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पांच साल में आयेगी सेल्फ ड्राइविंग कार

गूगल की सेल्फ ड्राइविंग कार को लेकर लोगों में काफी उत्साह है. लोग इंतजार कर रहे हैं कि यह कब आयेगी? पिछले दिनों ही इस प्रोजेक्ट के निदेशक ने बताया कि पांच साल के भीतर वे इस कार को ले आयेंगे. टीम काम में जुटी है. गू गल की सेल्फ-ड्राइव कार प्रोजेक्ट के निदेशक ने […]

गूगल की सेल्फ ड्राइविंग कार को लेकर लोगों में काफी उत्साह है. लोग इंतजार कर रहे हैं कि यह कब आयेगी? पिछले दिनों ही इस प्रोजेक्ट के निदेशक ने बताया कि पांच साल के भीतर वे इस कार को ले आयेंगे. टीम काम में जुटी है.

गू गल की सेल्फ-ड्राइव कार प्रोजेक्ट के निदेशक ने कहा है कि वह अगले पांच साल में इस तकनीक को अमली जामा पहनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. टेड (टेक्नोलॉजी, एंटरटेनमेंट और डिजाइन) कॉन्फ्रेंस में क्रिस उर्मसन ने कहा कि उनका सबसे बड़ा बेटा 11 साल का है और वह साढ़े चार साल में ड्राइविंग टेस्ट देगा, लेकिन मेरी टीम इसके लिए प्रतिबद्ध है कि ऐसा करने की नौबत न आये.

कुछ ऑटोमोबाइल कंपनियां कारों में ड्राइवर के सहायक फीचर्स शामिल कर ही हैं ताकि पूरी तरह ऑटोमेटेड कार को लेकर जाहिर आशंकाओं से भी निपटा जा सके. लेकिन इसके विपरीत गूगल की कार जिसका एक प्रोटोटाइप इलेक्ट्रिक पॉड दिसंबर में दिखाया गया था उसमें न ही स्टीयरिंग व्हील होगा और न ही कोई और पारंपरिक कंट्रोल जैसी कोई चीज.

शुरुआत में फिट किये जायेंगे अतिरिक्त कंट्रोल

शुरुआती टेस्टिंग के लिए इस कार में अतिरिक्त कंट्रोल फिट किये जायेंगे ताकि टेस्ट ड्राइवर दिक्कत होने की स्थिति में इस पर नियंत्रण कर सकें.

क्रि स ने कहा कि लोगों का देर तक ड्राइव करना और जाम में ज्यादा देर तक फंसना भी दो ऐसी वजहें हैं जिनकी वजह से इस तकनीक को जल्द से जल्द उपलब्ध होना चाहिए.

क्रि स के अनुसार सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सेल्फ ड्राइविंग कारें नाटकीय रूप से सड़क दुर्घटनाएं कम कर सकती हैं. गूगल की सेल्फ-ड्राइव कारों का व्यापक परीक्षण किया गया है. इन्हें सड़कों पर सात लाख मील से ज्यादा चलाया जा चुका है. 2013 में परीक्षण के लिए इन्हें 100 कर्मचारियों को भी दिया गया था.

बताये परीक्षण के दौरान के रोचक किस्से

क्रि स उर्मसन ने टेड दर्शकों के साथ इस सेल्फ ड्राइव कार के परीक्षण के दौरान साथ हुई कुछ मजेदार घटनाएं भी साझा कीं. उन्होंने बताया कि एक बार खिलौना कार चलाते हुए एक बच्चा कार के सामने सड़क पर आ गया था और जब एक इलेक्ट्रिक व्हीलचेयर में बैठी एक महिला सड़क पर एक बत्तख का पीछा कर रही थी.

उन्होंने कहा, हैंडबुक में यह कहीं नहीं लिखा है कि ऐसी परिस्थितियों में क्या करना है. लेकिन दोनों ही परिस्थितियों में कार धीमी हो गयी और हालात के मुताबिक प्रतिक्रिया की.

लेकिन स्टैनफोर्ड में सेंटर फॉर ऑटोमोटिव रिसर्च के कार्यकारी निदेशक स्वेन बीकेर को लगता है कि पूरी तरह ऑटोमेटेड कार के विकास में थोड़ी सावधानी बरतनी चाहिए. उन्होंने कहा कि ड्राइवर विहीन कार को अब भी चरम परिस्थितियों में इंसानी निर्देश की जरूरत पड़ सकती है और अगर लोग नियमित रूप से गाड़ी नहीं चलायेंगे, तो वह इसे भूल भी सकते हैं.

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