What Is Parallel World: प्रयागराज में 144 साल बाद महाकुंभ हो रहा है. रेगुलर मीडिया से लेकर सोशल मीडिया में कुंभ की ही चर्चा है. करोड़ों की संख्या में हर रोज लोग पुण्य की डुबकी लगा रहे हैं. इस मौके पर कई तस्वीरें और वीडियोज भी देखने को मिल रहे हैं. कुछ रियल वर्ल्ड के, तो कुछ पैरेलल वर्ल्ड के भी. जी हां, महाकुंभ से जुड़ी पैरेलल वर्ल्ड की तस्वीरें भी आ रही हैं. इनमें मुकेश अंबानी से लेकर एलन मस्क और सलमान खान से लेकर रोनाल्डो तक संगम में डुबकी लगाते नजर आ रहे हैं. अब आप कहेंगे कि जब ये लोग महाकुंभ गये ही नहीं, तो संगम में डुबकी लगाते हुए इनकी तस्वीरें कैसे वायरल हो गईं? तो जनाब यह कमाल है पैरेलल वर्ल्ड का. आइए समझते हैं इसे-
आज के समय में हर हाथ में स्मार्टफोन और उसमें मौजूद इंटरनेट ने हमारे लिए एक पैरेलल वर्ल्ड तैयार कर दिया है. जहां लगभग हर कोई मौजूद है. हमें जाननेवाले भी और जिन्हें हम जानते हैं, वो भी. हम ऑनलाइन अपनी उपलब्धता बनाये रखते हुए ऑफलाइन वास्तविक लोगों से बात करते हैं. सोशल मीडिया हमारा पैरेलल वर्ल्ड बन गया है. हम यहां उतना ही समय बिताते हैं जितना हम अपने वास्तविक जीवन में बिताते हैं.
इंटरनेट का पैरेलल वर्ल्ड का विचार आमतौर पर उस कल्पना से जुड़ा है, जहां इंटरनेट पर एक तरह का डिजिटल ब्रह्मांड या वर्चुअल रियलिटी मौजूद होती है. इसमें वर्चुअल वर्ल्ड के भीतर अलग-अलग ऑनलाइन स्पेस, सोशल नेटवर्क्स, गेम्स और डिजिटल एंटरटेनमेंट के रूप में ऐसे पैरेलल वर्ल्ड्स होते हैं, जो हमारी वास्तविक दुनिया से अलग होते हुए भी जुड़े होते हैं. वर्चुअल रियलिटी और मेटावर्स, सोशल मीडिया और ऑनलाइन आइडेंटिटी, साइबरस्पेस और हिडन इंटरनेट, ऑनलाइन गेम्स और उनके वर्चुअल वर्ल्ड कुछ ऐसे प्लैटफॉर्म्स हैं, जहां हम में से अधिकांश लोग असल में न हो कर भी वहां मौजूद हैं.
पैरेलल वर्ल्ड सही है या गलत?
इंटरनेट के पैरेलल वर्ल्ड का आइडिया इस बात को दर्शाता है कि इंटरनेट पर वर्चुअल और रियल वर्ल्ड के बीच का अंतर खत्म हो सकता है. डिजिटल दुनिया में लोगों की पहचान, गतिविधियां और इंटरेक्शन वास्तविकता से अलग हो सकते हैं, लेकिन तकनीकी दृष्टिकोण से यह कोई गलत नहीं है. इंटरनेट का पैरेलल वर्ल्ड सच में एक नया अवसर है, जहां लोग अलग-अलग तरीके से अपने एक्सप्रेस कर सकते हैं, शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं, काम कर सकते हैं और सामाजिक रूप से जुड़े रह सकते हैं. ऐसे में यह सही कहा जा सकता है.
दूसरी ओर, कुछ लोग इसे गलत भी मान सकते हैं क्योंकि वर्चुअल दुनिया में लोग वास्तविकता से कटकर अपने अनुभवों को एक और दिशा में ले जाते हैं, जिससे वे सामाजिक या मानसिक रूप से प्रभावित हो सकते हैं. इसके अलावा, इंटरनेट पर डार्क वेब जैसे कुछ अनियंत्रित और असुरक्षित चीजें भी मौजूद हैं, जो गलत कामों के लिए इस्तेमाल होते हैं और इससे इंटरनेट का एक स्याह और खतरनाक पक्ष सामने आता है.
इंटरनेट का पैरेलल वर्ल्ड, यानी डिजिटल या वर्चुअल स्पेस, एक वास्तविक और तकनीकी संभावना है जो वर्तमान समय में विकसित हो रही है. यह न तो पूरी तरह से सही है, न ही पूरी तरह से गलत, बल्कि इसका उपयोग इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कैसे और किस उद्देश्य से इस्तेमाल किया जाता है. जैसे-जैसे इंटरनेट और इससे जुड़ी टेक्नोलॉजी विकसित होगी, यह पैरेलल वर्ल्ड और भी जटिल और वास्तविक हो सकता है.
