iPhone Hacking Alert: सरकार ने कहा- आईफोन के हैकिंग अलर्ट पर ऐपल का जवाब स्पष्ट नहीं

iPhone Hacking Alert: बात ज्यादा पुरानी नहीं है, जब विपक्षी राजनीतिक नेताओं को कथित तौर पर आईफोन पर अलर्ट भेजे गए. इसके बाद भारत सरकार द्वारा इस मामले पर दिग्गज टेक निर्माता ऐपल से जवाब मांगा गया. सरकार को अब तक इस मामले पर ऐपल के स्पष्ट जवाब का इंतजार है. आईटी मिनिस्टर राजीव चंद्रशेखर ने हाल ही में इस मामले को लेकर कई बातें कही हैं.

By Rajeev Kumar | February 19, 2024 10:35 PM
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iPhone Hacking Alert: बात ज्यादा पुरानी नहीं है, जब विपक्षी राजनीतिक नेताओं को कथित तौर पर आईफोन पर अलर्ट भेजे गए. इसके बाद भारत सरकार द्वारा इस मामले पर दिग्गज टेक निर्माता ऐपल से जवाब मांगा गया. सरकार को अब तक इस मामले पर ऐपल के स्पष्ट जवाब का इंतजार है. आईटी मिनिस्टर राजीव चंद्रशेखर ने हाल ही में इस मामले को लेकर कई बातें कही हैं.

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सरकार विपक्षी दलों के नेताओं को आईफोन विनिर्माता ऐपल की तरफ से पांच महीने पहले भेजे गए हैकिंग संबंधी अलर्ट पर अभी भी कंपनी की तरफ से स्पष्ट जवाब का इंतजार कर रही है.

ऐपल ने इस संदेश में विपक्षी नेताओं को आगाह किया था कि कथित तौर पर सरकार-समर्थित हैकर उनके फोन की हैकिंग के प्रयास कर रहे हैं. इस पर सरकार की तरफ से ऐपल से कुछ स्पष्टीकरण मांगा गया था.

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इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने पीटीआई-भाषा के साथ बातचीत में कहा कि सरकार ने एप्पल से दो सवाल पूछे हैं. पहला सवाल उनके उपकरणों के सुरक्षित होने से संबंधित है जबकि दूसरा सवाल विपक्षी सदस्यों को अलर्ट भेजने की वजह से जुड़ा है.

चंद्रशेखर ने कहा, मेरी राय में यह ऐसी बात नहीं है जिसे कोई भी मंच कमजोरियां होने पर भी पूरी तरह से स्वीकार करेगा. किसी भी मंच में इस बात से इनकार करने की प्रवृत्ति होती है कि उनके सुरक्षा कवच को भेदा जा सकता है.

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चंद्रशेखर ने कहा, हम कंपनी से एक स्पष्ट सवाल पूछ रहे हैं कि क्या आपका फोन असुरक्षित है? इसका जवाब पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है.

अक्टूबर में विपक्षी दलों के कई नेताओं ने दावा किया था कि उन्हें एप्पल से एक अलर्ट मिला है जिसमें राज्य-प्रायोजित हमलावरों द्वारा उनके आईफोन को दूर से ही नियंत्रित करने की कोशिश और सरकार की तरफ से कथित हैकिंग की चेतावनी दी गई.

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एप्पल की तरफ से यह अलर्ट पाने का दावा करने वाले नेताओं में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पार्टी नेता शशि थरूर, पवन खेड़ा, के सी वेणुगोपाल, सुप्रिया श्रीनेत, टी एस सिंहदेव और भूपिंदर एस हुडा शामिल हैं.

इनके अलावा तृणमूल कांग्रेस की महुआ मोइत्रा, सीपीआई (एम) के महासचिव सीताराम येचुरी और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी हैकिंग अलर्ट मिलने की बात कही थी.

शिवसेना (उद्धव गुट) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी, आम आदमी पार्टी के राघव चड्ढा, एआईएमआईएम अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के कुछ सहयोगियों को भी इस तरह की सूचना मिली थी.

केंद्रीय मंत्री ने कहा, जब ये आरोप लगाये गए थे, उसी दिन हमने स्पष्ट तौर पर कहा था कि इसका जवाब एप्पल को देना है क्योंकि इसमें उनका फोन शामिल है. हमारे पास यह समझने के लिए सरकार में शोध एवं विकास क्षमता नहीं है कि उसके ऑपरेटिंग सिस्टम आईओएस में क्या है और क्या नहीं है.

इसके साथ ही चंद्रशेखर ने कहा कि कंप्यूटर सुरक्षा संबंधी घटनाओं के घटित होने पर प्रतिक्रिया देने के लिए गठित राष्ट्रीय नोडल एजेंसी सर्ट-इन (इंडियन कंप्यूटर एमरजेंसी रिस्पांस टीम) ने कंपनी को इस जांच में एक पक्ष बनाया है.

इस संबंध में एप्पल को पक्ष रखने के लिए भेजे गए ईमेल का कोई जवाब नहीं मिला. इस बीच चंद्रशेखर ने इन आरोपों को नकार दिया कि सरकार किसी भी तरह से लोगों की गोपनीयता का उल्लंघन करने या भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को खत्म करने की कोशिश कर रही है. (इनपुट भाषा से साभार)

इस कहानी का मुख्य मुद्दा क्या है?

कहानी में विपक्षी राजनीतिक नेताओं को उनके iPhones पर हैकिंग के संबंध में ऐपल द्वारा भेजे गए अलर्ट का जिक्र है. भारत सरकार इस मामले में ऐपल से स्पष्टीकरण मांग रही है.

सरकार ने ऐपल से कौन-कौन से सवाल पूछे हैं?

सरकार ने दो प्रमुख सवाल पूछे हैं: पहला, क्या ऐपल के उपकरण सुरक्षित हैं? दूसरा, विपक्षी नेताओं को अलर्ट भेजने की वजह क्या है?

कौन से राजनीतिक नेता इस अलर्ट का दावा कर रहे हैं?

कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खरगे, शशि थरूर, पवन खेड़ा, और अन्य विपक्षी नेताओं ने इस अलर्ट को प्राप्त करने का दावा किया है.

आईटी मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने क्या कहा?

उन्होंने कहा कि ऐपल को यह स्पष्ट करना चाहिए कि उनके फोन असुरक्षित हैं या नहीं। उन्होंने आरोपों का खंडन किया कि सरकार लोगों की गोपनीयता का उल्लंघन कर रही है.

क्या ऐपल ने सरकार के सवालों का जवाब दिया है?

नहीं, ऐपल की तरफ से अभी तक सरकार को कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला है.

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