भुरकुंडा/पतरातू (मो इसलाम): पीवीयूएनएल, सरकार व पुलिस-प्रशासन के विरुद्ध 25 गांवों में शुरू हुई भूख हड़ताल चौथे दिन शनिवार को भी जारी रही. भूख हड़ताल कर रहे करीब 200 ग्रामीणों में से 50 की हालत काफी बिगड़ गयी है. शनिवार को भी डॉक्टरों ने भूख हड़ताल कर रहे ग्रामीणों के स्वास्थ्य की जांच की.
बीडीओ देवदत्त पाठक ने गांव पहुंचकर ग्रामीणों से भूख हड़ताल समाप्त करने की अपील की, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी. ग्रामीणों ने कहा कि पीवीयूएनएल में गयी जमीन के बदले वे लोग नौकरी व सुविधाएं मांग रहे हैं. उनकी मांगों को मानने की बजाय, ग्रामीणों पर ज्यादती की जा रही है.
भूख हड़ताल कर रहे लोगों ने कहा कि जब तक उन्हें उनका अधिकार नहीं मिलेगा, उनकी भूख हड़ताल जारी रहेगी. भले ही उनकी जान क्यों न चली जाये. ग्रामीणों ने कहा कि हेमंत सोरेन सरकार के कार्यकाल में हम आदिवासी मूलवासी ग्रामीणों पर लाठियां बरसायीं गयीं. हमारे नेताओं पर झूठे मुकदमे दायर किये गये. सरकार खामोश है.
Also Read: एनटीपीसी के खिलाफ 11 गांवों के अनिश्चितकालीन आंदोलन से देश को सैकड़ों करोड़ का नुकसानलोगों ने कहा कि हमारी भूख हड़ताल चार दिनों से जारी है, लेकिन हमारी मांगों पर विचार करने की कोई पहल नहीं हो रही है. ग्रामीणों ने स्पष्ट कर दिया कि यदि भूख हड़ताल के बावजूद उनकी नहीं सुनी गयी, तो ग्रामीण सामूहिक आत्मदाह करने से भी पीछे नहीं हटेंगे.
भूख हड़ताल पर बरघुटूवा में मो असलम अंसारी, रमीज इकबाल, नितेश पाहन, संतोष करमाली, ढुढरू मुंडा, मेलानी में वेदप्रकाश महतो, प्रयाग महतो, सुरेंद्र महतो, कपिल महतो, केवट महतो, किरण देवी, नमिता देवी, योगेश महतो, कृष्णा महतो, गेगदा में तबारक अंसारी, रशीद अली, अर्जुन मुंडा, बालेश्वर महतो, हरिहरपुर में राजेंद्र महतो, अरविंद कुमार, राजेश महतो, जराद में प्रदीप महतो, कौलेश्वर महतो, दिनेश महतो, सूरज महतो, अनिल महतो, भुनेश्वर महतो, किन्नी में राजेश महतो, मुकेश महतो, तालू उरांव, सुमेल उरांव व अन्य बैठे हैं.
Also Read: अवैध खनन व क्रशर पर प्रशासन की बड़ी कार्रवाई, भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद, दो गिरफ्तारअनिश्चितकालीन भूख हड़ताल हेसला, कटिया, उचरिंगा, कोतो, शाहीटांड़, सांकुल, जयनगर, पतरातू, रसदा, लबगा, गेगदा, किन्नी, जराद, आरासाह, नेतुआ, बरघुटूवा, मेलानी, चेतमा, हरिहरपुर, तालाटांड़, पलानी, बरतुआ, सोलिया, डाड़ीडीह, टेरपा, कुरसे, किन्नी, सिमरटांड़, बलकुदरा गांव में जारी है. हड़ताल पर करीब 200 महिला-पुरुष बैठे हैं. इनमें 50 लोगों की हालत काफी बिगड़ गयी है. बलकुदरा में डॉली देवी की स्थिति सबसे ज्यादा खराब बतायी जा रही है.
पीटीपीएस से प्रभावित पतरातू प्रखंड के 25 गांवों के विस्थापित ग्रामीण वर्तमान पीवीयूएनएल कंपनी से जमीन के बदले नौकरी, मुआवजा व अन्य सुविधाओं की मांग कर रहे हैं. इसे लेकर ग्रामीण पतरातू स्थित पीवीयूएनएल गेट के समक्ष धरना दे रहे थे. तीन सितंबर की शाम को वार्ता विफल होने के बाद ग्रामीण पुन: धरना देने लगे. इस दौरान पुलिस-प्रशासन ने लाठी चार्ज कर दिया. इससे उक्त गांवों के लोगों में भारी आक्रोश है.
लाठी चार्ज के बाद कुछ विस्थापित नेताओं के ऊपर पुलिस ने सरकारी कार्य में बाधा डालने व कोरोना काल में भीड़ इकट्ठा करने का आरोप लगाते हुए केस भी दर्ज किया. साथ ही उनकी गिरफ्तारी के लिए छापामारी शुरू दी गयी. इस पूरी घटना के बाद ग्रामीणों ने अपने-अपने गांव में पहले धरना दिया. उसके बाद उपवास आंदोलन किया. 16 सितंबर से ग्रामीण अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल कर रहे हैं.
ग्रामीण अपनी जमीन के बदले पीटीपीएस पतरातू प्रबंधन के खिलाफ कई वर्षों से आंदोलन कर रहे थे. कुछ वर्ष पूर्व पीटीपीएस के स्थान पर एनटीपीसी व झारखंड सरकार के संयुक्त उपक्रम पीवीयूएनएल की स्थापना हुई. इस प्रक्रिया में पीटीपीएस की संपत्ति व अधिग्रहीत जमीन पीवीयूएनएल को हस्तांतरित कर दी गयी. इसके बाद से ग्रामीण अब पीवीयूएनएल से अपना अधिकार मांग रहे हैं.
पीवीयूनएल के पीके विश्वास ने पूरे मामले पर कहा कि प्लांट के लिए झारखंड सरकार ने 1199.03 एकड़ भूमि पीवीयूनएल को हस्तांतरित की है. यहां पीवीयूनएल ने रैयतों से सीधे भूमि का अधिग्रहण नहीं किया है. इसलिए पीवीयूएनएल द्वारा यहां पर किसी प्रकार का विस्थापन भी नहीं किया गया है. इसके बावजूद कंपनी स्थानीय लोगों के हित का पूरा ख्याल रख रही है. क्षेत्र में विकास कार्य किये जा रहे हैं.
Posted By : Mithilesh Jha