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क्या इंसान के अस्तित्व पर संकट है AI ? अगर हां, तो क्या इससे दुबक जाएं

AI Good or Bad: एआई की मदद से अब तक कई सेक्टर्स में काफी सुधार देखा जा रहा है. एआई के पॉजिटिव पॉइंट्स हालांकि बहुत हैं, लेकिन इनसे जुड़े खतरे भी डरानेवाले हैं. सबसे पहली चिंता है ऑटोनॉमी. यहां समझें एआई से खतरे को

AI Good or Bad: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई, एक ऐसी तकनीक जिसकी बात आज हर ओर हो रही है. एआई यानी कृत्रिम बुद्धिमत्ता, यानी मानव की बनायी वह समझ जो अब इतनी समझदार हो चुकी है जो हमारा अस्तित्व ही खतरे में डालने लगी है. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने पिछले कुछ सालों में तेजी से प्रगति की है और यह तकनीक आज हमारे जीवन के लगभग हर पहलू तक पहुंच चुकी है. एआई ने कई इंडस्ट्रीज में सुधार के नये रास्ते दिखाए हैं. हेल्थ सर्विसेज, एजुकेशन, ट्रांसपोर्ट, फाइनेंशियल सर्विसेज और एंटरटेनमेंट तक, लेकिन इसके साथ ही यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या यह एआई मानव सभ्यता के लिए चुनौती खड़ी कर सकता है. आइए नजर डालते हैं एआई के संभावित खतरों और इसके सकारात्मक पहलुओं पर-

हमारी लाइफ पर एआई के पॉजिटिव पॉइंट्स क्या हैं?

एआई की मदद से अब तक कई सेक्टर्स में काफी सुधार देखा जा रहा है. मेडिकल साइंस में एआई ने बीमारी की शीघ्र पहचान और इलाज की प्रक्रिया को बदल दिया है. उदाहरण के लिए, एआई बेस्ड टूल्स अब कैंसर जैसी घातक बीमारियों का जल्दी निदान कर रहे हैं, जिससे जीवन बचाने की संभावना बढ़ गई है. इसके अलावा, एआई ने ऑटोमेशन, रोबोटिक्स और डेटा एनालिटिक्स में भी सुधार किया है, जो इंडस्ट्रीज को अधिक एफिशिएंट और कम कॉस्ट एफेक्टिव बनाते हैं.

एआई के इस्तेमाल से प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी, खेती-बाड़ी में सुधार, ऊर्जा की बचत और यहां तक कि शिक्षा के क्षेत्र में भी इनोवेशन हो रहा है. Google Assistant, Siri और Alexa जैसे पर्सनल असिस्टेंट, जो अब लगभग हर किसी के स्मार्टफोन और घर में मौजूद हैं, वे जीवन को आसान बना रहे हैं. इसके अलावा, ऑटोमेटेड कार्स, स्मार्ट सिटीज और पर्सनल हेल्थ मॉनिटरिंग में एआई का इस्तेमाल यह इशारा करता है कि एआई के साथ हमारा भविष्य उज्जवल है.

डराने भी लगा है एआई

एआई के पॉजिटिव पॉइंट्स हालांकि बहुत हैं, लेकिन इनसे जुड़े खतरे भी डरानेवाले हैं. सबसे पहली चिंता है ऑटोनॉमी. जब एआई के सिस्टम जरूरत से ज्यादा स्वतंत्र हो जाएंगे और अपने फैसले खुद लेने की ताकत हासिल कर लेंगे, तो यह एक बड़ा खतरा बन सकता है. क्या होगा अगर एक दिन एआई इंसान की परवाह किये बिना, केवल अपनी तर्क शक्ति के आधार पर फैसले लेना शुरू कर दे? इसके नतीजतन न केवल व्यक्तिगत बल्कि सामाजिक, आर्थ‍िक और राजनीतिक संकट भी उत्पन्न हो सकता है.

इन सबके अलावा, एक और बड़ा खतरा रोजगार के संकट से भी जुड़ा है. जैसे-जैसे एआई और रोबॉटिक्स के क्षेत्र में विकास हो रहा है, वैसे-वैसे पारंपरिक नौकरियों की संख्या घटती जा रही है. कारखानों में रोबॉट्स के इस्तेमाल से हजारों लोग बेरोजगार हो गए हैं और भविष्य में यह संख्या और बढ़ सकती है. एआई, तकनीकी बेरोजगारी का कारण बन सकता है, जिससे सामाजिक असंतोष और आर्थिक असंतुलन का खतरा पैदा हो सकता है.

