झारखंड के गढ़वा में 130 मनरेगा कर्मी हटाये गये, जानें पूरा मामला
jharkhand news: गढ़वा जिले में मनरेगा कार्य में दैनिक पारिश्रमिक पर सेवा दे रहे 130 कर्मियों को हटा दिया गया है. मनरेगा आयुक्त के पत्र के आलोक में डीडीसी ने सृजित पदों के अतिरिक्त कर्मियों से काम लेने पर रोक लगा दी है.
Jharkhand news: गढ़वा जिले में मनरेगा कार्य में दैनिक पारिश्रमिक (कंटिजेंसी) पर सेवा दे रहे 130 कर्मियों को हटा दिया गया है. जिनको हटाया गया है उनमें कंप्यूटर ऑपरेटर, चालक, अनुसेवक, नाइट गाइड, झाड़ुकश आदि शामिल हैं. ये सभी कर्मी मनरेगा के सृजित पदों से अलग कंटिजेंसी मद से करीब 10-10 सालों से गढ़वा जिले के विभिन्न प्रखंडों में अपनी सेवा दे रहे थे.
मनरेगा आयुक्त ने दिया निर्देश
इसको लेकर डीडीसी की ओर से जिले के सभी प्रखंड विकास पदाधिकारी को संबोधित ज्ञापांक 221, दिनांक 14 मार्च 2022 के माध्यम से निर्गत पत्र में कहा गया है कि मनरेगा आयुक्त, ग्रामीण विकास विभाग की ओर से मनरेगा अंतर्गत सृजित पदों के अतिरिक्त अन्य पदों पर कार्यरत कर्मियों से काम नहीं लेने का आदेश प्राप्त है. इस वजह से गढ़वा जिले में वैसे कर्मी जो मनरेगा अंतर्गत सृजित पद के विरूद्ध कार्यरत नहीं हैं, उनका पारिश्रमिक या मानदेय का भुगतान मनरेगा प्रशासनिक मद से नहीं किया जायेगा.
बीडीओ को 2 दिनों में कार्रवाई करने का निर्देश
कहा गया है कि अगर इस आदेश का उल्लंघन किया जाता है, तो इसे वितीय अनियमितता समझा जायेगा और इसकी पूर्ण जवाबदेही उनकी (बीडीओ) की होगी़ सभी बीडीओ को 2 दिनों के अंदर कार्रवाई कर प्रतिवेदन सुनिश्चित करने को कहा गया है. इस पत्र के हिसाब से गढ़वा जिले में सृजित पदों के अलावे करीब 130 कर्मी बहाल हैं, जिनमें सबसे ज्यादा कंप्यूटर ऑपरेटर शामिल हैं.
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कंप्यूटर ऑपरेटर्स के अतिरिक्त पद का मनरेगा नहीं करेगा भुगतान
मालूम हो कि गढ़वा जिले में मनरेगा के लिए सिर्फ प्रखंड कार्यक्रम पदाधिकारी, सहायक अभियंता, कनीय अभियंता, लेखा सहायक, रोजगार सेवक एवं कंप्यूटर सहायक के पद शामिल हैं. सृजित पदों के अलावे भी अलग से मनरेगा कार्य के लिए अलग-अलग प्रखंडों में अलग-अलग संख्या में कंप्यूटर ऑपरेटर रखे गये हैं, लेकिन इस पत्र के आलोक में कंप्यूटर ऑपरेटरों के अतिरिक्त पद का भुगतान मनरेगा से नहीं होगा.
बीडीओ चाहे तो अन्य स्रोत्र से भुगतान कर सकते हैं : डीडीसी
इस संबंध में डीडीसी राजेश कुमार राय ने बताया कि उपरोक्त लोगों को मनरेगा से कभी रखा ही नहीं गया था, तो हटाने का सवाल ही कहां है. जरूरत से ज्यादा लोगों को कंटिजेंसी मद से भुगतान किया जा रहा था. कई प्रखंडों में छह-आठ कंप्यूटर ऑपरेटर थे, जिसकी जरूरत ही नहीं थी. मनरेगा में सबकुछ ऑनलाइन है. यह केंद्र सरकार की राशि है. इसमें ऊपर से मिले निर्देश के हिसाब से ही काम किया जाता है. बीडीओ मनरेगा के अलावे अपने अन्य स्रोत्र से चाहें, तो उसे रख सकते हैं.
रिपोर्ट : पीयूष तिवारी, गढ़वा.