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Internet.org से नेट न्‍यूट्रैलिटी पर शुरू हुई नयी बहस, जुकरबर्ग ने इसे बताया सही

जहां एक ओर पूरे देश में नेट न्‍यूट्रैलिटी को लेकर अभियान छिड़ चुका है. लोग एक आवाज में देश में नेट न्‍यूट्रैलिटी के पक्ष में खड़े हो गये हैं, वहीं दूसरी ओर फेसबुक के संस्‍थापक मार्क जुकरबर्ग भी इस लड़ाई में कूद पड़े हैं. ऑनलाइन शॉपिंग साइट फिल्पकार्ट द्वारा एयरटेल जीरो प्‍लान से किनारा करने […]

जहां एक ओर पूरे देश में नेट न्‍यूट्रैलिटी को लेकर अभियान छिड़ चुका है. लोग एक आवाज में देश में नेट न्‍यूट्रैलिटी के पक्ष में खड़े हो गये हैं, वहीं दूसरी ओर फेसबुक के संस्‍थापक मार्क जुकरबर्ग भी इस लड़ाई में कूद पड़े हैं.
ऑनलाइन शॉपिंग साइट फिल्पकार्ट द्वारा एयरटेल जीरो प्‍लान से किनारा करने के बाद अब फेसबुक की सर्विस ‘इंटरनेट डॉट ओआरजी (Internet.org)’ की कार्यप्रणाली पर ताजा सवाल खड़ा हो गया है. लोगों को मानना है कि Internet.org भी नेट न्‍यूट्रैलिटी के खिलाफ यूजरों को कुछ ही साइटों को एक्‍सेस करने का मौका देता है.
दिग्‍गज समाचार संस्‍थानInternet.orgसे कर रहेहैं किनारा
खबरों के मुताबिक नेट न्‍यूट्रैलिटी के खतरे से बचने के लिए कई दिग्‍गज कंपनियां खुद को फेसबुक की शुरू की गयी सेवा internet.org से अलग हो सकती है. हफिंगटन पोस्ट के मुताबिक ट्रैवल पोर्टल क्लियरट्रिप, एनडीटीवी, न्‍यूजहंट और टाइम्‍स ऑफ इंडिया Internet.org से अपनी सेवा हटा सकती है.
इसके अनुसार अपनी प्रतिद्वंदी कंपनियों जैसे इंडिया टुडे, एनडीटीवी, आइबीएन और न्‍यूजहंट के हटने पर टाइम्‍सग्रुप अपनी टाइम्‍सजॉब सेवा और महाराष्ट्रा टाइम्‍स की सेवा को इससे अलग कर लेगा.
बोले जुकरबर्ग,Internet.orgहै नेट न्‍यूट्रैलिटी से अलग
वहीं फेसबुक फाउंडर मार्क जुकरबर्ग ने अपने फेसबुक अकाउंट पर इस विवाद को नेट न्‍यूट्रैलिटी से अलग होने की बात कहते हुए खुद को नेट न्‍यूट्रैलिटी का समर्थक बताया है.
जुकरबर्ग ने कहा है कि Internet.org का लक्ष्‍य विकासशील देशों में इंटरनेट की सुविधा मुहैया कराना है. जिसके तहत लोग आरधाभूत सुविधा जैसे हेल्‍थ, एजुकेशन, स्‍पोर्ट, समाचार का मुफ्त में इस्तेमाल कर सकते हैं.
ऐसे समझें नेट न्‍यूट्रैलिटी को
अभी इंटरनेट इस्‍तेमाल करने के लिए यूजर अपने मोबाइल पर इंटरनेट डेटा का इस्‍तेमाल करते हैं. इस सेवा से किसी भी साइटों या एप्‍प फेसबुक, स्‍नैपडील, व्‍हाट्सएप्‍प, हैंगआउट जैसे कई साइटों को समान रूप से समान स्‍पीड से इस्‍तेमाल किया जाता है. इनमें हर एप्‍प को यूज करने के लिए अलग से पैसे नहीं देने पड़ते हैं और न ही किसी एप की विशेष सेवा ही मिलती है. इसे ही नेट न्‍यूट्रैलिटी कहा जाता है.
अब कुछ टेलीकॉम कंपनियां इंटरनेट की इसी आजादी पर लगाम लगाना चाहती हैं. जिसके द्वारा कुछ एप्‍पो का तो इस्‍तेमाल मुफ्त में किया जा सकेगा लेकिन कुछ के लिए पैसे देने देने होंगे. यहीं इन सेवाओं की स्पीड भी कम या ज्‍यादा की जा सकती है.
टेलीकॉम कंपनियों की इसी मनमानी को लेकर पूरे देश में इंटरनेट की आजादी को लेकर मुहिम छिड़ गयी है.
क्‍या हैInternet.org
इस साल फरवरी के महीने में फेसबुक ने रिलायंस कम्‍युनिकेशन के साथ मिलकर विकासशील देशों में इंटरनेट मुफ्त एक्‍सेस करने की जरूरत को देखते हुए एक नया कदम उठाया था. फेसबुक ने ‘इंटरनेट डॉट ओआरजी(Internet.org)’ की सर्विस शुरू की्. इस सर्विस के तहत लोग रिलांयस कनेक्‍ट के जरिये मुफ्त में कई वेबसाइटों का उपयोग कर सकते हैं.
इसमें तकरीबन 33 वेबसाइटों को जोड़ा गया है. जिसे इसतेमाल करने के लिए यूजरों को अलग से इंटरनेट डाटा पैक शुरू करने की कोई आवश्‍यक्‍ता नहीं है.
फेसबुक इस सर्विस के द्वारा खास करके आधारभूत सेवाओं को ध्‍यान में रखकर मुफ्त साइटों की सुविधा दे रही है. जिसमें जॉब्‍स, हेल्‍थ, एजुकेशन और समाचारों से संबंधित कई वेबसाइट जोड़े गये हैं.
इनमें से समाचार सेवाओं में आइबीएन, बीबीसी न्‍यूज, टाइम्‍स ऑफ इंडिया, एनडीटीवी, हेल्‍थ सेवाओं में बेबीसेंटर, सोशल ब्‍लड, शिक्षा के क्षेत्र में विकीपीडिया ,विकीहाउ, ट्रांसलेटर आदि सेवाओं को इस्‍तेमाल करने की मुफ्त की सुविधा देता है.

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