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जामताड़ा : जिले में हाथियों के हमले से पांच वर्षों में 16 लोगों की गयी है जान, 35 ज्यादा हुए हैं घायल

जामताड़ा जिले में हाथियों के उत्पात से निबटने के लिए कई ठोस इंतजाम नहीं किया गया है. यहां क्यूआरटी का गठन अबतक नहीं हो सका है. इस कारण जब प्रत्येक वर्ष जंगली हाथियों के झुंड का जामताड़ा जिले में उत्पात मचाना शुरू करता है तो वन विभागको दुमका जिले के मसलिया से क्यूआरटी की टीम को बुलाना पड़ता है.

By Prabhat Khabar News Desk | December 12, 2023 4:52 AM

जामताड़ा जिले में जंगली हाथियाें का उत्पाद हर वर्ष देखा जाता है. हाथियों के हमले में कई लोग अपनी जान भी गंवा चुके हैं. हालांकि प्रशासन मृतक के परिजनों को समय पर मुआवजे की राशि प्रदान कर देता है, लेकिन यह हादसा प्रतिवर्ष देखने को मिलता है. बता दें कि जंगली हाथियों के झुंड ने जामताड़ा में वर्ष 2004 से अब तक करीब 33 से ज्यादा लोगों की जानें ले ली है. वहीं बीते पांच वर्षों में करीब 16 लोगों ने जान गंवाई है. जानकारी के अनुसार वर्ष 2018-19 में छह लोगों की मौत हाथियों के झुंड की चपेट में आने से हुई है. वहीं 2019-20 में दो, 2022-21 में पांच व 2022-23 में एक और 2023-24 में करीब दो लोगों की मौतें हुई है. इसके बाद वन विभाग की ओर से पांच साल में अबतक करीब 56 लाख रुपये मुआवजे के तौर पर दिया गया है. वहीं पांच वर्षों में करीब 35 लोग घायल हुए हैं. बता दें कि प्रति वर्ष धनबाद के टुंडी इलाके व गिरिडीह की ओर से जामताड़ा जिले के नारायणपुर थाना क्षेत्र के सीमावर्ती क्षेत्र में जंगली हाथियों का झुंड प्रवेश करता है, जो क्षेत्रों में फसल को नष्ट, घर में तोड़-फोड़ करता है. साथ ही प्रत्येक वर्ष इन हाथियों के झुंड की चपेट में मानव भी आ जाते हैं. व्यक्ति की मौत होने पर चार लाख रुपये मुआवजा, गंभीर रूप से घायल होने पर एक लाख रुपये, साधारण रूप से जख्मियों को 15 हजार रुपये, मनुष्य के स्थायी अपंगता पर दो लाख रुपये, मकान पूरी तरह क्षतिग्रस्त होने पर 1.30 लाख रुपये पक्का मकान व कच्चा मकान के लिए 40 हजार रुपये, कच्चा मकान अधिक क्षतिग्रस्त होने पर 20 हजार व साधारण क्षति होने पर 10 हजार रुपये पीड़ितों को देने का प्रावधान है. भंडारित अनाज खाने पर 1600 प्रति क्विंटल, दुधारू पशु मरने पर 30 हजार रुपये मुआवजा के रूप में वन विभाग देता है.


जामताड़ा में अबतक नहीं हुआ है क्यूआरटी का गठन

जामताड़ा जिले में हाथियों के उत्पात से निबटने के लिए कई ठोस इंतजाम नहीं किया गया है. यहां क्यूआरटी का गठन अबतक नहीं हो सका है. इस कारण जब प्रत्येक वर्ष जंगली हाथियों के झुंड का जब जामताड़ा जिले में प्रवेश कर उत्पाद मचाना शुरू करता है तो वन विभागको दुमका जिले के मसलिया से क्यूआरटी की टीम को बुलाना पड़ता है. इस संबंध में रेंजर रामचंद्र पासवान ने बताया कि दुमका के मसलिया व पुरूलिया में क्यूआरटी टीम है. नजदीक में रहने के कारण मसलिया के क्यूआरटी टीम को बुलाया जाता है. क्यूआरटी को सभी सामान वन विभाग की ओर से मुहैया कराया जाता है. टीम के वाहन में डीजल से लेकर मशाल आदि की व्यवस्था कराई जाती है. साथ में जामताड़ा वन विभाग के पदाधिकारी, कर्मी रहते हैं.

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