गोड्डा : अब तक 25 हजार क्विंटल धान की खरीद, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 603 किसानों से हुई खरीदारी
जिले में इस बार जिस हिसाब से बंपर धान की पैदावार हुई है. उस हिसाब से बहुत कम धान का क्रय सेंटरों पर किया गया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बार जिले में 50 हजार हेक्टेयर से अधिक भूभाग पर धान की खेती हुई है.
गोड्डा जिले में 4 फरवरी तक कुल 24977 क्विंटल धान की खरीददारी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा चुकी है. जिले के कुल 30 धान क्रय सेंटरों का चयन धान की खरीद के लिए किया गया है. इस पर धान को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदा जा रहा है. प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक कुल 603 किसानों से धान की खरीदारी की गयी है. मालूम हो कि इस बार धान खरीद के एवज में किसानों को प्रति क्विंटल 2300 रुपये का भुगतान किया जा रहा है. पिछली बार से ज्यादा धान खरीद का लक्ष्य रखा गया है. साथ ही इस राशि में सरकार अपनी ओर से किसानों को बोनस भी थमा रही है. लिये गये धान के एवज में प्रथम किश्त का भुगतान किया जा रहा है. दूसरे तथा बकाये किश्त की राशि का भुगतान राइस मिल पहुंचने के बाद कर दिया जाएगा.
अब तक मात्र 12 फीसदी ही हो सकी है धान की खरीद
जिले में इस बार जिस हिसाब से बंपर धान की पैदावार हुई है. उस हिसाब से बहुत कम धान का क्रय सेंटरों पर किया गया है. प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बार जिले में 50 हजार हेक्टेयर से अधिक भूभाग पर धान की खेती हुई है. इस हिसाब से जिले भर में 20 लाख क्विंटल के आसपास उपज होना चाहिये. लेकिन अब तक कुल लक्ष्य का मात्र 24 हजार 977 क्विंटल खरीद किया गया है. विभाग के अनुसार तो यह आंकड़ा पीठ थपथपाने वाला है. लेकिन वास्तविकता में देखें तो यह नाकाफी है. मालूम हो कि इस बार सवा दो लाख क्विंटल से ऊपर धान क्रय का लक्ष्य रखा गया है. जबकि फरवरी माह में मात्र 25 हजार क्विंटल क्रय किया जा सका है. धान क्रय के मामले में जिले का ठाकुरगंगटी व मेहरमा प्रखंड सबसे आगे हैं. इन दोनों प्रखंडों में सभी प्रखंडों के मुकाबले सबसे ज्यादा धान की खरीद हुई है. अकेले ठाकुरगंगटी के यशोधवला गांव में 9 हजार क्विंटल की खरीद की गयी है, जबकि मेहरमा में अब तक 7-8 हजार क्विंटल की खरीद किसानों से की जा सकी है. दूसरे अन्य प्रखंडों का हाल इस मामले में बुरा है. सभी लक्ष्य से बहुत कम है. जिला मुख्यालय में भी लक्ष्य से कम धान की खरीद की गयी है, जो चिंतनीय है. यहां ज्यादातर किसान धान को औने-पौने दामों पर बेच रहे हैं. किसानों को धान क्रय के लिए प्रोत्साहित नहीं किया गया है. किसानों को केवल कागजों में जोड़ने का काम किया गया है. जब जिला मुख्यालय में ही न्यूनतम समर्थन मूल्य में धान खरीदने के लिए किसानों को प्रोत्साहित नहीं किया गया है, तो दूरदराज प्रखंडों के हाल का अंदाजा लगाया जा सकता है. इसका प्रमुख कारण है कि धान क्रय में लगी एजेंसियां ही पिक एंड चूज का काम करती है. दूसरा धान क्रय सेंटर पर किसानों से 10-12 प्रतिशत तक खरीदे गये धान की कटौती कर ली जाती है. किसानों को पहले से ही बता दिया जाता है कि उनके भेजे गये धान में कटौती की जाएगी. इसलिए भी किसान धान क्रय सेंटर पर बेचने के बजाय सेठ साहूकारों के हाथों बेचना श्रेयस्कर समझते हैं.
मेहरमा में 38 दिन में मात्र 7777 क्विंटल धान की खरीदारी
मेहरमा प्रखंड के तीन पैक्स में 38 दिनों में मात्र 7777 क्विंटल धान की खरीदारी हुई है. बताते चलें कि राज्य सरकार द्वारा किसानों के लिए धान अधिप्राप्ति केंद्र तो खोल दिया गया है, मगर इस बार किसान पैक्स में धान देने के मूड में नहीं दिख रहे हैं. मेहरमा प्रखंड क्षेत्र में ढोढ़ा, खिरौन्धी व शंकरपुर में पैक्स खोला गया है. धान खरीदारी के मामले में गोड्डा जिले के द्वारा पैक्स को लेकर बनाये गये प्रखंड कमेटी के सचिव निरंजन कुमार ने बताया कि ढोढ़ा पैक्स को सात हजार क्विंटल, खिरौन्धी एफपीसी को आठ हजार क्विंटल व शंकरपुर पैक्स को चालीस हजार क्विंटल का टार्गेट दिया गया है. ऐसे में तीनों पैक्स को मिलाकर 55 हजार क्विंटल धान खरीदने का टार्गेट दिया गया है. मगर 38 दिन बीत जाने के दौरान अभी तक मात्र ढोढ़ा पैक्स में 1167 क्विंटल, खिरौन्धी पैक्स में 2110 क्विंटल व शंकरपुर पैक्स में 4500 क्विंटल धान की खरीदारी हुई है. तीनों पैक्स को मिलाकर 7777 क्विंटल धान की खरीदारी की गयी है. बता दें कि सरकार द्वारा प्रति क्विंटल 23 सौ रुपये प्रति क्विंटल की दर से निर्धारित रेट तय किया गया है. जबकि व्यापारी इस वर्ष किसानों का हाइब्रिड हो या फिर स्वर्णा धान अच्छे दर यानी 1950 सौ रुपये प्रति क्विंटल की दर पर धान खरीद रहे हैं. किसान मनोज कुमार, समीर कुमार, पंकज राणा, जंगबहादुर मंडल, पवन मंडल ने बताया कि सरकार द्वारा 23 सौ रुपये प्रति क्विंटल रेट निर्धारित तो कर दिया गया है. एक सप्ताह के अंदर पूरी पैसा नहीं मिलने के कारण किसान इस वर्ष व्यापारी को ही धान दे रहे हैं. वहीं किसानों द्वारा यह भी बताया गया की पैक्स में देने में प्रति क्विंटल 200 से 250 सौ रुपये खर्च पड़ जाता है. इसके कारण किसान व्यापारी को ही ज्यादा धान दे रहे हैं.