Spoof Call: मोबाइल कॉल के जरिये देश में हो रहे फ्रॉड की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. कई अंतरराष्ट्रीय धोखेबाज भारतीय नंबरों का इस्तेमाल कर लोगों के साथ ठगी कर रहे हैं. इस समस्या से निपटने के लिए भारत सरकार ने एक स्पैम-ट्रैकिंग डिटेक्शन सिस्टम लॉन्च किया है. इस सिस्टम की मदद से उन सभी कॉल्स का पता लगाया जाएगा जो स्पैम की श्रेणी में आते हैं.
दूरसंचार विभाग ने कहा है कि वित्तीय धोखाधड़ी और सरकारी अधिकारियों का वेष धारण कर लोगों को धमकाने के लिए विदेश से की जाने वाली स्पूफ कॉल को पहचान कर उसे ब्लॉक करने की प्रणाली लागू कर दी गई है. विभाग ने एक बयान में कहा कि नयी अंतरराष्ट्रीय इनकमिंग स्पूफ कॉल निवारक प्रणाली ने सक्रिय होने के महज 24 घंटों में ही लगभग 1.35 करोड़ कॉल को स्पूफ कॉल के रूप में पहचाना और ब्लॉक किया है.
ज्योतिरादित्य सिंधिया ने प्रणाली की शुरुआत की
दूरसंचार विभाग ने कहा कि इस प्रणाली के लागू होने से भारतीय दूरसंचार ग्राहकों को इस तरह की स्पूफ कॉल आने में उल्लेखनीय कमी देखने को मिलेगी. दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने संचार और ग्रामीण विकास राज्यमंत्री पी चंद्रशेखर की मौजूदगी में इस प्रणाली की शुरुआत की.
बयान के मुताबिक, साइबर अपराधी भारतीय मोबाइल नंबर को प्रदर्शित करके अंतरराष्ट्रीय स्पूफ कॉल के जरिये साइबर अपराध कर रहे हैं. ये कॉल देश के भीतर से ही की गई लगती हैं लेकिन असल में इन्हें कॉलिंग लाइन पहचान (सीएलआई) में हेराफेरी करके विदेश से किया जा रहा है.
दूरसंचार विभाग ने कहा कि इन स्पूफ कॉल का इस्तेमाल वित्तीय धोखाधड़ी, सरकारी अधिकारियों का रूप धारण करने और दहशत पैदा करने के लिए किया जा रहा है. इसके जरिये दूरसंचार विभाग और ट्राई के अधिकारी बनकर मोबाइल नंबरों को काटने, फर्जी डिजिटल गिरफ्तारी, कूरियर में ड्रग्स/नशीले पदार्थों की मौजूदगी, खुद को पुलिस अधिकारी बताकर धमकाने, सेक्स रैकेट में गिरफ्तारी की धमकी देने जैसे साइबर अपराधों के मामले सामने आये हैं.
भारतीय फोन नंबरों से आने वाले 90 प्रतिशत अंतरराष्ट्रीय कॉल्स नकली
विभाग ने कहा कि दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के साथ मिलकर एक ऐसी प्रणाली बनायी गई है, जो इस तरह की अंतरराष्ट्रीय नकली कॉल की पहचान कर सके और उन्हें भारतीय दूरसंचार ग्राहकों तक पहुंचने से रोका जा सके.
इस प्रणाली को चालू किये जाने के 24 घंटे में ही भारतीय फोन नंबरों से आने वाली सभी अंतरराष्ट्रीय कॉल्स में से लगभग 1.35 करोड़ यानी 90 प्रतिशत को नकली कॉल के रूप में पहचाना गया और दूरसंचार कंपनियों ने उन्हें ग्राहकों तक पहुंचने से रोक दिया.
ऑनलाइन फर्जीवाड़ा करने वाले धोखेबाज बेखबर लोगों को ठगने के लिए डिजिटल टूल और कृत्रिम मेधा (एआई) का खुलेआम दुरुपयोग कर रहे हैं. अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से इन नकली कॉल को पकड़ पाना काफी मुश्किल हो गया है.
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