बंगाल में 1.63 करोड़ ग्रामीण परिवार, लेकिन दो लाख परिवार के घर में ही नल कनेक्शन
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में 41,357 गांवों में फैले 1.63 करोड़ ग्रामीण परिवार हैं, लेकिन केवल दो लाख परिवारों के ही घर के परिसर में नल कनेक्शन है. वर्ष 2019-20 में, 32.24 लाख परिवारों को नल कनेक्शन उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित था, लेकिन राज्य सरकार केवल 4,720 घरेलू नल कनेक्शन ही उपलब्ध करा सकी. वर्ष 2020-21 में, पिछले वर्ष के लगभग 32.19 लाख परिवारों सहित 64.43 लाख परिवारों को नल कनेक्शन उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कर्मठ योजना और सुदृढ़ कार्यान्वयन कार्यनीति की आवश्यकता है.
कोलकाता : पश्चिम बंगाल में 41,357 गांवों में फैले 1.63 करोड़ ग्रामीण परिवार हैं, लेकिन केवल दो लाख परिवारों के ही घर के परिसर में नल कनेक्शन है. वर्ष 2019-20 में, 32.24 लाख परिवारों को नल कनेक्शन उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित था, लेकिन राज्य सरकार केवल 4,720 घरेलू नल कनेक्शन ही उपलब्ध करा सकी. वर्ष 2020-21 में, पिछले वर्ष के लगभग 32.19 लाख परिवारों सहित 64.43 लाख परिवारों को नल कनेक्शन उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए कर्मठ योजना और सुदृढ़ कार्यान्वयन कार्यनीति की आवश्यकता है.
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केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्ष 2019-20 में केंद्र की ओर से 993.88 करोड़ रुपये की निधियां राज्य को जारी की गयी थी, हालांकि केवल 421.63 करोड़ रुपये की राशि का ही उपयोग किया गया और बाकी राशि अव्ययित रही यानी खर्च नहीं की गयी. इसके अलावा, आर्सेनिक / फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों में पीने योग्य पानी उपलब्ध कराने के लिए 1,305 करोड़ रुपये की राशि प्रदान की गयी, जिसमें से 573.36 करोड़ रुपये की राशि अभी तक खर्च नहीं की गयी.
इस प्रकार, एक अप्रैल 2020 पर, ग्रामीण घरों में नल से पानी पहुंचाने के लिए राज्य के पास केंद्रीय अंश के रूप में 1,146.58 करोड़ रुपये की राशि प्रारंभिक जमा के रूप में उपलब्ध थी. वर्ष 2020-21 के दौरान, पश्चिम बंगाल के लिए निधि आवंटन बढ़कर 1,610.76 करोड़ हो गया. प्रारंभिक जमा के रूप में 1,146.58 करोड़ रुपये की राशि के साथ राज्य के पास केंद्रीय अंश की निधियों के रूप में 2,757.34 करोड़ रुपये की राशि की सुनिश्चित उपलब्धता है.
इसलिए, वर्ष 2020-21 में पश्चिम बंगाल में जल जीवन मिशन के तहत घरेलू नल कनेक्शन प्रदान करने के लिए राज्य के अंश के साथ लगभग 5,515 करोड़ रुपये की राशि उपलब्ध होगी. इसके अलावा, जेजेएम के तहत कार्यान्वयन की प्रगति के आधार पर कार्य निष्पादन प्रोत्साहन के रूप में अतिरिक्त धनराशि भी प्रदान की जा सकती है. इसलिए, राज्य को नल कनेक्शन उपलब्ध कराने और उसके पास भारी मात्रा में उपलब्ध निधियों को खर्च करने के लिए विवेकपूर्ण वित्तीय प्रबंधन हेतु व्यय योजना के संदर्भ में वास्तविक प्रगति के लिए एक मासिक योजना बनाने की आवश्यकता है.
गांवों में नहीं के बराबर है नल कनेक्शन
भारत सरकार समय सीमा के भीतर जेजेएम के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए राज्यों के साथ मिलकर काम कर रही है, इसलिए बचे हुए घरों में नल कनेक्शन प्रदान करने के लिए मौजूदा जल आपूर्ति प्रणालियों के पुन:संयोजन / संवर्द्धन पर ध्यान केंद्रित किया गया है. वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार पश्चिम बंगाल में कुल 41,357 गांवों में से, 22,155 (54 प्रतिशत) गांवों में पहले से ही नलों से जलापूर्ति की व्यवस्था है, हालांकि इन गांवों में केवल दो लाख घरों में ही नल कनेक्शन हैं.
