Jharkhand News: वर्ष 2018 में 14वें वित्त आयोग के 156 करोड़ खर्च कर विभिन्न वार्डों में इंटीग्रेटेड सड़क बनायी गयी. 38 ग्रुप का टेंडर हुआ. इंटीग्रेटेड सड़क का कॉन्सेप्ट था कि रोड के साथ नाली व स्ट्रीट लाइट भी होगी, ताकि सड़क 10 से बारह साल तक आसानी से चल सके. 2018 में काम शुरू हुआ. कुछ का काम पूरा हो गया, तो कुछ का 80-90 प्रतिशत तक काम हुआ. इसी बीच गुमनाम पत्र पर एसीबी जांच शुरू हो गयी. इसी के साथ नगर निगम प्रशासन ने इंटीग्रेटेड सड़कों के निर्माण पर रोक लगा दी. 2019 से शहर के कई मुहल्ले अंधेरे में है. नगर निगम का तर्क है कि इंटीग्रेटेड सड़कों की जांच एसीबी कर रही है. लिहाजा उन सड़कों पर कुछ भी नया काम नहीं किया जा सकता है. दूसरी ओर समस्या झेल रहे लोगों का कहना है कि अधिकारी और ठेकेदार मिलकर घोटाला करते हैं. जांच से हमें क्या मतलब है. हम क्यों बर्दाश्त करें?
एक दिन भी नहीं जली स्ट्रीट लाइट
धनबाद के रघुवर नगर में लगभग एक हजार लोग रहते हैं. यहां के लोग शाम होते ही अपने घरों में दुबक जाते हैं. सड़कों पर अंधेरा पसर जाता है. 2018 में इंटीग्रेटेड सड़क बनी. सड़क के साथ स्ट्रीट लाइट भी लगायी गयी. स्ट्रीट लाइट एक दिन भी नहीं जली. यह इलाका नया है. चोरी का डर रहता है. अंधेरे का लाभ असामाजिक तत्व उठाते हैं. पियक्कड़ों का जमावड़ा लग जाता है. इस वजह से शाम होने के बाद महिलाएं घर से नहीं निकलती हैं. प्राक्कलन घोटाला में फंसने के कारण स्ट्रीट लाइट पिछले तीन साल से बुझी हुई है.
शहर में इन जगहों पर बनी है इंटीग्रेटेड सड़क
रघुवर नगर, सुगियाडीह, कुसुम विहार, कोलाकुसमा, विनोद नगर, धैया आदि जगहों पर शहर में इंटीग्रेटेड सड़क का निर्माण हुआ है. इन जगहों पर 1100 लाइट लगायी गयी थी, जो जल नहीं रहीं.
Also Read: झारखंड : गोड्डा की 24 पंचायतों में जल्द होगा बालू का उठाव, डीसी को भेजी रिपोर्ट
38 करोड़ के निर्माण कार्य पर है रोक
एसीबी जांच के कारण कुछ वार्डों में 38 करोड़ का काम रोका गया है. इसमें वार्ड नंबर 23 में अलग-अलग ग्रुप में 4.91 करोड़, वार्ड नंबर 21 में अलग-अलग ग्रुप में 2 करोड़ 31 लाख, वार्ड नंबर 39 में अलग-अलग ग्रुप में 4 करोड़ 97 लाख, वार्ड नंबर 03 में अलग-अलग ग्रुप में 4.57 करोड़, वार्ड नंबर 22 आदि वार्डों में सड़कों का काम रोका गया है. इसके अलावा वेस्ट मोदीडीह से लेकर गुहीबांध में 2.39 करोड़ का काम रोका गया है. जब तक जांच पूरी नहीं होगी, इन वार्डों में काम शुरू नहीं होगा.
रघुवर नगर के लोग बोले : घर से बेटी-बहू नहीं निकल पातीं
एमबी वैद्य का कहना है कि अंधेरे में हमलोग रह रहे हैं. प्राक्कलन घोटाला से हमलोगों को क्या लेना-देना. टोल फ्री नंबर पर शिकायत करने पर भी रिस्पांस नहीं मिलता है. अंधेरे के कारण शाम ढलते ही सड़कों पर असमाजिक तत्वों का जमावड़ा लगने लगता है. घर से बहू-बेटी नहीं निकल पाती है. वहीं, विनय कुमार सिंह का कहना है कि तीन साल पहले इंटीग्रेटेड सड़क बनी. स्ट्रीट लाइट भी लगायी गयी. लेकिन एक दिन भी मुहल्ला में उजाला नहीं हुआ. सोसाइटी ने अपने फंड से एक-दो जगहों पर लाइट लगवायी है. अंधेरे के कारण आये दिन चोरी की घटना हो रही है. शिकायत करने पर भी कुछ नहीं होता है.
2019 से स्ट्रीट लाइट बुझी हुई है
जनार्दन साह का कहना है कि रघुवर नगर की सड़कों पर शाम ढलते ही अंधेरा पसर जाता है. 2019 से स्ट्रीट लाइट बुझी हुई है. कॉलोनी की सोसाइटी ने अपने स्तर से कुछ लाइट लगायी है, लेकिन उसका भी मेंटेनेंस नहीं होता है. शाम ढलते ही सड़क के किनारे शराबियों का अड्डा बन जाता है. वहीं, तारकेश्वर ठाकुर का कहना है कि इंटीग्रेटेड सड़क बनी है, वह भी आधी-अधूरी है. 2019 में अचानक ठेकेदार काम छोड़कर भाग गया. हमलोग नगर निगम को टैक्स देते हैं. प्राक्कलन घोटाला से हमलोगों का क्या लेना-देना. टैक्स देते हैं, तो सुविधा भी मिलनी चाहिए.
Also Read: गुड न्यूज : झारखंड में वनोपज की होगी ब्रांडिंग, किसानों को मिलेंगे उचित दाम