Semiconductor Chip: इसमें ऐसा क्या है जिसके लिए पूरी दुनिया हुई दीवानी? भारत ने भी उठाये बड़े कदम
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग में वृद्धि के साथ, भारत में सेमीकंडक्टर की मांग में भारी वृद्धि देखी जा रही है. इसी कारण देश में सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए अवसर भी बढ़ रहे हैं. भारत को विनिर्माण का गढ़ बनाने और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए सरकार ने मेक इन इंडिया अभियान शुरू किया.
Semiconductor Chip: गुजरात के गांधीनगर में हाल ही में सेमीकॉन इंडिया सम्मेलन का आयोजन हुआ. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया. इस दौरान उन्होंने प्रौद्योगिकी फर्मों को भारत में सेमीकंडक्टर उद्योग लगाने के लिए 50 प्रतिशत वित्तीय सहायता देने की बात भी कही. यह बताता है कि सरकार देश को सेमीकंडक्टर उत्पादन के वैश्विक केंद्र बनाने को लेकर प्रतिबद्ध है. सरकार भारत को सेमीकंडक्टर की सप्लाई चेन का हब बनाना चाहती है. इसके लिए कंपनियों काे भारी इंसेंटिव दिया जा रहा है. भारत में इस दशक के अंत तक इसका बाजार 110 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो ग्लोबल मार्केट का 11 प्रतिशत होगा. यह सेक्टर अगले 10 साल में देश की जीडीपी में 60 से 70 हजार करोड़ रुपये का योगदान कर सकता है. यही कारण है कि दुनिया के बड़े-बड़े देश इसके पीछे पड़े हैं. भारत के लिए ऐसा करना आवश्यक भी है क्योंकि देश में सेमीकंडक्टर की मांग में अत्यधिक वृद्धि दर्ज हुई है. भारतीय सेमीकंडक्टर बाजार की स्थिति, वैश्विक स्तर पर इस बाजार का हाल समेत सेमीकंडक्टर विनिर्माण उद्योग से जुड़े विभिन्न तथ्यों के बारे में आइए जानते हैं –
इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स का दिल होता है सेमीकंडक्टर चिप
सेमीकंडक्टर चिप को इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स का दिल माना जाता है. इसका इस्तेमाल स्मार्टफोन, कम्प्यूटर, लैपटॉप, टैबलेट, स्मार्ट डिवाइसेज, व्हीकल्स, हाउसहोल्ड अप्लायंसेज, एग्री टेक, लाइफ सेविंग फार्मास्यूटिकल डेवाइसेज, एटीएम और कई तरह के प्रोडक्ट्स में होता है. यही वजह है कि सरकार देश में चिप की मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देना चाहती है. मोदी सरकार ने देश की इकोनॉमिक स्ट्रैटेजी में चिप मैन्यूफैक्चरिंग को शीर्ष प्राथमिकता दी है. सरकार देश में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग का नया युग शुरू करना चाहती है और इसलिए दुनियाभर की कंपनियों को भारत आने का न्योता दे रही है.
भातर सरकार का ‘मेक इन इंडिया’ अभियान
इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के उपयोग में वृद्धि के साथ, भारत में सेमीकंडक्टर की मांग में भारी वृद्धि देखी जा रही है. इसी कारण देश में सेमीकंडक्टर निर्माण के लिए अवसर भी बढ़ते जा रहे हैं. भारत को विनिर्माण का गढ़ बनाने और आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए ही वर्तमान सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ जैसे महत्वाकांक्षी अभियान शुरू किया. इसी कारण विगत कुछ वर्षों में देश में इलेक्ट्रॉनिक और इलेक्ट्रिक उपकरणों के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. मोबाइल फोन से लेकर मोबाइल एक्सेसरीज तक, टीवी, कंप्यूटर से लेकर इलेक्ट्रिक स्कूटर तक के निर्माण में भारत निरंतर आगे बढ़ रहा है. इन सभी उपकरणों के लिए सेमीकंडक्टर की जरूरत है, सो इसकी मांग में वृद्धि दर्ज हो रही है. ऐसे में देश के सेमीकंडक्टर बाजार का बढ़ना स्वाभाविक है. इसे देखते हुए ही कई स्टार्टअप और कंपनियां सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में प्रवेश कर कर रही हैं. ऐसे में देश में इस उद्योग के खूब फलने-फूलने की संभावना भी व्यक्त की जा रही है.
