IRNSS-1D का प्रक्षेपण शनिवार को, उल्टी गिनती जारी

चेन्नई : भारत का दिशासूचक उपग्रह आईआरएनएसएस-1डी कल श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी27 के जरिए प्रक्षेपण के लिए पूरी तरह से तैयार है. यह अमेरिका के जीपीएस की तर्ज पर भारत के लिए अपनी दिशासूचक प्रणाली का मार्ग प्रशस्त करेगा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने आज कहा कि यह प्रक्षेपण कल यहां से 90 किलोमीटर की दूरी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 27, 2015 1:03 PM

चेन्नई : भारत का दिशासूचक उपग्रह आईआरएनएसएस-1डी कल श्रीहरिकोटा से पीएसएलवी-सी27 के जरिए प्रक्षेपण के लिए पूरी तरह से तैयार है. यह अमेरिका के जीपीएस की तर्ज पर भारत के लिए अपनी दिशासूचक प्रणाली का मार्ग प्रशस्त करेगा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने आज कहा कि यह प्रक्षेपण कल यहां से 90 किलोमीटर की दूरी पर स्थित श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से कल शाम पांच बजकर 19 मिनट पर होना है और इसकी 59.5 घंटे की उल्टी गिनती निर्बाध रूप से चल रही है.

इसरो के सूत्रों ने कहा, ‘कल सुबह पांच बजकर 49 मिनट पर शुरू हुई उल्टी गिनती निर्बाध रूप से आगे बढ रही है. चौथे चरण में नाइट्रोजन ऑक्सीडाइजर के मिश्रित ऑक्साइड भरने का काम पूरा हो चुका है.’ पहले यह प्रक्षेपण नौ मार्च को होना था लेकिन टेलीमीटरी ट्रांसमीटर में एक खामी पाए जाने पर इसे स्थगित कर दिया गया था. आईआरएनएसएस-1डी, इसरो द्वारा भारतीय क्षेत्रीय दिशा सूचक उपग्रह प्रणाली (आईआरएनएसएस) में स्थापित किए जाने वाले नियोजित सात उपग्रहों की श्रृंखला में चौथा उपग्रह है.

इस आईआरएनएसएस प्रणाली पर फिलहाल काम चल रहा है और इसके इस साल तक पूरा हो जाने की संभावना है, जिसकी कुल लागत 1,420 करोड रुपये है. यह प्रणाली दक्षिणी एशिया पर लक्षित होगा और इसे कुछ इस तरह तैयार किया गया है कि यह देश के भीतर और इसकी सीमा से 1500 किलोमीटर तक की दूरी के क्षेत्र में प्रयोगकर्ताओं को बिल्कुल सही स्थिति से जुडी जानकारी उपलब्ध करवा सके.

आईआरएनएसएस के अनुप्रयोगों में भौमिक एवं समुद्री दिशा सूचनाएं, आपदा प्रबंधन, वाहन की ट्रैकिंग, पर्वतारोहियों और यात्रियों के लिए दिशा सूचनाएं, चालकों के लिए ध्वनि एवं दृश्य संबंधी दिशा सूचनाएं आदि शामिल है. इसरो ने कहा कि हालांकि हमारे चार उपग्रह इस तंत्र का कामकाज शुरू करने के लिए पर्याप्त होंगे. शेष तीन इसे ज्यादा सटीक और दक्ष बनाएंगे. आईआरएनएसएस श्रृंखला के पहले तीन उपग्रह श्रीहरिकोटा से क्रमश: एक जुलाई 2013 को, चार अप्रैल 2014 और 16 अक्तूबर 2014 को प्रक्षेपित किये गये थे.

पिछले तीन प्रक्षेपणों की तरह इसरो इस प्रक्षेपण में अपने सबसे अधिक विश्वसनीय रॉकेट पोलर सेटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) के ‘एक्सएल’ रूप का इस्तेमाल करेगा. आईआरएनएसएस-1डी के अभियान का जीवनकाल 10 साल का है. चंद्रयान-प्रथम, जीसैट-12, आरआईसैट-1, आईआरएनएसएस-1ए, मार्स ऑर्बिटर स्पेसक्राफ्ट, आईआरएनएसएस-1बी और आईआरएनएसएस-1सी के बाद यह आठवीं बार है, जब पीएसएलवी के ‘एक्सएल’ रूप का इस्तेमाल किया जा रहा है.

44.4 मीटर लंबा पीएसएलवी-सी27 अपने साथ 1,425 किलोग्राम का भार ले जाने की क्षमता रखता है. यह उपग्रह को भूस्थैतिक कक्षा में स्थापित करेगा, जो कि 111.75 डिग्री पूर्व देशांतर में 30.5 डिग्री के झुकाव पर होगी. यह प्रणाली दो तरह की सेवाएं उपलब्ध कराएगी. एक सेवा होगी- स्टैंडर्ड पोजिशनिंग सिस्टम, जो कि सभी प्रयोगकर्ताओं को उपलब्ध होगी. इसके अलावा एक सीमित सेवा होगी, जो कि एक कूट रूप वाली सेवा होगी और कुछ अधिकृत प्रयोगकर्ताओं को ही उपलब्ध होगी.

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