Machine Learning: कंप्यूटर को इंसानों की तरह सोचने के काबिल बनानेवाले हिंटन और जॉन होपफील्ड को मिला भौतिकी का नोबेल

Machine Learning की बुनियाद समझे जाने वाले तरीके विकसित करने के लिए वैज्ञानिकों को किया गया सम्मानित

By Rajeev Kumar | October 10, 2024 10:48 PM

Machine Learning: जॉन हॉपफील्ड और ज्योफ्री हिंटन को भौतिकी के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा. उनके नाम की घोषणा मंगलवार को की गई. इन दोनों वैज्ञानिकों को संयुक्त रूप से यह पुरस्कार आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) और मशीन लर्निंग से जुड़ी नयी तकनीकों के विकास के लिए दिया गया है. ये तकनीकें आर्टिफिशियल न्यूरॉन्स पर आधारित हैं. इसने मौजूदा समय की शक्तिशाली मशीन लर्निंग तकनीक की नींव रखी है. सरल शब्दों में कहें, तो उन्होंने भौतिकी की मदद से आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क को प्रशिक्षित किया है, ताकि वे हम इंसानों की तरह ही सोच और सीख सकें.

एआइ को मानवता के लिए खतरा बताया

ज्योफ्री हिंटन आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के गॉडफादर कहे जाते हैं. वहीं, जॉन हॉपफील्ड अमेरिकी वैज्ञानिक हैं. ज्योफ्री को जिस मशीन लर्निंग के लिए नोबेल मिला है. उन्होंने उसी के रूप एआइ को मानवता के लिए खतरा बताया था. उन्होंने 2023 में एआइ के विरोध में गूगल से इस्तीफा दे दिया था. एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि एआइ से बड़ी संख्या में नौकरियां खत्म हो जायेंगी.

कंप्यूटर को नये तरीके से इस्तेमाल करना सिखाया

समाज में गलत सूचनाएं तेजी से फैलेंगी, जिसे रोक पाना संभव नहीं होगा. उन्होंने एआइ के लिए खुद को जिम्मेदार मानते हुए अफसोस जताया था. नोबेल देने की घोषणा करते हुए कमेटी ने कहा कि दोनों वैज्ञानिकों ने दुनिया को कंप्यूटर को नये तरीके से इस्तेमाल करना सिखाया है. होपफील्ड ने प्रिंसटन यूनिवर्सिटी में अपना अनुसंधान किया और हिंटन ने यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो में शोध कार्य किया.

क्या है आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क?

जब हम एआइ के बारे में बात करते हैं, तो हमारा मतलब आमतौर पर आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क का उपयोग करके मशीन लर्निंग से होता है. ये नेटवर्क मस्तिष्क के काम करने के तरीके से प्रेरित हैं. एक आर्टिफिशियल न्यूरल नेटवर्क में, मस्तिष्क की कोशिकाओं (न्यूरॉन्स) को अलग-अलग मान वाले बिंदुओं (नोड्स) के रूप में दिखाया जाता है. ये बिंदु कनेक्शन के माध्यम से एक दूसरे को प्रभावित करते हैं, जैसे मस्तिष्क कोशिकाएं सिनेप्स के माध्यम से जुड़ती हैं. नेटवर्क एक ही समय में उच्च मान वाले बिंदुओं के बीच मजबूत कनेक्शन विकसित करके सीखता है.

जॉन हॉपफील्ड
इनकी बनायी गई एसोसिएटिव मेमोरी कंप्यूटर डेटा में मौजूद फोटों और पैटर्न को याद रखने के साथ उन्हें फिर से बनाने में मदद कर सकती है.

ज्योफ्री हिंटन
इनके द्वारा विकसित तकनीक अपने आप आंकड़ों में मौजूद महत्वपूर्ण जानकारियों को खोजती है, जैसे चित्रों में विशिष्ट वस्तुओं को पहचानना.

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