Jharkhand : गढ़वा में वर्षा, ओलावृष्टि ने एक ही गांव के 300 अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को किया बेघर
300 people of single village forced to take shelter in school due heavy rain and hailstorm in garhwa district of jharkhand. रंका प्रखंड के गासेदाग गांव में प्रकृति के इस कहर की वजह से 300 लोगों को एक स्कूल में शरण लेनी पड़ी. कई लोगों के घर की छत टूट गयी, तो कुछ लोगों के घरों में पानी घुस गया. heavy rain forced 300 people to take shelter in school of gasedag village in garhwa district of jharkhand, Natural disaster forced 300 families to take shelter in school
नंद कुमार
रंका : झारखंड की बिहार, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे गढ़वा जिला में शुक्रवार देर रात से शनिवार तक हुई बारिश ने लोगों का जीना मुहाल कर दिया. खासकर रंका प्रखंड में. प्रखंड के एक गांव में इतने ओले गिरे कि खपरैल और एसबेस्टस की छतें चूर-चूर हो गयीं. कच्चे मकान के छत भी तेज हवाओं और बारिश की वजह से टूट गये हैं.
अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति बहुल इस गांव में प्रकृति ने जमकर कहर बरपाया. बारिश के साथ जमकर हुई ओलावृष्टि से 300 लोगों के खपड़ैल वाले घर के खपड़े टूट गये. रबी फसलों और सब्जी को भी बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचा है. लाखों रुपये की फसल (गेहूं, चना, जौ, अरहर, बटुरा, मसूर, प्याज, टमाटर आदि) बर्बाद हो गये.
रंका प्रखंड के गासेदाग गांव में प्रकृति के इस कहर की वजह से 300 लोगों को एक स्कूल में शरण लेनी पड़ी. कई लोगों के घर की छत टूट गयी, तो कुछ लोगों के घरों में पानी घुस गया. मुश्किल आन पड़ी कि रात कहां बितायेंगे. तब सभी लोगों ने उत्क्रमित मध्य विद्यालय गासेदाग में शरण ली.
वर्षा और ओलावृष्टि ने सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को पहुंचाया है. उनकी लगभग पूरी फसल बर्बाद हो गयी है. खेतों में लगी गेहूं और अरहर की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है. गेहूं के खेतों में पानी जम गये हैं. ओलावृष्टि की वजह से अरहर की फलियां झर गयी हैं.
मुश्किल यह है कि जिनके घरों की छत टूट गयी है, उनके पास अब तक राहत नहीं पहुंची है. छोटे-छोटे बच्चे भूखे हैं. उन्हें खाने को कुछ नहीं मिल रहा. उल्लेखनीय है कि शनिवार और रविवार को गढ़वा जिला के सभी प्रखंडों में मूसलाधार बारिश के साथ-साथ ओलावृष्टि भी हुई. इससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया. अब जब मौसम थोड़ा साफ हुआ है, तो मालूम हो रहा है कि प्रकृति ने किस कदर इस जिले में कहर बरपाया है.
भारी नुकसान ने किसानों को रुलायाभारी नुकसान से पूरे गांव के लोगों के आंसू छलक रहे हैं. ओला गिरने से एक दुधारू गाय की मौत हो गयी. ग्रामीणों ने कहा कि ओले से 300 घरों के खपड़े टूट गये. छत से टपकते पानी से घर में रखे अनाज एवं सारा सामान भींगकर बर्बाद हो गया. खाना पकाने के लिए भी जगह नहीं बचा. पूरा घर-आंगन पानी-पानी हो गया.
किसानों की कमर टूटीफसलों को हुए नुकसान से किसानों की कमर टूट गयी है. किसान सुदामा राम, रामलगन सिंह, कृष्णा भुइयां, जगजीवन भुइयां, शिव भुइयां, विश्वनाथ सिंह, बरत सिंह, रतन भुइयां, राजकुमार भुइयां, रवि भुइयां, सत्येंद्र भुइयां, विनोद सिंह, जीवन भुइयां, प्रगास भुइयां, नारद सिंह, छठु सिंह, शिवनाथ सिंह, शंकर सिंह, जीतु सिंह, धनु सिंह, अंग्रेज सिंह, रामनारायण सिंह, लखन भुइयां, सहोदरी देवी, किसमतिया देवी, बसंती देवी, मनमानी देवी, शंभु साव, कोशिला देवी, मुनि देवी गहनी देवी, कुलवंती देवी व अन्य किसानों ने कहा कि अब वे लोग बेघर हो गये हैं.
इन लोगों ने बताया कि घर में जो भी अनाज था, उसे खेतों में लगा दिया. उम्मीद थी कि फसल होगी, तो उसे बेचकर दिन अच्छे से बीत जायेंगे, लेकिन अब तो दिन काटना मुश्किल हो जायेगा. फसल के साथ-साथ आम के मंजर और महुआ भी नहीं बचा. क्षेत्र में काफी महुआ होता था. महुआ से लोगों में उत्साह रहता था. सब कुछ बर्बाद हो गया.
किसानों ने कहा कि हर साल हमलोग 20-50 हजार रुपये तक महुआ से कमा लेते थे. तेज हवाओं के साथ हुई बारिश और ओलावृष्टि ने उसकी भी आस छीन ली. किसानों ने सरकार से गांव में हुई सभी तरह की क्षतिपूर्ति के लिए मुआवजा की मांग की है.