Mobile Phone Manufacturing: भारत में मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग मूल्य के लिहाज से पिछले 10 साल में 21 गुना होकर 4.1 लाख करोड़ रुपये हो गया है. उद्योग निकाय आईसीईए ने बयान में कहा कि सरकार के पीएलआई जैसे नीतिगत उपायों ने स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए वैश्विक कंपनियों को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इंडिया सेल्युलर एंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन (ICEA) ने कहा कि भारत अब अपनी कुल मोबाइल फोन मांग का 97 प्रतिशत स्थानीय स्तर पर उत्पादित करता है रऔ चालू वित्त वर्ष (2023-24) में कुल उत्पादन का 30 प्रतिशत निर्यात के लिए है.
आईसीईए ने कहा, “मोबाइल फोन का उत्पादन 2014-15 के 18,900 करोड़ रुपये से बढ़कर चालू वित्त वर्ष में अनुमानित 4,10,000 करोड़ रुपये हो गया, जो 2,000 प्रतिशत की वृद्धि है. वित्त वर्ष 2014-15 में भारत से मोबाइल फोन का निर्यात महज 1,556 करोड़ रुपये था. उद्योग को वित्त वर्ष 2023-24 के अंत तक 1,20,000 करोड़ रुपये के अनुमानित निर्यात की उम्मीद है. इसका मतलब होगा कि एक दशक में निर्यात में 7,500 प्रतिशत की वृद्धि होगी.”
मैन्युफैक्चरिंग पर एक नोट के अनुसार, स्मार्टफोन के क्षेत्र में एप्पल और सैमसंग ने देश से मोबाइल फोन निर्यात को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. नोट में कहा गया कि भारत निर्मित उपकरणों को बड़ी मात्रा में ब्रिटेन, नीदरलैंड, ऑस्ट्रिया और इटली के अलावा पश्चिम-एशिया और उत्तरी अफ्रीका और दक्षिण अमेरिकी बाजारों में निर्यात किया जा रहा है. निकाय ने कहा, “चालू वित्त वर्ष में उत्पादन का 30 प्रतिशत अब निर्यात के लिए होगा. उद्योग को वित्त वर्ष 2023-24 के अंत तक 1.2 लाख करोड़ रुपये के अनुमानित निर्यात की उम्मीद है.’’ मई, 2017 में भारत सरकार ने मोबाइल हैंडसेट के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (पीएमपी) की घोषणा की थी. भाषा इनपुट के साथ.
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