क्या गिरगिट की तरह इंसानों की भी त्वचा का रंग बदल सकता है… क्या हमारी भी त्वचा का रंग लाल या नीला हो सकता है… क्या रंग बदल कर इंसान भी आसपास के परिवेश की तरह खुद को ढाल सकता है… सुनने में यह सवाल जितना भी अटपटा लगे, लेकिन यह सोलह आने सच है कि ऐसा हो सकता है. वैज्ञानिकों ने एक ऐसे चमड़े का आविष्कार किया है जो रंग बदलेगा. कैम्ब्रिज के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने ऐसे चमड़े का निर्माण किया जो गिरगिट की तरह रंग बदल सकता है. यह कृत्रिम चमड़ा रोशनी में गिरगिट की तरह रंग बदल सकता है.
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इंसानों के चमडे़ का भी बदलेगा रंग, कई रंगों में नजर आएंगे इंसान !
क्या गिरगिट की तरह इंसानों की भी त्वचा का रंग बदल सकता है… क्या हमारी भी त्वचा का रंग लाल या नीला हो सकता है… क्या रंग बदल कर इंसान भी आसपास के परिवेश की तरह खुद को ढाल सकता है… सुनने में यह सवाल जितना भी अटपटा लगे, लेकिन यह सोलह आने सच है […]
चमड़ा कैसे बदलेगा रंग
वैज्ञानिकों ने बताया कि इस कृत्रिम चमड़े में सोना के अत्यंत सुक्ष्म कणों को पॉलिमर की खोल के अंदर भरा गया है. सूक्ष्म कणों को दबाव की स्थिति में पानी के छोटे बुलबुलों के बीच रखा गया है. और यह ढांचा किसी रोशनी अथवा गरमी के संपर्क में आता है तो सारा कण आपस में चिपक जाते हैं. और ढांचे का रंग बदलने लगता है.
कई अन्य प्राणी भी बदलते हैं रंग
गिरगिट के साथ साथ कुछ खास प्रजाति की मछलियों में रंग बदलने का यह गुण जन्म से ही विद्यमान होता है. यहां तक कि समुद्री प्राणी ऑक्टोपस भी रंग बदल लेता है. इन्ही सब प्राणियों का अनुसरण करते हुए वैज्ञानिकों ने यह नकली चमड़ी तैयार की है.
इसके काम करने के बारे में वैज्ञानिकों का कहना है कि जिन सुक्ष्म जल कणों के भीतर सारा कुछ समाया होता है, उन्हीं जल कणों की रोशनी अथवा गर्मी के प्रभाव की वजह से यह रंग बदलता रहता है. प्रयोग में यह पाया गया है कि 32 डिग्री सेल्सियस के ऊपर जाते ही इसके अंदर प्रतिक्रिया होने लगती है.
दूसरी तरफ जब यह फिर से ठंडा होने लगता है तो आपस में चिपके हुए नैनो पार्टिकल्स फिर से एक दूसरे से दूर हो जाते हैं. इस कारण इस चमड़े का रंग फिर से बदलने लगता है. यानी नैनो पार्टिकल्स के करीब आने और दूर जाने की विधि पर यह रंग बदलने का काम चलता रहता है.
जब ये सारे नैनो पार्टिकल्स एक दूसरे के दूर हो जाते हैं तो चमड़ी का रंग लाल हो जाता है और जब एक दूसरे से चिपके होते हैं तो नीला रंग का हो जाता है. कई मौके पर यह लगभग बिना रंग का भी हो जाता है. जानवरों की तरह रंग बदलने वाली चमड़ी का आविष्कार अपने आप में अनूठा है. इसके पूर्ण रूप से विकास होने पर सेना को अपने अभियानों में काफी मदद मिल सकती है. हालांकि शुरूआती स्तर पर यह नकली चमड़ी दो रंगों में परिवर्तित हो सकता है, भविष्य में इसे विभिन्न रंगों में ढलने की तकनीक की वैज्ञानिक तलाश कर रहे हैं.
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