चतरा : मुंबई में फंसे झारखंड के पत्थलगड्डा प्रखंड के नावाडीह गांव के लगभग 300 युवकों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, अपने सांसदों और विधायकों से अपील की है कि उनकी घर वापसी में मदद करें. ये सभी युवक महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के अलग-अलग क्षेत्रों में फंसे हैं.
ये लोग मुंबई के कलवादेवी, भिमंडी, सोनालय, दादर,अंधेरी, बांद्रा, मलाड और बोरवली में फंसे हैं. सभी करीब छह माह पहले रोजगार की तलाश में मुंबई पहुंचे थे. कोरोना वायरस की महामारी और उसके बाद सरकार के लॉकडाउन की घोषणा के कारण अपने घर नहीं लौट सके.
इतने दिनों में जो कुछ कमाया था, खत्म हो गया. अब खाने-पीने के लाले पड़ रहे हैं. रूम रेंट देने में असमर्थ हैं. इसकी वजह से उनके सामने भुखमरी की स्थिति आन पड़ी है. महाराष्ट्र सरकार ने अब तक ऐसे लोगों के लिए कोई इंतजाम नहीं किये हैं.
युवकों ने चतरा के सांसद सुनील कुमार सिंह, सिमरिया के विधायक किशुन कुमार दास और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से अपील की है कि उन्हें घर लौटने में मदद करें.
मुंबई के कलवादेवी में फंसे युवक दुर्गा ठाकुर ने फोन पर बताया कि गांव में रोजगार का साधन नहीं होने के कारण पांच माह पहले रोजगार की तलाश में महानगर पहुंच गये थे. काम मिल गया था. कमा रहे थे. लेकिन, कोरोना वायरस के कारण सभी काम-धंधे बंद हो गये. इतने दिनों की जमा-पूंजी भी खत्म हो गयी. अब यहां रहना मुश्किल हो गया है.
खाने-पीने के लाले हैं. राशन नहीं मिल रहा. एक जगह पर राशन बंट रहा था. लेने गये, तो भगा दिया गया. कहा गया कि यह महाराष्ट्र के लोगों के लिए है. राशन कार्ड है, तो राशन मिलेगा, नहीं है, तो वापस जाओ.
एक अन्य युवक दामोदर दांगी ने कहा कि काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. खाना बनाने के लिए गैस नहीं है. गैस की सप्लाई भी नहीं हो रही है. सामान खरीदने के भी पैसे नहीं हैं. उसने बताया कि विधायक किशुन कुमार दास से फोन पर बात हुई है. उन्होंने व्हाट्सअप पर सभी युवकों के नाम और वे लोग जहां हैं, उस जगह का पता मंगवाया है. विधायक को सभी के नाम-पते भेज दिये गये हैं. अब देखते हैं कि वह क्या मदद करते हैं.
चंद्रदेव कुमार, बंशी दांगी, दीपू शर्मा, मोहम्मद महफूज, रंजन ठाकुर, विकास प्रसाद, चूरामन गंझू, टिकेश्वर महतो, तारकेश्वर प्रसाद, कजरु प्रसाद ,उमेश प्रसाद सहित इस पंचायत के सभी युवकों ने मुख्यमंत्री समेत अपने तमाम जनप्रतिनिधियों से गुहार लगायी है कि वे उन्हें अपने घर लौटने में मदद करें.