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टेक्नोलॉजी के उपयोग में शिष्टाचार

टीनएजर्स में टेक्नोलॉजी के उपयोग के प्रति दीवानगी बढ़ रही है. यह दीवानगी फेसबुक, ट्वीटर, गूगल प्लस, इंस्टाग्राम से लेकर वाट्सअप जैसे हर सोशल साइट पर प्रोफाइल बनाने तक ही सीमित नहीं है, हर वक्त लॉग-इन रहना, अपने विचार, फोटो आदि साझा करते रहना टीनएजर्स का शगल बन गया है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा […]

टीनएजर्स में टेक्नोलॉजी के उपयोग के प्रति दीवानगी बढ़ रही है. यह दीवानगी फेसबुक, ट्वीटर, गूगल प्लस, इंस्टाग्राम से लेकर वाट्सअप जैसे हर सोशल साइट पर प्रोफाइल बनाने तक ही सीमित नहीं है, हर वक्त लॉग-इन रहना, अपने विचार, फोटो आदि साझा करते रहना टीनएजर्स का शगल बन गया है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि टेक्नोलॉजी और सोशल साइट्स के इस्तेमाल में भी शिष्टाचार जरूरी होता है!

आज कई सोशल नेटवर्किग साइट्स किशोरों की जिंदगी का अहम हिस्सा हो गयी हैं. फेसबुक, ट्वीटर, गूगल प्लस, इंस्टाग्राम से लेकर वाट्सअप तक में बड़े पैमाने पर टीन्स की सक्रियता देखी जा सकती है. कभी अपनी जिंदगी, तो कभी दोस्तों का हाल, कभी किसी राजनीतिक-सामाजिक घटना या मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया, कभी अपनी तसवीर तो कभी कोई गुदगुदाती या चौंकाती फोटो या फिर कभी कोई हैरतअंगेज वीडियो. पल-पल अपडेट, कमेंट, शेयरिंग का सिलसिला चलता रहता है.

सोशल नेटवर्किग साइट्स में सक्रिय लगभग सभी किशोर यह सब करते हैं. अब आप कहेंगे कि सोशल साइट्स तो होती ही इसलिए हैं. बेशक सोशल साइट अपनी बात को दूसरों के साथ साझा करने का एक बेहतरीन प्लेटफॉर्म हैं. लेकिन इंटरनेट में सक्रिय लगभग हर किशोर के लिए वर्तमान ही नहीं, भविष्य के लिहाज से भी ये जान लेना बेहद जरूरी है कि जिस तरह जीवन में हर चीज का अपना एक कायदा होता है, सोशल नेटवर्किंग साइट में भी सक्रिय रहने के लिए एक खास कायदे की दरकार है.

ऐसा इसलिए है, ताकि आप अपने आज नहीं, आनेवाले कल में भी किसी मुश्किल में न पड़ें. आजकल कई बड़ी कंपनियां जॉब देते वक्त कैंडिडेट के व्यक्त्वि के बारे में राय बनाने के लिए उसके सोशल नेटवर्किग प्रोफाइल को भी तरजीह देने लगी हैं. इसमें पुराने कमेंट और तसवीरों को भी खंगाला जाता है. इसलिए भी आपका सजग रहना जरूरी है. जाहिर है अब आप सोशल नेटवर्किग साइट को इस्तेमाल करने के कायदे या शिष्टाचार बारे में जानना चाहेंगे. तो जानिये क्या है यह शिष्टाचार-

बुली करने की इजाजत नहीं है

सोशल नेटवर्किग साइट में किसी पर धौंस जमाना, उसके खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल करना या फिर दबंगई से पेश आना अपराध की श्रेणी में आता है. ज्यादातर टीन्स को शायद ही इस बात की जानकारी हो कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर आपत्ति जनक कमेंट्स या फोटो के गलत उपयोग या फोटो के साथ छेड़छाड़ करने पर आईटी एक्ट सेक्शन 66 के तहत जेल भी जाना पड़ सकता है.

जानबूझ कर गलत जानकारी साझा करने, किसी को चिढ़ाने या परेशान करने, खतरे में डालने, बाधा डालने, अपमान करने, चोट पहुंचाने, धमकी देने, दुश्मनी पैदा करने, घृणा या दुर्भावना के मकसद से संदेश भेजना भी साइबर अपराध के तहत आता है. अगर कोई आपके साथ ऐसा कुछ कर रहा हो तो सजग हो जायें, उसे ब्लॉक कर दें या उसकी शिकायत दर्ज करायें. खुद भी इस बात का ध्यान रखें कि कहीं जाने अनजाने आप भी तो किसी और के साथ ऐसा कुछ तो नहीं कर रहे हैं.