ऐसे गांवों में जो लोग शेष गये हैं वे समाज के गरीब और हाशिए पर रहने वाले वर्गों से संबंधित हैं. इन गांवों में 1.08 करोड़ घरेलू नल कनेक्शन उपलब्ध कराने की संभावना है. राज्य को अगले 4-6 महीनों में घरेलू नल कनेक्शन प्रदान करने के लिए इस एजेंडे को अत्यंत गति के साथ ‘कैंपेन मोड’ में आगे बढ़ाने की आवश्यकता है. इसके लिए जल की गुणवत्ता प्रभावित बस्तियों, आकांक्षी जिलों, एससी / एसटी बहुल गांवों/बस्तियों और सांसद आदर्श ग्राम योजना के अंतर्गत आने वाले गांवों को परिपूर्णता प्रदान करने को प्राथमिकता दी जायेगी.
जल की गुणवत्ता प्रभावित बस्तियों में पीने योग्य पानी की आपूर्ति को जेजेएमके तहत सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाती है और राष्ट्रीय हरित अधिकरण (नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल) के अंतरिम आदेश के मद्देनजर, राज्य को 31 दिसंबर, 2020 से पहले 2,414 आर्सेनिक और फ्लोराइड प्रभावित बस्तियों में सभी घरों में पाइप से जलापूर्ति सुनिश्चित करनी है.
यदि दिसंबर, 2020 से पहले पीने योग्य पानी के पाइप कनेक्शन सुनिश्चित नहीं किये जा सकते हैं, तो अंतरिम उपाय के तौर पर सामुदायिक जल शोधन संयंत्र (सीडब्ल्यूपीपी) स्थापित करने के माध्यम से पीने और खाना पकाने के उद्देश्य के लिए 8-10 एलपीसीडी की दर पर पेयजल प्रदान किया जाना है. 15वें वित्त आयोग के अनुदान के रूप में पश्चिम बंगाल की पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) को 4,412 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे, जिसका 50 प्रतिशतपानी और स्वच्छता पर खर्च करना अनिवार्य होगा.
स्वयंसेवी संस्थाओं का लेना होगा सहयोग
राज्य द्वारा गांव के ग्राम स्तर मनरेगा, जेजेएम, एसबीएम (जी), पीआरआईको 15वें वित्त आयोग के अनुदान, जिला खनिज विकास कोष, सीएएमपीए, सीएसआरकोष, स्थानीय क्षेत्र विकास निधि आदि जैसे विभिन्न कार्यक्रमों के तहत अभिसरण योजना बनाने की आवश्यकता है तथा पेयजल सुरक्षा हेतु जल स्रोतों को मजबूत बनाने के लिए जल संरक्षण संबंधी गतिविधियों के लिए इन सभी निधियों का क्रमवेशन करते हुए प्रत्येक गांव के स्तर पर ग्राम कार्य योजना (वीएपी)तैयार की जायेगी. सभी गांवों में, जेजेएमको सही मायने में जनता की मुहिम बनाने के लिए सामुदायिक सहयोग के साथ आइइसीअभियान चलाया जायेगा.
राज्य को ग्रामीण क्षेत्र में जलापूर्ति के बुनियादी ढांचे के निर्माण के साथ-साथ उनके संचालन और रखरखाव के लिए ग्रामीण समुदाय को संगठित करने के लिए सामाजिक क्षेत्र और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में काम करने वाले महिला स्वयं सहायता समूहों और स्वयंसेवी संगठनों को साथ जोड़ना होगा. प्रत्येक बस्ती/गांव में प्रत्येक ग्रामीण परिवार को दीर्घकालिक आधार पर नल कनेक्शन प्रदान करने के मिशन के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिएपानी की आपूर्ति योजनाओं के निर्माण और उनके संचालन और रखरखाव के लिए चिनाई, नलसाजी, फिटिंग, बिजली, आदि क्षेत्रों में कुशल मानवशक्ति की आवश्यकता होगी और ऐसी जनशक्ति की आवश्यकता प्रत्येक गांव / बस्ती में होगी.
ग्रामीण क्षेत्रों में कुशल मानव संसाधन का समूह तैयार करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय ने राष्ट्रीय कौशल विकास निगम को साथ जोड़ा है, ताकि गांवों को जल आपूर्ति प्रणालियों के नियमित अनुरक्षण और रखरखाव के लिए दूसरों पर निर्भर न रहते हुए आत्मनिर्भर बनाया जा सके. वर्तमान में जारी कोविड -19 महामारी की स्थिति में, राज्य को गांवों में पानी की आपूर्ति और जल संरक्षण से संबंधित कार्य तुरंत शुरू करने की आवश्यकता है ताकि कुशल / अर्ध-कुशल प्रवासियों को काम मिल सके और आजीविका प्रदान करने के साथ ही ग्रामीण लोगों के घरों में पीने योग्य पानी की उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके साथ ही साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा मिले.
Posted By: Amlesh Nandan Sinha