देखकर ही बुझाइए प्यास : धनबाद में सालों पहले शुरू हुईं 15 जलापूर्ति योजनाएं अब तक अधूरी
धनबाद में जलापूर्ति योजनाओं का बुरा हाल है. करीब चार हजार करोड़ रुपये की लागत से शुरू 15 बड़ी जलापूर्ति योजनाएं अबतक पूरी नहीं हो पायी हैं. हर घर नल जल योजना भी फेल है. जलमीनार बनी, पाइप बिछा, पर घरों में पानी नहीं पहुंचा. आज भी बड़ी आबादी पानी के लिए नदी, तालाब और जोरिया पर निर्भर है.
धनबाद में हर घर नल जल योजना का बुरा हाल है. जलमीनारों का निर्माण किया गया, पाइप बिछायी गयी. यहां तक कि घरों में कनेक्शन देकर नल भी जोड़ दिये गये, पर एक बूंद पानी नहीं आया. ग्रामीण क्षेत्र के लोग आज भी पानी के लिए नदी, तालाब और जोरिया पर निर्भर हैं. बताते चलें कि जलसंकट दूर करने के लिए कई जलापूर्ति योजनाएं जिले में शुरू की गयीं, लेकिन डेडलाइन खत्म होने के बाद भी 42 से 90 प्रतिशत तक ही काम हो पाया है. पिछले 12 वर्षों में एक-दो योजनाओं का लाभ ही जनता को मिला. दर्जनों जलापूर्ति योजनाएं अब तक मूर्त रूप नहीं ले सकी हैं. इनमें बलियापुर ग्रामीण पेयजल योजना तथा गोविंदपुर-निरसा दक्षिणी व उत्तरी जलापूर्ति योजना शामिल हैं. बलियापुर की योजना वर्ष 2019 में ही पूरी होनी थी. जानकार बताते हैं कि करीब चार हजार करोड़ रुपये की लागत से शुरू 15 बड़ी जलापूर्ति योजनाएं अबतक पूरी नहीं हो पायी हैं.
धनबाद में जलापूर्ति योजनाओं का हाल
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योजना लागत कब होनी थी पूरी कितना काम हुआ
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शहरी जलापूर्ति फेज टू 441 करोड़ दिसंबर 2022 55 प्रतिशत
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कतरास जलापूर्ति योजना-166 करोड़-दिसंबर 2021-42 प्रतिशत
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जमाडा जलापूर्ति योजना-310 करोड़-मार्च 2022-44 प्रतिशत
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बाघमारा जलापूर्ति योजना-83.88 करोड़-दिसंबर 2019-60 प्रतिशत
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बलियापुर ग्रामीण जलापूर्ति योजना-74.33 करोड़- दिसंबर 2018-80 प्रतिशत
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मोहलीडीह-रूपन जलापूर्ति योजना-28 करोड़-दिसंबर 2022-80 प्रतिशत
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टुंडी-कोल्हर ग्रामीण जलापूर्ति योजना- 46.38 करोड़-दिसंबर 2018-90 प्रतिशत
जानिए जिले की बड़ी जलापूर्ति योजनाओं का हाल
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टेंडर के पेच में फंसी निरसा-गोविंदपुर नॉर्थ व साउथ योजना : निरसा-गोविंदपुर के नाॅर्थ व साउथ इलाकों को पानी देने के लिए योजना बनायी गयी थी. डीपीआर 2016 में तैयार हुई. इस्रराइल की टहल कंपनी को काम सौंपा गया. 339 गांवों तक पानी पहुंचाने की यह योजना 2020 तक पूरी होनी थी. विभाग ने एजेंसी को पहले डीबार, फिर टर्मिनेट कर दिया. वर्तमान में यह योजना टेंडर के पेच में फंस गयी है.
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36 की जगह 31 जलमीनार बनी, सिर्फ 10 से ही जलापूर्ति : जमाडा पर निर्भरता कम करने के लिए 2011 में जेएनएनयूआरएम के तहत शहरी जलापूर्ति योजना शुरू की गयी. तीन साल में 36 जलमीनारों से आपूर्ति शुरू करनी थी. लेकिन जमीन विवाद, एनओसी आदि के चक्कर में काम सात साल तक खींच गया. साल 2019 में योजना पूरी होने का दावा किया गया, पर 31 जलमीनारें ही बनीं. वर्तमान में सिर्फ 10 से जलापूर्ति हो रही है. इस योजना में विभागीय जांच चल रही है.
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विवादों में फंसी जेएनएनयूआरएम योजना : जेएनएनयूआरएम की योजना विवादों में फंस गयी है. योजना शहरी क्षेत्र के उपभोक्ताओं को ध्यान में रखकर बनी, पर 31 में से 21 जलमीनारों का निर्माण ग्रामीण क्षेत्रों में कर दिया गया. उनसे पानी सप्लाई जल्द शुरू करने के दावे के साथ घरों में कनेक्शन भी दे दिये गये.