प्राइवेसी और सिक्योरिटी का भी खतरा पैदा कर सकता है एआई

एआई के बारे में जब हम बात करते हैं, तो हमें डेटा की प्राइवेसी और सिक्योरिटी के बारे में भी सोचना चाहिए. एआई सिस्टम को काम करने के लिए बड़े पैमाने पर डेटा की आवश्यकता होती है. ऐसे में अगर यह डेटा अगर गलत हाथों में पड़ता है या इसका दुरुपयोग किया जाता है, तो जरा सोचिए कि यह कितने लोगों की प्राइवेसी खतरे में डालेगा. एआई सिस्टम का इस्तेमाल कर व्यक्तियों और संगठनों का डेटा चोरी कर साइबर अटैक को अंजाम देना मुमकिन है.

एआई के डेवेलप होने से सिक्योरिटी से जुड़े रिस्क भी बढ़ सकते हैं. अगर किसी गलत व्यक्ति के हाथ में ऑटोनोमस आर्म्ड सिस्टम आ जाए, तो इसके नतीजे बहुत खतरनाक हो सकते हैं. जरा सोचिए कि किसी वॉर में एआई से चलने वाली ड्रोन आर्मी सेना या ऑटोमेटेड वेपंस सिस्टम इंसानी कंट्रोल से बाहर हो जाएं, तो कितना बड़ा सिक्योरिटी क्राइसिस पैदा हो सकता है!

सुपरइंटेलिजेंस और मानवता के लिए खतरे को भी जान लीजिए

कुछ विशेषज्ञ यह मानते हैं कि जब एआई अपनी क्षमताओं में बहुत विकास कर जाएगा और सुपरइंटेलिजेंस के स्तर तक पहुंच जाएगा, तो यह मानवता के लिए खतरा बन सकता है. सुपरइंटेलिजेंस का मतलब है कि एआई के पास ऐसी बुद्धिमत्ता होगी, जो मनुष्य से कहीं अधिक विकसित होगी. अगर इस स्थिति में एआई अपनी ऑटोनोमी यानी स्वायत्तता हासिल करता है, यानी अपने फैसले खुद करने लगे, तो वह अपनी चाहत और मकसद तय करने के काबिल होगा, जो मानवता के खिलाफ भी हो सकता है.

एआई को फिलहाल इस तरह की स्वायत्तता नहीं दी गई है, लेकिन इसे बनानेवाले कुछ वैज्ञानिक यह चिंता जाहिर करते हैं कि अगर एआई को और विकसित किया गया, तो यह मानव सभ्यता के अस्तित्व के लिए एक खतरा बन सकता है. इस पर स्टीफन हॉकिंग जैसे वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि एआई का गलत दिशा में विकास हमारे लिए विनाशकारी हो सकता है.

भौतिक शास्त्री स्टीफन हॉकिन्स के अनुसार, मानव के इतिहास में एआई सबसे बड़ी और सबसे हानिकारक खोज साबित हो सकती है. उन्होंने कहा था, भौतिक रूप से इंसान धीमी रफ्तार से ग्रोथ करता है, इसलिए वह मशीनों का मुकाबला नहीं कर पाएगा. उसकी बुनियादी जरूरतों इस चीज का असर पर पड़ेगा और यहीं से इंसान के अंत की शुरुआत हो सकती है.

तो क्या हम एआई को खारिज कर दें?

कुल मिलाकर कहें, तो एआई से पैदा होने वाले संभावित खतरे वास्तविक हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम इसे पूरी तरह से खारिज ही कर दें. एआई का सही दिशा में इस्तेमाल और इसके लिए प्रभावी नियम-कायदे तय कर हम इसके खतरों को नियंत्रित कर सकते हैं. इसके लिए जरूरी है कि सरकारें, कंपनियां और वैज्ञानिक एआई के विकास को जिम्मेदारी से संभालें और इसके जोखिमों को ध्यान में रखते हुए इसके उपयोग की सही दिशा तय करें. एआई को अगर हम सही दिशा में विकसित करते हैं, तो एआई हमारे जीवन को बेहतर बना सकता है. ऐसे में एआई के भविष्य को लेकर डरने के बजाय सावधानी, जागरूकता और जिम्मेदारी से काम करना सही जरूरी है.

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