पाकुड़ : देश को 2025 तक टीबीमुक्त बनाने की कवायद चल रही है. इसको लेकर जिला स्तर से लेकर ग्राम पंचायत स्तर तक टीबी मरीजों की खोज की जा रही है. ग्राम पंचायत को टीबी जैसी गंभीर बीमारी से मुक्त कराने को लेकर जिले भर के 1135 सहिया समेत स्वास्थ्यकर्मियों वरीय चिकित्सा पर्यवेक्षक, लैब टेक्नीशियन, डीपीसी, डाटा एंट्री ऑपरेटर, डीपीपीएमसी को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. ताकि ग्राम पंचायत स्वस्थ, समृद्ध व खुशहाल बन सके. जिले के सभी प्रखंडों में यह प्रशिक्षण चल रहा है. कुछ प्रखंडों में यह कार्य पूर्ण भी कर लिया गया है. बता दें कि जिलेभर में वर्तमान में 1200 की संख्या में टीबी के मरीज इलाजरत हैं. इनका इलाज स्वास्थ्य विभाग द्वारा किया जा रहा है.
टीबी मुक्त पंचायत बनाने में सहिया के साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग के कर्मियों की अलग-अलग जिम्मेदारी तय की गयी है. सहिया साथियों के माध्यम से टीबी मरीजों का पता लगाया जाएगा. गांव-गांव जाकर टीबी मरीज के बारे में जानकारी एकत्रित करने का काम सहिया करेंगी. इनके द्वारा टीबी मरीजों के लक्षण जैसे दो हफ्ता से खांसी, बुखार आना, वजन में कमी, रात को पसीना आना आदि के बारे में जानकारी लेकर जिला यक्ष्मा पदाधिकारी को सूचित करेंगी. इसके अलावा वरीय चिकित्सा पर्यवेक्षक को जिले में टीबी मरीजों को ऑनलाइन करना, बैंक खाता संख्या लेकर उनके खाता को अपडेट करना, सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के तहत उनके खाते में सही समय पर राशि भिजवाना, पूर्व में ठीक हो चुके टीबी मरीजों का फॉलोअप लेना आदि सम्मिलित है. वहीं लैब टेक्नीशियन की भूमिका अहम मानी जाती है. लैब टेक्नीशियन द्वारा बलगम की जांच कर रिपोर्ट तैयार करना होता है और इसे ऑनलाइन में प्रविष्ट करने की जिम्मेदारी इन्हें दी गयी है. वहीं डीपीसी को ग्रामीण स्तर पर जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी दी गयी है. इसके अलावा डीपीपीएमसी द्वारा निजी संस्थानों में जहां टीबी का इलाज किया जाता है, उसे डॉट बनाकर प्राइवेट क्लीनिक में सरकारी दवा उपलब्ध कराना है.
जिला यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ एहतेशामुद्दीन ने बताया कि देश की 70 प्रतिशत आबादी गांवों में निवास करती है. ग्राम पंचायत को स्वस्थ, समृद्ध व खुशहाल बनाकर देश को समृद्ध बनाया जा सकता है. गांव से लेकर शहर तक में टीबी के मरीज सामने आ रहे हैं. जरूरी है कि पहले उन्हें टीबी जैसी गंभीर बीमारियों से मुक्त बनाया जाए. कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा आह्वान किया गया है कि 2025 तक भारत को टीबीमुक्त बनाना है. इस दिशा में स्वास्थ्य विभाग प्रयासरत है. बताया कि टीबी मरीज की रोकथाम को लेकर प्रयास किये जा रहे हैं. जिले के प्रत्येक पंचायत में टीबी खोज अभियान चलाया जा रहा है. साथ ही टीबी मरीज पाए जाने पर उसका नि:शुल्क इलाज किया जा रहा है. पाकुड़ ट्राइबल जिला होने के कारण सरकार द्वारा संचालित योजनाओं के तहत उन्हें यात्रा भत्ता के रूप में 700 रुपये तथा उनके पोषण के लिए बीमारी ठीक नहीं होने तक 500 रुपये दिया जाता है.
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