कमजोर हो जाता है.
रेडियो आवृत्ति में कोरोनल उत्सर्जन देखना एक ऐसे शीशे से देखने की तरह है, जिस पर कोहरा छाया होता है और मूल छवि धुंधली हो जाती है. सौर उत्सर्जन में तेजी से होने वाले बदलावों के मद्देनजर हर आधे सेकंड में सूर्य की सैकड़ों निकट आवृत्तियों में तस्वीरें लेना आवश्यक है.
अनुसंधानकर्ताओं ने इन छवियों के लिए एक स्वचालित सॉफ्टवेयर पाइपलाइन हाल में विकसित की है जिसका नाम ‘ऑटोमैटेड इमेजिंग रूटीन फॉर कॉम्पैक्ट एरेज फॉर द रेडियो सन’ (Automated Imaging Routine for Compact Arrays for the Radio Sun, AIRCARS) है.
अध्ययन के मुख्य लेखक सुरजीत मंडल ने कहा, इस पाइपलाइन से ली गई सूर्य की तस्वीरें अत्यधिक ‘कन्ट्रास्ट’ की हैं. पहले कभी ऐसा नहीं हो पाया था. यह अंतरिक्ष में मौसम को समझने की दिशा में एक बड़ा कदम है.