Pager War: इजरायल-हमास युद्ध के बीच मध्य-पूर्व में तनाव ने अहम मोड़ ले लिया है. अपने हालिया बयान में युरोपियन कमीशन के उपाध्यक्ष ने यह साफ किया है कि आतंकवाद के खिलाफ बेंजामिन नेतन्याहू किसी प्रकार से झुकने या रुकने के पक्ष में नहीं हैं. उन्होंने कहा कि हमने सारी डिप्लोमैटिक कोशिशें कर ली हैं, लेकिन नेतन्याहू अडिग हैं. लेबनान पर हाल में हुए पेजर हमले का आरोप इजरायल पर लगाया जा रहा है. वहीं दूसरी ओर बीते दिनों इजरायल पर भी कई हमले हुए हैं. ऐसे में प्रश्न यह है कि यह लड़ाई कब तक चलेगी?
3 हजार पेजर डिवाइसेज के माध्यम से हुआ यह हमला
पेजर हमले की ओर ध्यान दें तो यह खुद में एक नया प्रचलन है. पेजर डिवाइस एक ऐसी डिवाइस होती है जो गुप्त सूचनाओं के आदान-प्रदान हेतु उपयोग में लायी जाती है. इसमें स्क्रीन पर छोटा मैसेज फ्लैश होता है. इस डिवाइस में लोकेशन ट्रेसिंग इत्यादि संभव नहीं है, क्योंकि यह एक दूसरे डिवाइस से जुड़ा रहता है, इसमें किसी तरह के नेटवर्क का उपयोग नहीं किया जाता है. ऐसे में संभव है कि यह पूर्व नियोजित योजना है जिसमें पेजर डिवाइस के निर्माण के समय ही किसी विशेष तकनीक का उपयोग किया गया हो. बताया जा रहा है कि लगभग 3 हजार पेजर डिवाइसों के माध्यम से यह हमला किया गया हो, जिससे लेबनान को जानमाल की भारी क्षति पहुंची है. लेकिन इस हमले के पीछे किस व्यक्ति, समूह, संगठन या देश की सहभागिता है यह अभी ज्ञात नहीं हुआ है. हालांकि, प्रभावित देश का आरोप है कि यह कृत्य इजरायल का है.
लेबनान में मुकदमा चला सकता है?
हमने साइबर लॉ एक्सपर्ट अंकित देव अर्पण से जब पूछा कि क्या इस हमले के नुकसान के लिए लेबनान कोई विशेष मांग कर सकता है, या अगर यह ज्ञात होता है कि हमले में इजरायल या किसी इजरायली समूह का हाथ है तो उनपर लेबनान में मुकदमा चला सकता है? इस प्रश्न के जवाब में उन्होंने बताया कि ऐसे मामलों में इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट जाया जा सकता है लेकिन इसके लिए दोनों पक्षों का रोम स्टेट्यूट में शामिल होना अनिवार्य है. गौरतलब है कि लेबनान इसका हिस्सा नहीं है. वहीं रोम स्टेट्यूट के अनुच्छेद 127 के अनुसार इजरायल ने वर्ष 2002 में खुद को हस्ताक्षरी होने से बाहर कर लिया था. ऐसे में यदि इजरायल पर आरोप सिद्ध होता हो तो भी आई.सी.सी के रास्ते बंद रहेंगे. ऐसे में लेबनान इस भारी क्षति के लिए कोई विशेष मांग नहीं रख सकता, ना ही अपने देश में मुकदमा चला सकता है.
युद्ध पर विराम लगाना सबसे बड़ी जरूरत
एक तरफ हुए पेजर हमले और दूसरी तरफ हो रहे हवाई हमले वैश्विक चिंता का विषय हैं. इसमें अन्य मुस्लिम देशों जैसे इरान, इराक, कतर इत्यादि, साथ ही विश्व के अन्य प्रमुख राष्ट्रों जैसे अमेरिका इत्यादि की प्रत्यक्ष या परोक्ष सहभागिता एक बड़े युद्ध की आशंका है. ऐसे में इस युद्ध पर विराम लगाना ही वर्तमान की सबसे बड़ी जरूरत है.
आतंक को समाप्त करने पर जोर
युद्ध विराम की संभावनाओं पर लेक्स साइबर अटॉर्नीज के संस्थापक एवं साइबर लॉयर अंकित देव अर्पण ने बताया कि इन दोनों राष्ट्रों के लिए सबसे आवश्यक है कि इस महासंकट के समय में कूटनीति एवं सर्वे भवन्तु सुखिनः के मार्ग पर चलें. जैसा कि युरोपियन कमीशन के उपाध्यक्ष जोसेफ बोरेल ने यह बयान दिया है कि नेतन्याहू मानने वाले नहीं हैं एवं आतंक के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखने के पक्ष में हैं, ऐसे में आवश्यक है कि आपसी युद्ध के बजाय आतंक को समाप्त करने पर जोर दिया जाए. अंकित देव अर्पण ने आगे बताया कि एक तरफ जहां सऊदी अरब मैत्री कराने के लिए आगे आया है, वहीं दूसरी ओर भारत एवं अमेरिका की सहभागिता भी इस युद्ध को विराम दे सकती है. क्योंकि भारत की विदेश नीति एवं दोनों देशों के साथ संबंध मजबूत हैं, ऐसे में इस वैश्विक चेतावनी से निपटने के लिए भारत एक श्रेष्ठ विकल्प है.
नरसल्लाह की मौत एक टर्निंग प्वाइंट
इजरायल हमले के करीब 20 घंटे बाद हिजबुल्लाह ने यह पुष्टि की है कि उनके चीफ हसन नरसल्लाह की मौत हो गई है. बता दें कि बेरूत में लगभग 80 टन बारूद का हमला इजरायल की सेना द्वारा किया गया था, जिसका परिणाम है कि एक भारी उथल पुथल के बीच नरसल्लाह की मौत हुई है. इस के बाद नेतन्याहू का कहना है कि यह एक टर्निंग प्वाइंट है, और उनका बदला पूरा हुआ. दरअसल इजरायल एवं हमास के युद्ध के समय ही इजरायली प्रधानमंत्री एवं राष्ट्रपति ने यह साफ किया था कि अगर हिजबुल्लाह कोई हस्तक्षेप करता है तो लेबनान को इसका परिणाम भुगतना होगा.
Pager Blast: क्या होता है पेजर? क्या इसे सच में हैक कर ब्लास्ट किया जा सकता है?