धनबाद में 30 साल पहले देखते-देखते एक चिंगारी में स्वाहा हो गई थी 29 लोगों की जिंदगी, जानें इसकी वजह

धनबाद में 30 साल पहले दीपावली के दिन झरिया सिंदुरिया पट्टी स्थित कल्लू पटाखा दुकान में भीषण आग लगी थी. इस हादसे में दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत हुई थी. लगभग एक सौ से अधिक लोग जख्मी हो गये थे.

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 17, 2022 2:24 PM
an image

Dhanbad News: 30 वर्ष पूर्व 1992 के 25 अक्टूबर दीपावली के दिन शाम चार बजे झरिया सिंदुरिया पट्टी स्थित कल्लू पटाखा दुकान में भीषण आग लगी थी. इस हादसे में दो दर्जन से अधिक लोगों की मौत हुई थी. लगभग एक सौ से अधिक लोग जख्मी हो गये थे. हालांकि सरकारी आंकड़ों में मरने वालों की संख्या 29 व घायलों की संख्या 50 बताई गई थी. इस लोमहर्षक वारदात की दास्तान स्थानीय लोग भूल नहीं पाते.

एक चिंगारी से भड़की आग

झरिया की सकरी गली में सिंदुरिया पट्टी है. घटना से पूर्व उस गली में सैकड़ों की भीड़ दीपावली की खरीदारी में व्यस्त थी. इसी दौरान एक चिंगारी से भड़की आग ने पूरे क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया. देखते-देखते आग की लपट व धुआं ऊपर उठने लगे. लोगों में अफरातफरी मच गयी. घटना के बाद तत्कालीन बिहार सरकार ने पीड़ितों को सरकारी नौकरी व मुआवजा देने का आश्वासन दिया था, पर यह दिलासा झूठा साबित हुआ. इस दिलासे की याद भी पीड़ितों-प्रभावितों को जले पर नमक लगने लगी है.

Also Read: Jharkhand: यहां पीस नहीं, ‘फायर’ है, कोई झुकने को नहीं है तैयार, प्रभावित हो रहा 3 हजार परिवार का रोजगार
इन लोगों की हुई थी मौत

इस हादसा में रामस्वरूप मोदी, प्रतिमा कुमारी, दीपक मोदी, आनंद स्वरूप जायसवाल, राजकुमार जायसवाल, फूलचंद जायसवाल, प्रदीप कुमार साव, मो. मुख्तार आलम, जीतेन स्वर्णकार, तनवीर आलम, विकास गुप्ता, मो. रियाज, मो. इजरायल, रोहित सिन्हा, सुमित भास्कर, नुनुवती देवी, राजू सोनकर, रंजन सिंह, प्रिंस साहू, सोनू कनोडिया, संजय केशरी, अनूप केशरी, बैजनाथ साव व मो. रफीक काल के गाल में समा गये थे.

पांच दिनों तक सील थी सिंदुरिया पट्टी

पटाखा कांड के बाद जिला प्रशासन व अग्निशमन विभाग की ओर से राहत कार्य चलाया गया. पांच दिनों तक सिदुरिया पट्टी को प्रशासन ने सील कर दिया था. इस दौरान जले शवों को दुकानों व घरों से निकाला गया. लगभग चार साल तक कल्लू पटाखा दुकान बंद रही. बाद में इसे अशोक साव ने खरीद लिया.

आठ वर्षों तक नहीं बिके थे पटाखे

घटना के बाद आठ साल तक झरिया में पटाखा बिक्री पर रोक लग गयी थी. वर्ष 2000 के बाद लाइसेंस निर्गत होने पर पटाखा दुकानें चालू हुई थीं. पूर्व में एक दुकान होती थी. फिलहाल एक दर्जन से अधिक लाइसेंसी दुकानें हैं. कई दुकानदार पटाखा बेचते व बनाते हैं.

Exit mobile version