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Gorakhpur News: एक्वा पार्क के लिए ताल कंदला में 27 एकड़ जमीन हुई चिन्हित, मछली पालकों का होगा लाभ

गोरखपुर के ताल कंदला में एक्वा पार्क के लिए 27 एकड़ जमीन चिन्हित की गई है. शासन के इस महत्वाकांक्षी योजना से मछली पालकों को काफी फायदा होगा. गोरखपुर एवं आसपास के क्षेत्र में निषाद समाज के लोगों की संख्या काफी अच्छी है.

By Prabhat Khabar News Desk | November 13, 2023 6:55 PM

गोरखपुर के सदर तहसील के ताल कंदला में एक्वा पार्क के लिए 27 एकड़ जमीन चिन्हित हो गई है, जो मछली पालन से जुड़े लोगों के लिए अच्छी खबर है. यहां पर मछली पालन समिति बैंक समेत अन्य कार्य होंगे. इसके चालू हो जाने से मछली पालन से जुड़े लोगों को काफी लाभ मिलेगा. एक्वा पार्क में मछली की नई प्रजातियां तैयार की जाएंगी. मछली के बीज को लेकर शोध होगा. मछली पालन के तरीकों को और कैसे बेहतर किया जाए और मछलियों को कैसे पाला जा सके इसको लेकर यहां जानकारी मिलेगी. साथ ही यहां पर मत्स्य बीज बैंक, मत्स्य पालन, मत्स्य प्रसंकरण से लेकर और कई सुविधा होगी. शासन के इस महत्वाकांक्षी योजना से मछली पालन से जुड़े लोगों को काफी लाभ होगा.

इस वजह से यह जमीन किया गया चिन्हित

गोरखपुर के साथ ही मथुरा में भी एक्वा पार्क स्थापित किया जाएगा. गोरखपुर के ताल कंदला में पहले पुलिस प्रशिक्षण विद्यालय के लिए जमीन दी गई थी. लेकिन लो लैंड होने से मिट्टी भरपाई का काम अधिक होने के कारण इस जगह को एक्वा पार्क के लिए उपयुक्त पाया गया. इसके लिए इस जगह का उपयोग होने के कारण मिट्टी भरपाई से भी मुक्ति मिलेगी. गोरखपुर में एक्वा पार्क खुल जाने से इससे जुड़े व्यवसाय को गति मिलेगी और बगल के जिलों के मछली पालकों को काफी फायदा होगा.

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मत्स्य पालकों को काफी फायदा होगा- राहुल चौरसिया

मत्स्य विभाग के राहुल चौरसिया ने बताया कि एक्वा पार्क के लिए जमीन चिन्हित हो गई है. मछली पालन से जुड़े मत्स्य पालकों और निषाद समाज के लोगों को काफी लाभ होगा. यहां करीब 3000 मत्स्य पालक है. इसे और बढ़ाने के लिए यहां अधिक से अधिक लोगों को मछली पालन को लेकर प्रशिक्षित किया जाएगा और मछली पालन कैसे किया जाए इसका तरीका भी बताया जाएगा. यहां पर मछली के अच्छे बीज मिलेंगे जिससे मत्स्य पालक अधिक लाभ अर्जित कर सकेगा. गोरखपुर और बगल के जिलों में निषाद समाज के लोगों की संख्या काफी अच्छी है और गोरखपुर के ताल कंदला में एक्वा पार्क बनने से गोरखपुर के साथ ही पूर्व उत्तर प्रदेश के मत्स्य पालकों को काफी फायदा होगा.

रिपोर्ट– कुमार प्रदीप, गोरखपुर

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