Cyber Attacks In India: डिजिटल समय में साइबर अपराध तेजी से अपने पैर पसार रहा है. साइबर अटैक के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है. आज के समय में साइबर ठग नये-नये तरीकों से लोगों के साथ ठगी कर रहे हैं. प्रमुख साइबर सिक्योरिटी समाधान प्रदाता कंपनी चेक पॉइंट सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजीज की वार्षिक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि भारतीय संगठनों पर साइबर हमलों की चिंताजनक दर देखी जा रही है. ‘द स्टेट ऑफ ग्लोबल साइबर सिक्योरिटी 2025’ शीर्षक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में हर हफ्ते औसतन 3,291 साइबर हमले हो रहे हैं. यह आंकड़ा ग्लोबली औसत 1,847 हमलों प्रति सप्ताह की तुलना में 44% अधिक है, जो साइबर खतरों के बढ़ते स्तर को दर्शाता है.
किस सेक्टर में हो रहे हैं सबसे ज्यादा साइबर अटैक?
चेक पॉइंट सॉफ्टवेयर टेक्नोलॉजीज के अनुसार, भारत का हेल्थकेयर सेक्टर साइबर हमलों से सबसे अधिक प्रभावित है, जहां हर संगठन को औसतन हर हफ्ते 8,614 हमलों का सामना करना पड़ रहा है. शिक्षा और सरकारी क्षेत्र भी पीछे नहीं हैं, जहां प्रति सप्ताह 7,983 और 4,731 साइबर हमले हो रहे हैं. ये आंकड़े भारत में प्रमुख क्षेत्रों पर बढ़ते साइबर अपराध के खतरे को उजागर करते हैं.
मैलवेयर और जेनरेटिव एआई है मुख्य कारण
चेक पॉइंट रिपोर्ट में भारत में आम तौर पर पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के मैलवेयर को उजागर किया गया है, जिसमें रिमोट ऐक्सेस ट्रोजन (RATs), इंफोस्टीलर जैसे Formbook, और Maze जैसे रैंसमवेयर स्ट्रेन शामिल हैं. रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि जेनरेटिव एआई (GenAI) की बढ़ती लोकप्रियता ने डिसइनफॉर्मेशन कैंपेन और डीपफेक वीडियो को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है. चौंकाने वाले आंकड़ों के मुताबिक, इंफोस्टीलर हमलों में 58% की वृद्धि दर्ज की गई है, जिसमें 70% से अधिक संक्रमित डिवाइस व्यक्तिगत उपयोगकर्ता की हैं. रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि राउटर्स और वीपीएन (VPN) साइबर हमलावरों के लिए प्रमुख एंट्री पॉइंट बन गए हैं. गौरतलब है कि 2024 में हुए 96% साइबर हमले उन्हीं कमजोरियों का फायदा उठाकर किये गए, जो पहले ही सार्वजनिक हो चुकी थीं. यह दर्शाता है कि साइबर खतरों से निपटने के लिए प्रोएक्टिव पैच मैनेजमेंट बेहद जरूरी है.
साइबर अटैक से कैसे बचें?
प्रमुख संगठनों को मजबूत डेटा बैकअप और रिकवरी प्लान बनाने चाहिए, ताकि किसी भी साइबर हमले की स्थिति में डेटा सुरक्षित रहे. मानवीय भूल को कम करने के लिए कर्मचारियों के लिए जागरूकता कार्यक्रम अनिवार्य रूप से चलाये जाने चाहिए. सुरक्षा बढ़ाने के लिए मल्टी-फैक्टर ऑथेंटिकेशन (MFA) का उपयोग किया जाना चाहिए. इसके अलावा, उन्नत थ्रेट डिटेक्शन टूल्स का इस्तेमाल जरूरी है और सुरक्षा खामियों की पहचान व समाधान के लिए नियमित वल्नरेबिलिटी असेसमेंट भी किया जाना चाहिए.
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