Bareilly : उत्तर प्रदेश के बरेली में जहरीली हवा का कहर बढ़ता जा रहा है.जिसके चलते लोगों का सांस लेना मुश्किल हो गया है.बढ़ते प्रदूषण के कारण सांस के मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है. डॉक्टर के पास सांस के मरीजों की लंबी लाइन लगी है. इसके साथ ही सीने में दर्द से परेशान मरीज भी डॉक्टरों के पास आ रहे हैं. बरेली में ओवरब्रिज निर्माण, खुदी, और टूटी सड़कों से प्रदूषण बढ़ रहा है.शनिवार सुबह वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 153 है. यह शुक्रवार रात 12 बजे 166 था, जो सेहत के लिए काफी खराब है.
शहर के प्रमुख फिजिशियन डॉक्टर नदीम बताते हैं कि पिछले दो महीने से सांस के मरीजों की संख्या बढ़ी है.लोगों को खांसी की भी शिकायत हो रही है. यह परेशानी बच्चों में भी है.इसके साथ ही सीने में दर्द के भी मरीज आएं हैं. इनका इलाज चल रहा है. डॉक्टर नदीम ने प्रदूषण से बचने को मास्क पहनकर निकलने की सलाह दी है.इसके साथ ही जरूरी कार्य से घर से निकलने की बात कही.
राजधानी लखनऊ दुनिया के 100 प्रदूषित शहरों में शामिल हो गया है. मंगलवार रात लखनऊ का AQI 386 था.जिसके चलते लखनऊ दुनिया के प्रदूषित शहरों में 32 वें स्थान पर है.इसके साथ ही मेरठ 496 AQI के कारण 7 वें स्थान पर, 418 AQI के कारण कानपुर 14 वें स्थान पर, 357 AQI के कारण फतेहपुर 44 वें स्थान पर, 345 AQI के कारण गोरखपुर 62 वें, गाजियाबाद 343 AQI के कारण 66 वें, बुलंदशहर 337 AQI के कारण 84 वें, और नोएडा 332 AQI के कारण दुनिया में 90 वें स्थान पर है.यूपी की राजधानी लखनऊ ‘गंभीर’ श्रेणी में है, जो काफी चिंताजनक है. बरेली के साथ ही यूपी के मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, सहारनपुर, बुलंदशहर, हापुड़ आदि शहरों का भी एक्यूआई भी बढ़ गया है.
शहर के चौपला- सिटी रोड, कर्मचारी नगर रोड, रामपुर रोड, बरेली -शाहजहांपुर रोड आदि की सड़कें लंबे समय से खुदी हुई हैं.इस कारण सड़क की धूल, और वाहनों के धुएं से प्रदूषण बढ़ा है.AQI लेबल कम नहीं हो रहा है.शहर के सिविल लाइंस, राजेंद्रनगर, और सुभाषनगर की हवा सबसे खराब है.इसमें शहर के सिविल लाइंस का एक्यआई 55 ,राजेंद्रनगर का एक्यूआइ 147, सुभाषनगर का 157 है.इसके साथ ही पीएम 2.5 सिविल लाइंस का 63, राजेंद्र नगर का 54 और सुभाषनगर का 68 है, जो काफी बताया जा रहा है.
इंसान को ऑक्सीजन की जरूरत होती है.इसकी कमी से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है.सांस लेने वाली हवा का ऑक्सीजन स्तर 19.5 प्रतिशत ऑक्सीजन होना चाहिए.इसके नीचे जाने से नुकसान होता है.
एक्यूआई बढ़ने से बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर काफी असर पड़ रहा है.ऐसे में घरों से निकलने में एहतियात बरतने की जरूरत है.लोगों में स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो सकती है.डॉक्टर एन-95 मास्क लगाकर घर से निकलने की सलाह दे रहे हैं.क्योंकि, बरेली में सांस के मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है.
0 से 50 AQI है, तो यह बहुत अच्छी बात है.इससे सेहत पर कम असर होता है.51-100 AQI भी ठीक है, लेकिन संवेदनशील लोगों को सांस की हल्की दिक्कत हो सकती है.101 के बाद ठीक नहीं है.101 से 200 AQI से फेफड़ा, दिल और अस्थमा मरीजों को सांस में दिक्कत होती है.201-300 AQI काफी खराब है. लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर किसी को भी सांस में दिक्कत होना तय है.301-400 AQI बहुत खराब है. लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर सांस की बीमारी का खतरा होता है.401-500 AQI सबसे अधिक खतरनाक है.इंसान की सेहत पर सबसे अधिक खराब होती है.
रिपोर्ट: मुहम्मद साजिद, बरेली