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10 साल में 1709 की मौत, नहीं लगा डॉप्लर रडार… जानिये क्या करता है डॉप्लर रडार

झारखंड में वज्रपात को राज्य सरकार ने विशिष्ट आपदा घोषित कर रखा है. वहीं, पीड़ितों के लिए मुआवजे का प्रावधान भी किया गया है. लेकिन, वज्रपात से बचाव और समय पर लोगों को इसकी सटीक सूचना देनेवाला तंत्र काम नहीं कर पा रहा

प्रणव, रांची : झारखंड में वज्रपात को राज्य सरकार ने विशिष्ट आपदा घोषित कर रखा है. वहीं, पीड़ितों के लिए मुआवजे का प्रावधान भी किया गया है. लेकिन, वज्रपात से बचाव और समय पर लोगों को इसकी सटीक सूचना देनेवाला तंत्र काम नहीं कर पा रहा. मौसम की सटीक सूचना एकत्र करनेवाला ‘डॉप्लर रडार’ तक आज तक नहीं लगाया जा सका है. आपदा प्रबंधन विभाग ने जून 2019 में डॉप्लर रडार लगाने का प्रस्ताव तैयार किया था, जो फिलहाल ठंडे बस्ते में चला गया है.

झारखंड में मई से जून और सितंबर से नवंबर के बीच सबसे अधिक वज्रपात होता है. खुद आपदा प्रबंधन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 2010 से लेकर अब तक यानी 10 वर्षों में वज्रपात की वजह से राज्य में 1709 लोगों की जान जा चुकी है. वर्ष 2016 से लेकर अब तक राज्य में हर साल औसतन 250 से ज्यादा लोगों की मौत वज्रपात के कारण होती है.

जानकार बताते हैं कि वज्रपात के लिहाज से झारखंड काफी संवेदनशील है. समुद्र तल से झारखंड के अधिक ऊंचाई पर होने व पठारी और जंगली क्षेत्रों में विशेषकर जहां जमीन की ऊंचाई में अचानक अंतर आता है. बादल के वाष्पकण आपस में टकरा कर अत्यधिक ऊर्जा का सृजन करते हैं, जो कि खनिज भूमि की ओर आकर्षित होकर वज्रपात का रूप धारण कर लेते हैं.

  • जून 2019 में ही आपदा विभाग ने डॉप्लर लगाने का बनाया था प्रस्ताव

  • 250 के करीब मौतें होती हैं हर साल राज्य में वज्रपात के कारण

  • साल-दर-साल वज्रपात से होनेवाली मौतें

वित्तीय वर्ष मौत

2010-11 110

2011-12 104

2012-13 145

2013-14 159

2014-15 144

2015-16 210

2016-17 265

2017-18 256

2019-20 253

ऐसे ले सकते हैं मुआवजा

वज्रपात से प्रभावित व्यक्ति या संपत्ति के मुआवजे का भुगतान के लिए प्राथमिकी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट होना आवश्यक है.

ऐसे ले सकते हैं मुआवजा

वज्रपात से प्रभावित व्यक्ति या संपत्ति के मुआवजे का भुगतान के लिए प्राथमिकी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट होना आवश्यक है.

किस क्षति पर कितना मुआवजा का है प्रावधान

एक व्यक्ति की मौत पर ~ 4 लाख

घायल को ~ 2 लाख तक

पूरा घर क्षतिग्रस्त होने पर ~ 95,100

झोपड़ियों की क्षति पर ~ 2,100

दुधारू पशु ~ 30 हजार

बैल, भैंसा ~ 25 हजार

भेड़ व बकरी ~ 03 हजार

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