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मोबाइल फोन बाजार में आत्मनिर्भर बना भारत, इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट्स बनाने को लेकर ऐसी है सरकार की तैयारी

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के सचिव एस कृष्णन ने कहा कि 99 प्रतिशत स्थानीय मोबाइल फोन बाजार घरेलू विनिर्माण के जरिए पूरा किया जा रहा है.

इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय के सचिव एस कृष्णन ने कहा कि सरकार अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देने की योजनाओं पर भी काम कर रही है और उद्योग के साथ सहयोग करने की योजना बना रही है. सरकार का ध्यान अब देश में इलेक्ट्रॉनिक्स घटक विनिर्माण को बढ़ावा देने पर है और इसके लिए नयी योजना पर काम जारी है. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने यह बात कही. एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि सरकार अब भारत में इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के विनिर्माण को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है और इसके संबंध में एक नयी योजना विकसित करने पर काम कर रही है.

सीआईआई इलेक्ट्रॉनिक शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए, इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के सचिव एस कृष्णन ने कहा कि वर्तमान में घरेलू मोबाइल फोन बाजार का अधिकांश हिस्सा स्थानीय निर्माताओं के माध्यम से पूरा किया जा रहा है. 99 प्रतिशत स्थानीय मोबाइल फोन बाजार घरेलू विनिर्माण के माध्यम से पूरा किया जा रहा है, और विकास के अगले चरण के लिए कंपनियों को प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार और मूल्य संवर्धन बढ़ाकर निर्यात करने की आवश्यकता है.

पीटीआई भाषा की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारी ने कहा- यदि हमारी प्रतिस्पर्धात्मकता को बेहतर बनाए रखने की आवश्यकता है तो चुनौती वास्तव में देश में असेंबली इकाइयों के मूल्यवर्धन के लगभग 10 से 15 प्रतिशत पर निर्भर रहना नहीं है, बल्कि यह देखना है कि हम और क्या कर सकते हैं, हम मूल्य श्रृंखला में कैसे आगे बढ़ सकते हैं? जैसा कि किया गया है.

सीआईआई इलेक्ट्रॉनिक शिखर सम्मेलन में इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) के सचिव एस कृष्णन ने कहा कि 99 प्रतिशत स्थानीय मोबाइल फोन बाजार घरेलू विनिर्माण के जरिए पूरा किया जा रहा है. वृद्धि के अगले चरण के लिए कंपनियों को प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार और मूल्य संवर्धन बढ़ाकर निर्यात करने की आवश्यकता है.

कृष्णन ने कहा, यदि हमें प्रतिस्पर्धात्मकता को बेहतर बनाए रखने की जरूरत है तो चुनौती वास्तव में देश में असेंबली इकाइयों के मूल्यवर्धन के करीब 10 से 15 प्रतिशत पर निर्भर रहना नहीं है, बल्कि यह देखना है कि हम और क्या कर सकते हैं, हम मूल्य श्रृंखला में कैसे आगे बढ़ सकते हैं. उन्होंने कहा कि कोई भी देश कभी भी संपूर्ण मूल्य श्रृंखला का मालिक नहीं होगा. यह मूल्य श्रृंखला का केवल एक हिस्सा होगा जिसे भारत को लक्षित करने की जरूरत है. उन्होंने साथ ही कहा कि उद्योग को स्थानीय स्तर पर इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए आवश्यक पूंजीगत उपकरणों के उत्पादन पर भी ध्यान देना चाहिए.

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