झारखंड : 413 आंदोलनकारी चिह्नित, सबसे ज्यादा 132 बाबानगरी देवघर से
झारखंड आंदोलनकारियों की पहचान का काम जारी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अब तक चिह्नित 413 आंदोलनकारियों के नाम को अधिसूचित करने की मंजूरी दे दी है. अब तक जिन लोगों को आंदोलनकारी के रूप में चिह्नित किया गया है, उनमें सबसे ज्यादा 132 लोग देवघर से हैं.
झारखंड में 413 आंदोलनकारियों को चिह्नित कर लिया गया है. मुख्यमंत्री ने इन आंदोलनकारियों को चिह्नित करने के प्रस्ताव को स्वीकृति दे दी है. चिह्नित सभी आंदोलनकारियों को अनुमान्यता के आधार पर झारखंड आंदोलनकारी के रूप में अधिसूचित किया गया है. मुख्यमंत्री के निर्देश पर आंदोलकारियों को चिह्नित करने की प्रक्रिया गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी है. आने वाले दिनों में अन्य पात्र आंदोलकारियों को भी चिह्नित किया जायेगा.
सबसे ज्यादा 132 आंदोनलकारी देवघर से चिह्नित
चिह्नित आंदोलनकारियों में सबसे ज्यादा देवघर से हैं. बाबानगरी के 132 लोगों को झारखंड आंदोलनकारी के रूप में चिह्नित किया गया है. इसके अलावा बोकारो के 20, धनबाद के 12, गिरिडीह के 43, गोड्डा के 19, गुमला के 33, हजारीबाग के 23, कोडरमा के 13, लातेहार के 2, लोहरदगा के 29, रामगढ़ के 8, रांची के 47, साहिबगंज के 10 और सरायकेला के 22 लोगों को आंदोलनकारियों की लिस्ट में शामिल किया गया है.
आंदोलनकारियों के संघर्ष के प्रति संजीदा हैं मुख्यमंत्री
सरकार गठन के बाद से ही मुख्यमंत्री आंदोलनकारियों के संघर्ष को सम्मान देने के प्रति संजीदा रहे हैं. यही वजह है कि पूर्व में मुख्यमंत्री ने आंदोलनकारी चिह्नितीकरण आयोग के पुनर्गठन, आंदोलनकारी अथवा उनके आश्रितों को मासिक पेंशन और अन्य सुविधाएं देने के निर्णय लिये. झारखंड/वनांचल अलग राज्य के गठन के लिए चिह्नित पांच आंदोलनकारियों के मरणोपरांत उनके आश्रितों को लाभ देने के प्रस्ताव को स्वीकृति दी.
आंदोलन की अंतिम पंक्ति में शामिल लोगों को भी मिलेगा लाभ
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंड/वनांचल एवं जेपी आंदोलनकारी चिह्नितीकरण आयोग से प्राप्त 13वीं संपुष्ट सूची को भी पूर्व में स्वीकृति दी है. मुख्यमंत्री का स्पष्ट निर्देश है कि आंदोलन की अंतिम पंक्ति में शामिल रहे पात्र आंदोलनकारियों को भी झारखंड आंदोलनकारियों को मिलने वाले लाभ दिये जायें.
हर वर्ग के लोगों ने किया आंदोलन में योगदान
उल्लेखनीय है कि अलग झारखंड राज्य के लिए बहुत से लोगों ने अपनी शहादत दी. अलग राज्य की मांग कर रहे नेताओं को बचाने के लिए बहुत से लोगों ने अपनी जान की कुर्बानी दे दी. किसी ने सशस्त्र आंदोलन किया, तो किसी ने लेखनी से अलग झारखंड राज्य के आंदोलन को धार दी. कवि और गीतकारों ने भी इसमें अपना योगदान दिया.
झारखंड आंदोलनकारियों को मिलेंगी सुविधाएं
अलग झारखंड राज्य बनने के बाद से लगातार मांग हो रही थी कि झारखंड राज्य के लिए अपना खून बहाने वाले, आंदोलन करने वाले लोगों को आंदोलनकारी का दर्जा मिले. उन्हें कुछ अलग सुविधाएं सरकार की ओर से मिलें. इसी के तहत झारखंड आंदोलनकारी चिह्नितीकरण आयोग का गठन किया गया. इसमें अब तक 413 लोगों को झारखंड आंदोलनकारी के रूप में मान्यता मिली है.