परिणाम के बारे में सोचें

हर किसी की अपनी विचारधारा हो सकती है, हर घटना या बात पर अलग प्रतिक्रिया भी. लेकिन हो सकता है आपका विचार या प्रतिक्रिया किसी व्यक्ति, संगठन या समाज को आहत करनेवाला हो. इसलिए आपको सही और गलत के फर्क को समझना होगा. किसी भी विचार के संदर्भ में आप जो सोचते हैं, क्या वह सही है, इस बारे में अपने किसी परिजन, शिक्षक या फिर दोस्त से बात कर सकते हैं. किसी भी बात के हर पहलू को जाने बिना ही उसे सोशल साइट् के अपने एकाउंट में साझा करने से बचें. हो सकता है आपको यह आभास भी न हो कि आप जो कुछ पोस्ट कर रहे हैं, वह संदिग्ध या भड़काऊ की श्रेणी में आता हो.

जिम्मेदारी से करें ट्वीट

टीन्स ट्वीटर पर भी खासे सक्रिय हैं. जाहिर है आप ट्वीट करेंगे, लेकिन आपको इसके प्रति जिम्मेदार भी होना होगा. किसी भी छोटी-बड़ी घटना पर जल्दबाजी में कोई ट्वीट न करें. कहीं आप कुछ नकरात्मक न लिख दें, जिस पर आपको बाद में पछताना पड़े या आलोचना का शिकार होना पड़े. ऐसा करना आपकी छवि को भी नुकसान पहुंचा सकता है. आपने अभी भविष्य की ओर चलना शुरू ही किया है, इससे आपका कल भी प्रभावित हो सकता है.

हमेशा वचरुअल दुनिया में खोये रहना कई तरह से नुकसानदेह

अगर आप उन 75 फीसदी टीन्स में शामिल हैं जिनका का अधिकतर वक्त अपने मोबाइल या टैब में सोशल साइट्स में एक्टिव रहने में बीतता है, तो इस वचरुअल दुनिया से थोड़ा बाहर निकलें. क्योंकि इससे आपकी रचनात्मकता और सोचने की क्षमता प्रभावित हो सकती है. अपने लिए निश्चित रूप से एक खास ‘सेल फोन मुक्त समय’ निर्धारित करें. आपके और आपके मित्रों के लिए भी जरूरी है कि दिन में कुछ समय अपने स्मार्टफोन से दूर रहें.

सेल्फी एडिक्शन से बचें

सेल्फी खींचने के पहले आपके दिमाग में क्या चल रहा था, आप कभी इस बारे में भी सोचते हैं. हर रोज नयी सेल्फी लेने और उसे जल्द से जल्द फेसबुक, वाट्सअप या इंस्टाग्राम में शेयर करने की दीवानगी और इसके बाद उसमें कितने लाइक्स और कमेंट आये, देखने की बेचैनी टीन्स में खासतौर पर देखी जा सकती है. यह एक तरह की आत्ममुग्धता को दर्शाता है. ऐसे में काई खराब कमेंट आपको अवसाद में भी डाल सकता है. इससे अपने आपको बचाना होगा. आपको इस बात की गंभीरता को समझना होगा कि परफेक्ट सेल्फी अपलोड करने की धुन एक तरह का एडिक्शन है. इससे आपकी इमेज आत्ममुग्ध इंसान की बन सकती है. सोशल साइट में साझा की गयी तसवीर का दुरुपयोग भी हो सकता है.

अपने प्रोफाइल पर रखें नजर

टीन्स को सोशल नेटवर्किग प्लेटफॉर्म पर अपनी निजी जानकारी, फोटो आदि साझा करने में भी सावधानी बरतना चाहिए. इसके दुरुपयोग के दूरगामी परिणाम भी ङोलने पड़ सकते हैं.

निजी नहीं, सार्वजनिक स्पेस है सोशल साइट्स

हमेशा ध्यान रखें कि सोशल नेटवर्किग साइट्स मसलन आपकी फेसबुक वॉल आपका निजी नहीं, सार्वजनिक स्पेस है. इसलिए यहां किसी भी चीज को शेयर करने से पहले उसके तत्कालिक और भविष्यगामी परिणाम के बारे में सोच लेना बेहद जरूरी है. यह बात हर सोशल साइट पर लागू होती है. यहां चीजें बस शेयर भर कर देने तक सीमित नहीं हैं. आप जो भी पोस्ट करेंगे, वह अगले ही क्षण आपके दायरे से निकल कर सार्वजनिक हो जायेगा. टीनएजर्स अकसर भावुक होकर या गुस्से में कुछ भी पोस्ट कर देते हैं, जो कि किसी भी लिहाज से अच्छा नहीं है.

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