What Is Parallel World: प्रयागराज में 144 साल बाद महाकुंभ हो रहा है. रेगुलर मीडिया से लेकर सोशल मीडिया में कुंभ की ही चर्चा है. करोड़ों की संख्या में हर रोज लोग पुण्य की डुबकी लगा रहे हैं. इस मौके पर कई तस्वीरें और वीडियोज भी देखने को मिल रहे हैं. कुछ रियल वर्ल्ड के, तो कुछ पैरेलल वर्ल्ड के भी. जी हां, महाकुंभ से जुड़ी पैरेलल वर्ल्ड की तस्वीरें भी आ रही हैं. इनमें मुकेश अंबानी से लेकर एलन मस्क और सलमान खान से लेकर रोनाल्डो तक संगम में डुबकी लगाते नजर आ रहे हैं. अब आप कहेंगे कि जब ये लोग महाकुंभ गये ही नहीं, तो संगम में डुबकी लगाते हुए इनकी तस्वीरें कैसे वायरल हो गईं? तो जनाब यह कमाल है पैरेलल वर्ल्ड का. आइए समझते हैं इसे-
आज के समय में हर हाथ में स्मार्टफोन और उसमें मौजूद इंटरनेट ने हमारे लिए एक पैरेलल वर्ल्ड तैयार कर दिया है. जहां लगभग हर कोई मौजूद है. हमें जाननेवाले भी और जिन्हें हम जानते हैं, वो भी. हम ऑनलाइन अपनी उपलब्धता बनाये रखते हुए ऑफलाइन वास्तविक लोगों से बात करते हैं. सोशल मीडिया हमारा पैरेलल वर्ल्ड बन गया है. हम यहां उतना ही समय बिताते हैं जितना हम अपने वास्तविक जीवन में बिताते हैं.
इंटरनेट का पैरेलल वर्ल्ड का विचार आमतौर पर उस कल्पना से जुड़ा है, जहां इंटरनेट पर एक तरह का डिजिटल ब्रह्मांड या वर्चुअल रियलिटी मौजूद होती है. इसमें वर्चुअल वर्ल्ड के भीतर अलग-अलग ऑनलाइन स्पेस, सोशल नेटवर्क्स, गेम्स और डिजिटल एंटरटेनमेंट के रूप में ऐसे पैरेलल वर्ल्ड्स होते हैं, जो हमारी वास्तविक दुनिया से अलग होते हुए भी जुड़े होते हैं. वर्चुअल रियलिटी और मेटावर्स, सोशल मीडिया और ऑनलाइन आइडेंटिटी, साइबरस्पेस और हिडन इंटरनेट, ऑनलाइन गेम्स और उनके वर्चुअल वर्ल्ड कुछ ऐसे प्लैटफॉर्म्स हैं, जहां हम में से अधिकांश लोग असल में न हो कर भी वहां मौजूद हैं.
पैरेलल वर्ल्ड सही है या गलत?
इंटरनेट के पैरेलल वर्ल्ड का आइडिया इस बात को दर्शाता है कि इंटरनेट पर वर्चुअल और रियल वर्ल्ड के बीच का अंतर खत्म हो सकता है. डिजिटल दुनिया में लोगों की पहचान, गतिविधियां और इंटरेक्शन वास्तविकता से अलग हो सकते हैं, लेकिन तकनीकी दृष्टिकोण से यह कोई गलत नहीं है. इंटरनेट का पैरेलल वर्ल्ड सच में एक नया अवसर है, जहां लोग अलग-अलग तरीके से अपने एक्सप्रेस कर सकते हैं, शिक्षा प्राप्त कर सकते हैं, काम कर सकते हैं और सामाजिक रूप से जुड़े रह सकते हैं. ऐसे में यह सही कहा जा सकता है.
दूसरी ओर, कुछ लोग इसे गलत भी मान सकते हैं क्योंकि वर्चुअल दुनिया में लोग वास्तविकता से कटकर अपने अनुभवों को एक और दिशा में ले जाते हैं, जिससे वे सामाजिक या मानसिक रूप से प्रभावित हो सकते हैं. इसके अलावा, इंटरनेट पर डार्क वेब जैसे कुछ अनियंत्रित और असुरक्षित चीजें भी मौजूद हैं, जो गलत कामों के लिए इस्तेमाल होते हैं और इससे इंटरनेट का एक स्याह और खतरनाक पक्ष सामने आता है.
इंटरनेट का पैरेलल वर्ल्ड, यानी डिजिटल या वर्चुअल स्पेस, एक वास्तविक और तकनीकी संभावना है जो वर्तमान समय में विकसित हो रही है. यह न तो पूरी तरह से सही है, न ही पूरी तरह से गलत, बल्कि इसका उपयोग इस बात पर निर्भर करता है कि इसे कैसे और किस उद्देश्य से इस्तेमाल किया जाता है. जैसे-जैसे इंटरनेट और इससे जुड़ी टेक्नोलॉजी विकसित होगी, यह पैरेलल वर्ल्ड और भी जटिल और वास्तविक हो सकता है.
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