दुनिया के सबसे अमीर शख्सीयतों में शुमार बिल गेट्स ने अपनी एक बड़ी गलती काखुलासा किया है. माइक्रोसॉफ्ट के को-फाउंडर गेट्स ने कहा है कि नॉन एेपल फोन प्लेटफॉर्म लॉन्च न करना और एंड्रॉयड के लिए गूगल को मौका देना उनकी सबसे बड़ी गलती थी.
ऐसा इसलिए क्योंकि एंड्रॉयड OS लॉन्च कर कंपनी दूसरी कंपनियों को पीछे छोड़ आगे निकल गयी है. बिल गेट्स के मुताबिक, अगर उन्होंने इस OS को बनाने की पहल की होती या पूंजी लगायी होती तो इस समय माइक्रोसॉफ्ट दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी होती.
गौरतलब है कि एंड्रॉयड के गूगल को बेचे जाने से पहले यह इंडीपेंडेंट प्लेटफॉर्म था. गूगल नेसाल 2005 में एंड्रॉयड को 5 करोड़ डॉलर में खरीदा था. इस समय यह सबसे लोकप्रिय ऑपरेटिंग सिस्टम है. अभी हाल ही में एंड्रॉयड का 10वां वर्जन एंड्रॉयड क्यू जारी हुआ है, जो इस साल के अंत तक कई फ्लैगशिप फोन में देखने को मिल सकता है.
वहीं, माइक्रोसॉफ्ट का अपना मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम Windows Phone में दिया गया. लेकिन माइक्रोसॉफ्ट का ये मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम गूगल के Android और एेपल के iOS को टक्कर नहीं दे पाया और आखिरकार 2017 में इसे कंपनी ने बंद कर दिया गया.
एंड्रॉयड और iOS के मुकाबले माइक्रोसॉफ्ट का अपना सॉफ्टवेयर दमदार नहीं था. आपको बता दें कि एंड्रॉयड और iOS पर काम करने वाले ऐप्स की संख्या काफी ज्यादा है.
बिल गेट्स ने अपने एक बयान में कहा, मेरी सबसे बड़ी गलती थी मेरा वह कुप्रबंधन जिस वजह से माइक्रोसॉफ्ट वह नहीं बन पाया जो आज एंड्रॉयड है.
उन्होंने आगे कहा कि एंड्रॉयड एक ऐसी चीज थी जिसे बनाना माइक्रोसॉफ्ट के लिए आसान था. बिल गेट्स को इस बात को मलाल है कि उन्होंने एंड्रॉयड बनाने के लिए गूगल को मौका दिया. बिल गेट्स ने ये बातें एक वेंचर कैपिटल फर्म विलेज ग्लोबल को हाल ही में दिए इंटरव्यू ये बातें कही हैं.
दरअसल, मोबाइल के लिए फिलहाल दो ही ऑपरेटिंग सिस्टम हैं जिनमें एंड्रॉयड और आईओएस शामिल हैं. पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलने वाले ही हैं.