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योजना शुरू हुए सात साल बीते, नहीं मिला पानी : बलियापुर ग्रामीण जलापूर्ति योजना से अंचल के 68 गांवों में पेयजलापूर्ति की जानी है. वर्ष 2016 में योजना शुरू हुई थी. इसे फरवरी 2018 में पूरा करना था, लेकिन सात वर्ष बीतने के बाद भी लोगों को पानी मुहैया नहीं कराया जा सका. योजना के फेज वन में 42 गांवों के 16342 परिवारों को जलापूर्ति की जानी है. इसके लिए 74 करोड़ 53 लाख रुपये की निविदा प्रकाशित हुई थी. दामोदर नदी से पानी का उठाव कर उसे शीतलपुर में ट्रीटमेंट प्लांट बना वहां ले जाना था. योजना का काम श्रीराम इपीसी लिमिटेड, चेन्नई को दिया गया. फेज टू का काम श्याम इंजीनियरिंग कंपनी कर रही है. फेज एक में पांच जलमीनार क्रमश: शीतलपुर, बाघमारा, ब्राह्मणडीहा, आमझर और दुधिया में तथा फेज टू का ट्रीटमेंट प्लांट कुसमाटांड़ में बन रहा है. अभी इस योजना में चार जलमीनार का निर्माण किया गया है, जबकि सोलर टंकी से पानी नदारद है.
ये हैं अधूरी जलापूर्ति योजनाएं
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तोपचांची : नहीं पूरी हुई जमुनिया जलापूर्ति योजना
तोपचांची के लोगों को पेयजलापूर्ति के लिए शुरू जमुनिया जलापूर्ति योजना का काम अबतक अधूरा है. योजना के तहत जलमीनार के निर्माण के बाद विभिन्न गांवों तक पाइपलाइन बिछा दी गयी हैं. इसके बाद भी तोपचांची प्रखंड अंतर्गत विभिन्न पंचायतों के लोग जलापूर्ति से वंचित हैं. वहीं जल जीवन मिशन का हाल भी बुरा है. योजना के तहत गांवों में बनाये गये सोलर युक्त जलमीनार हाथी के दांत साबित हो रहे हैं. ज्यादातर सोलर युक्त जलमीनारों से पानी नहीं मिलता है. चापाकलों के खराब रहने के कारण ग्रामीणों को दूर-दराज से पानी लाना पड़ता है. कई गांवों में एक बोरिंग से दो जलमीनारों को जोड़ दिया गया. ऐसे में बोरिंग समय से पहले सूख गये हैं. ताेपचांची अंतर्गत नेरो पंचायत में जल जीवन मिशन के तहत लगाए गए सोलर युक्त जलमीनार से लोगों को दस दिन पर एक बार पानी मिलता है. इसका कारण बोरिंग का सूख जाना है. दस दिन तक लाेग पानी जमा होने का इंतजार करते हैं तब जाकर उन्हें पानी मिलता है. ताेपचांची प्रखंड के खुरडीह मताल टोला, मोहली टोला, रजवार टोला में भी यही स्थिति है.
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बाघमारा : दो मेगा जलापूर्ति योजनाओं के पूरा होने का इंतजार
हर घर घर नल जल योजना के तहत बाघमारा के 64 हजार परिवारों को वर्षों से पानी मिलने का इंतजार है. प्रखंड में मेगा जलापूर्ति योजना फेज वन एवं फेज टू का काम अबतक अधूरा है. फेज वन का काम पिछले साल ही पूरा होना था, लेकिन नहीं हुआ. योजना के तहत अबतक जल मीनारों का निर्माण पूरा नहीं हो पाया है. गांवों तक पाइपलाइन बिछाने का काम भी अधूरा है. मेगा जलापूर्ति योजना फेज टू का भी यही हाल है. भीषण गर्मी पड़ते ही तेलमच्चो ग्रामीण जलापूर्ति योजना फेल हो जाती है. योजना के तहत दामोदर नदी से तीन पंचायत तेलमच्चो, लोहापट्टी एवं कांड्रा को जलापूर्ति की जाती है. गर्मी के दिनों में नदी का पानी सूखने के कारण पानी इंटकवेल से दूर हो जाता है.
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पुटकी : सभी के घरों में नहीं पहुंच रहा पानी
केंद्र सरकार की हर घर नल जल योजना का लाभ धनबाद प्रखंड अंतर्गत पुटकी के लाभुकों को नहीं मिल रहा है. लोगों के अनुसार इसका मुख्य कारण सही ढंग से पाइप का नहीं बिछना है. जगह-जगह पर लगे वॉल्व को ऑपरेटर द्वारा बिना बंद किये मेन पाइप को चालू कर दिया जाता है. इस कारण किसी क्षेत्र में ज्यादा पानी तो किसी क्षेत्र के नल सूखे रहते हैं. कई इलाकों में अबतक पाइपलाइन नहीं बिछने के कारण भी लोग जलापूर्ति से वंचित हैं. धनबाद प्रखंड अंतर्गत कुल 12 पंचायतों में से गोपीनाथडीह पंचायत, पेटिया पंचायत, बरडुभी, दुबराजडीह, समशिखरा, सियालगुदरी, पांडरकनाली, दक्षिण पांडरकनाली समेत अन्य पंचायतों को आंशिक रूप से पानी मिल रहा है.
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