Pager Blast in Lebanon: मंगलवार, 18 सितंबर को लेबनान और सीरिया के कुछ सीमावर्ती क्षेत्रों में सिलसिलेवार धमाके हुए. सड़कों, बाजारों और घरों में लोगों की जेब और हाथ में रखे पेजर में एकाएक विस्फोट होने लगे. लेबनान से लेकर सीरिया तक इन धमाकों का सिलसिला लगभग 1 घंटे तक चला. धमाकों में अब तक 9 लोगों की मौत और 2000 से ज्यादा के जख्मी होने की खबर है. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो ये धमाके हिजबुल्लाह को निशाना बनाकर पेजर के जरिये किये गए थे, और इनमें आम लोगों को भी नुकसान हुआ. हिजबुल्लाह ने इजराइल पर इन धमाकों का आरोप लगाया है.
हिजबुल्लाह का पेजर पर भरोसा दगा दे गया
दरअसल, लेबनान के अधिकांश क्षेत्रों पर हिजबुल्लाह का कब्जा है. इस संगठन ने अपने सैनिकों को हैकिंग और हमलों के खतरे से बचने के लिए मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं करने को कहा है. इसी वजह से इन क्षेत्रों में लोग पेजर का इस्तेमाल करते हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पेजर छोटे इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस होते हैं, जिन्हें संदेश भेजने और प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. आमतौर पर यह टेक्स्ट मैसेज के लिए एक अलार्म के रूप में काम करता है. खबरों की मानें, तो पेजर्स को हैक कर ब्लास्ट किया गया. अब सवाल उठता है कि पेजर क्या होता है, और क्या पेजर की तरह मोबाइल को भी हैक किया जा सकता है?
पेजर क्या होता है?
पेजर एक ऐसा डिवाइस है, जिससे मैसेज सेंड और रिसीव किया जाता है. पेजर का इस्तेमाल 1950 में पहली बार न्यूयॉर्क सिटी में हुआ. उन दिनों इसके जरिये 40 किलोमीटर की रेंज में मैसेज भेजना संभव था. 1980 के दशक में इसका इस्तेमाल पूरी दुनिया में होने लगा. वर्ष 1990 और 2000 के बीच यह भारत समेत दुनियाभर में काफी पॉपुलर था. मोबाइल फोन का युग आने से पहले पेजर का इस्तेमाल काफी ज्यादा किया जाता था. खासकर डॉक्टर, बिजनेसमेन और इमरजेंसी सेवाओं के प्रॉफेशनल्स द्वारा इसका इस्तेमाल ज्यादा किया जाता था, क्योंकि यह संचार का भरोसेमंद साधन माना जाता था. पेजर डिवाइस, रेडियो सिग्नल के जरिये टेक्स्ट मैसेज को सेंड और रिसीव करता है. मोबाइल सर्विस आम लोगों के पहुंच में आने और मोबाइल फोन के पॉपुलर होने के साथ ही पेजर के दिन लद गए.
पेजर कैसे काम करता है?
पेजर रेडियो फ्रीक्वेंसी का इस्तेमाल करता है. किसी को जब मैसेज भेजना होता है, तो पेजर नेटवर्क उस मैसेज को सेंड करता है, जिसे दूसरा पेजर डिवाइस रिसीव करता है. इसमें किसी तरह के इंटरनेट और कॉलिंग की जरूरत नहीं पड़ती है. यह पहाड़ी इलाकों या दूर दराज के क्षेत्रों में ज्यादा भरोसेमंद और फायदेमंद होते हैं. जिन जगहों पर मोबाइल फोन के नेटवर्क कमजोर होता है, वहां पेजर बड़ा काम आता है.
पेजर कितने तरह के होते हैं?
पेजर तीन तरह के होते हैं. पहला- वन वे पेजर. इसमें केवल मैसेज को रिसीव किया जा सकता है. दूसरा है- टू वे पेजर. इसमें मैसेज रिसीव करने के साथ सेंड भी किये जा सकते हैं. तीसरा होता है- वॉयस पेजर. इसमें वॉयस मैसेज को रिकॉर्ड कर शेयर किया जाता है. जब कोई संदेश आता है तो यह बीप या वाइब्रेट करता है. यही वजह है कि इसे बीपर और ब्लीपर भी कहते हैं.
क्या पेजर को हैक कर विस्फोट किया जा सकता है?
पेजर के सिक्योरिटी सिस्टम की मजबूती बहुत ज्यादा नहीं होती है. पेजर सिस्टम इनक्रिप्टेड नहीं होते हैं. इसकी वजह से इसमें मौजूद डेटा को ट्रेस, ट्रैक और कैप्चर किया जा सकता है और इसको हैक भी किया जा सकता है. इसे हैक करने के बाद हैकर्स अपनी कमांड दे सकते हैं.
पेजर में बम की तरह विस्फोट करने की बात करें, तो विस्फोटकों के छोटे रूप को डिवाइस में आसानी से फिट किया जा सकता है. इसके लिए C4 जैसे एक्सप्लोसिव का इस्तेमाल किया जाता है. इन विस्फोटकों को पेजर की बैटरी में फिट किया जाता है. इसके बाद ब्लूटूथ जैसे वायरलेस सिग्नल के इस्तेमाल से सिग्नल भेजे जा सकते हैं, जिससे बैटरी का तापमान बढ़ेगा और एक्सप्लोसिव रिएक्ट करेगा. इससे डिवाइस एक्सप्लोड कर सकता है.
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटिश सेना के एक पूर्व विशेषज्ञ ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि सीरिया और लेबनान में जिन पेजर्स में धमाके हुए, उन डिवाइसेज में 10 से 20 ग्राम तक का मिलिट्री ग्रेड हाई एक्स्प्लोसिव भरा हो सकता है, जिसे नकली इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट के अंदर छिपाया गया हो. एक्सपर्ट ने कहा कि इसे एक सिग्नल के द्वारा ट्रिगर किया गया होगा, जो अल्फान्यूमेरिक टेक्स्ट मैसेज हो सकता है.