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सेमीकंडक्टर उद्योग को बढ़ावा देना जरूरी
भारत के तेजी से बढ़ते ऑटोमोटिव और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण उद्योगों के कारण, हाल के वर्षों में देश में सेमीकंडक्टर की मांग में नाटकीय रूप से वृद्धि दर्ज हुई है. पर मांग की तुलना में आपूर्ति कम है. भारत दुनिया में मोबाइल फोन का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. देश का मोबाइल उत्पादन जहां 2014- 2015 में छह करोड़ (60 मिलियन) था वह 2020- 21 में बढ़कर लगभग 30 करोड़ (300 मिलियन) पर पहुंच गया. चूंकि सेमीकंडक्टर चिप की जरूरत कई उपकरणों के लिए होती है, इस कारण बहुत से व्यवसाय सेमीकंडक्टर उद्योग पर बहुत अधिक निर्भर हैं. इसी वजह से भारत को सेमीकंडक्टर चिप का उत्पादन करने और आयात पर अपनी निर्भरता कम करने की आवश्यकता है. इसके अतिरिक्त, भारत रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना चाहता है, वह रक्षा उपकरणों के आयात को कम करने की कोशिश में है. मिसाइल गाइडेंस प्रणाली, विमानन और नौसैनिक नौवहन के साथ कई अन्य रक्षा प्रणालियों के लिए सेमीकंडक्टर बहुत जरूरी हैं. ऐसे में सेमीकंडक्टर चिप की कमी दूर करने के लिए, भारत को अपने इस उद्योग को बढ़ावा देना आवश्यक हो गया है.
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2026 तक 64 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा भारत का सेमीकंडक्टर बाजार
भारत सरकार ने देश में सेमीकंडक्टर के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन से जुड़े कई कार्यक्रम और अन्य प्रोत्साहन योजनाएं शुरू की है, जिससे देश के सेमीकंडक्टर बाजार के आगे बढ़ने की संभावना है. भारत के वर्तमान सेमीकंडक्टर बाजार को दूरसंचार, ऑटोमोटिव,
64 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है भारतीय सेमीकंडक्टर बाजार के 2026 तक, जो • 2020 के 15 अरब डॉलर से चार गुना से भी अधिक है. इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन के अनुसार.
400 अरब डॉलर मूल्य तक पहुंच जायेगा भारत में सेमीकंडक्टर का उपभोग, 2025 तक, 2019 के 21 अरब डॉलर से बढ़कर. इंडिया इलेक्ट्रॉनिक्स एंड सेमीकंडक्टर एसोसिएशन और कोटरा मुंबई ट्रेड सेंटर के अनुमान के अनुसार.
एरोस्पेस और रक्षा, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, औद्योगिक, मोबाइल व वियरेबल इक्विपमेंट तथा सूचना प्रौद्योगिकी वर्तमान में भारत अपनी चिप की जरूरतों को पूरा करने के लिए आयात पर निर्भर है और 2025 तक इस बाजार के 100 अरब डॉलर पर पहुंचने का अनुमान है.
80 अरब डॉलर से अधिक पर पहुंच सकती है भारत के घरेलू सेमीकंडक्टर उत्पादन की खपत घरेलू स्तर पर, 2026-2030 तक, एक अनुमान के अनुसार. 30 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान है भारतीय सेमीकंडक्टर बाजार में ऑटोमोटिव टेक्नोलॉजी का अनुपात वर्तमान के 25 प्रतिशत से बढ़कर, आने वाले वर्षों में.
52 प्रतिशत हिस्सा है मोबाइल और वियरेबल टेक्नोलॉजी का भारतीय सेमीकंडक्टर बाजार में.
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इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन क्या है?
इंडिया सेमीकंडक्टर मिशन (आइएसएम) डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन के भीतर एक विशेष और स्वतंत्र बिजनेस डिवीजन है जिसका उद्देश्य देश में सेमीकंडक्टर और डिसप्ले इकोसिस्टम का निर्माण करना है, ताकि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण और डिजाइन के क्षेत्र में एक वैश्विक केंद्र के रूप में उभर सके. इस डिवीजन के अनेक कार्य हैं. जैसे, देश में सेमीकंडक्टर के विकास और डिसप्ले इकोसिस्टम से संबंधित मामलों पर भारत सरकार को सलाह देना. भारत में सेमीकंडक्टर के डिजाइन और निर्माण के लिए निवेश को आकर्षित करने के उपाय करना. डिसप्ले फैब्रिकेशन और सेमीकंडक्टर पैकेजिंग समेत सेमीकंडक्टर के निर्माण से जुड़ी योजनाओं / गतिविधियों को लागू करना. इन सबके अलावा भी सेमीकंडक्टर व डिसप्ले इकोसिस्टम के निर्माण को मजबूती देने के लिए डिवीजन को अनेक जिम्मेदारियों का निर्वहन करना होता है.
इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन 100 अरब डॉलर के पार
गुजरात के गांधीनगर में पिछले दिनों आयोजित सेमीकॉन इंडिया 2023 सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत विश्व में सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए एक सशक्त ऊर्जा संवाहक के रूप में उभरा है. उन्होंने प्रौद्योगिकी फर्मों को भारत में सेमीकंडक्टर विनिर्माण उद्योग लगाने के लिए 50 प्रतिशत वित्तीय सहायता देने की बात भी कही. यह भी कहा कि सरकार ने कुशल इंजीनियरों की तैयारी के लिए तीन सौ से अधिक शैक्षणिक संस्थानों की पहचान की है जो सेमीकंडक्टर क्षेत्र के अनुरूप पाठ्यक्रम उपलब्ध करायेंगे. सेमीकॉन इंडिया सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने बताया कि भारत में इलेक्ट्रॉनिक उद्योग का तेजी से विकास हो रहा है. पिछले नौ वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक विनिर्माण और निर्यात में भी महत्वपूर्ण वृद्धि हुई है. वर्ष 2014 में जहां भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन 30 अरब डॉलर से भी कम था, आज वह 100 अरब डॉलर को पार कर गया है. दो वर्षों में भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात दोगुना हो गया है. भारत में निर्मित मोबाइल का निर्यात भी दोगुना हो गया है.
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भारतीय सेमीकंडक्टर निर्माता कंपनियां
सीडीआइएल : कॉन्टिनेंटल डिवाइस इंडिया लिमिटेड (सीडीआइएल) को भारत में सिलिकॉन सेमीकंडक्टर चिप और उपकरणों के निर्माण का अगुआ माना जाता है.’ आज जबकि सेमीकंडक्टर की भारी मांग है, तो इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए कंपनी के पास उत्कृष्ट पेशेवर और प्रौद्योगिकी दोनों ही मौजूद हैं.
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड : भारत सरकार के स्वामित्व वाली यह कंपनी सेमीकंडक्टर सहित एरोस्पेस और रक्षा कंपनियों के लिए अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों का निर्माण करती है. इस ने सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में काफी इनोवेशन किया है. यह देश की प्रमुख सेमीकंडक्टर निर्माता है.
मसाम्ब इलेक्ट्रॉनिक्स : यह कंपनी भारत में कई तरह की सेमीकंडक्टर सेवाएं उपलब्ध कराती है. इस कंपनी को वीएसएलआइ डिजाइन, आरएलेटी डिजाइन, ईडीए और ओईएम डिजाइन में महारथ हासिल है.
सेमट्रॉनिक्स माइक्रोसिस्टम्स : यह कई तरह के पावर इलेक्ट्रॉनिक उत्पादों को तैयार करती है. यह वैसे उत्पाद बनाती है जो भारतीयों के लिए उपयुक्त. हो. यह बैटरी मैनेजमेंट, सीक्वेंसर, एनालॉग सर्किट और स्विचिंग रेगुलेटर उत्पादों और सेवाओं को उपलब्ध कराती है.
कुछ महत्वपूर्ण तथ्य
प्रौद्योगिकी कंपनी एएसएमएल के अनुमान के अनुसार, 2020 में वैश्विक स्तर पर 932 अरब चिप का उत्पादन गयी. और बिक्री हुआ. जबकि 2021 में 1.15 ट्रिलियन चिप का दुनियाभर में निर्यात हुआ
जनवरी 2019 में 38.22 अरब सेमीकंडक्टर दुनियाभर में बेचे गये. दिसंबर 2021 तक यह बिक्री 50.85 अरब और जनवरी 2023 तक 41.33 अरब पर पहुंच
80 प्रतिशत सेमीकंडक्टर का निर्माण एशिया में होता है
दुनिया के सर्वाधिक उन्नत सेमीकंडक्टर के 92 प्रतिशत का निर्माण ताइवान में होता है.