भ्रामक एवं गलत सूचनाओं के खिलाफ काम करने वाली जानी मानी शोधार्थी जोआन डोनोवन ने हार्वर्ड विश्वविद्यालय पर उनके भाषण एवं उनकी शोध टीम को दबाने तथा उन्हें नष्ट करने का आरोप लगाया है. डोनोवन ने अगस्त में हार्वर्ड यूनिवर्सिटी छोड़ दी थी. उनका आरोप है कि उन्होंने और उनकी टीम ने 2021 के अंत में फेसबुक फाइलों को लेकर बड़ा शोध शुरू किया था लेकिन फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग एवं उनकी पत्नी प्रिसिला चान द्वारा संचालिक संस्था से हार्वर्ड को 50 करोड़ अमेरिकी डॉलर का दान मिलने के कारण उनके कार्य पर असर पड़ा. अपने इस कार्य को वह इंटरनेट के इतिहास में सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज मानती हैं. डोनोवन ने सार्वजनिक रूप से यह खुलासा किया और हार्वर्ड के जनरल काउंसल (वकील), मैसाचुसेट्स के अटॉर्नी जनरल के कार्यालय एवं अमेरिकी शिक्षा विभाग से ‘‘इस अनुचित दखल’’ की जांच की मांग की है.
डोनोवन का समर्थन कर रही एक गैर लाभकारी विधिक संस्था ‘व्हिसलब्लोअर एड’ की मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) ने हार्वर्ड के केनेडी स्कूल और उसके डीन के इस कथित व्यवहार को स्कूल की अकादमिक प्रतिष्ठा के साथ विश्वासघात बताया है. सीईओ लिब्बी लियू ने प्रेस में दिए बयान में कहा, चाहे हार्वर्ड ने कंपनी के निर्देश पर ये कदम उठाए हों या उनके (फेसबुक के) हितों की रक्षा के लिए खुद ये कदम उठाए हों, दोनों का नतीजा एक ही है. कॉरपोरेट के हित शोध एवं अकादमिक स्वतंत्रता को दबा रहे हैं जिससे लोगों को नुकसान हो रहा है. केनेडी स्कूल ने अनुचित बर्ताव और दखल के आरोपों को खारिज किया है. स्कूल के प्रवक्ता जेम्स एफ. स्मिथ ने एक बयान में कहा, आरोप त्रुटियों और निराधार आक्षेपों से भरे हैं.
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व्हिसलब्लोअर एड के बयान में डोनोवन ने डीन डगलस एल्मेंडोर्फ पर उनकी टीम को परेशान करने का आरोप लगाया क्योंकि, उन्होंने अक्टूबर 2021 में उन तथाकथित ‘फेसबुक फाइल’ के लिए एक ‘रिसर्च क्लीयरिंगहाउस’ बनाने की मजबूत योजना पर काम करना शुरू कर दिया था, जिन्हें पूर्व कर्मचारी फ्रांसिस हौगेन ने लोगों को हुए नुकसान को दर्शाने के लिए इकट्ठा किया था. इस खुलासे के बाद जुकरबर्ग ने फेसबुक का नाम बदलकर मेटा रख दिया. मेटा के प्रवक्ता एंडी स्टोन ने कहा कि डोनोवन और हार्वर्ड के बीच विवाद पर कंपनी कोई टिप्पणी नहीं करेगी.