अलीगढ़ में NOTA से साल 2017 के चुनाव में हार गये थे 49 प्रत्याशी, जानें क्यों खास है ये बटन

अलीगढ़ में 2017 के विधानसभा चुनाव में 49 प्रत्याशी नोटा से चुनाव हारे थे. 7 विधानसभा सीटों पर 77 प्रत्याशियों में से केवल 28 प्रत्याशी ही नोटा से अधिक वोट प्राप्त कर पाए थे. 59 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी, जिनमें से 49 प्रत्याशियों को नोटा से भी कम वोट मिले थे.

By Prabhat Khabar News Desk | January 31, 2022 7:06 PM
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Aligarh News: कभी ईवीएम में ‘ नोटा ‘ के बटन को ‘ गधा ‘ सिंबल देने के लिए चुनाव आयोग से मांग की गई थी. अब नोटा इतना अधिक महत्वपूर्ण हो गया है कि अन्य प्रत्याशियों की भांति नोटा की भी गिनती होती है.

ऐसे हुई नोटा की शुरुआत

जब बैलेट पेपर से मतदान किया जाता था, तो उस समय अगर मतदाता को कोई प्रत्याशी पसंद नहीं आता था, तो बैलट पेपर को खाली ही मत पेटिका में डालने का अधिकार प्राप्त था. तब महसूस हुआ कि कोई भी प्रत्याशी पसंद ना आने पर, कोई विकल्प रखना जरूरी है. 2009 में चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को नोटा का विकल्प उपलब्ध कराने संबंधी अपनी मंशा से अवगत कराया था.

नागरिक अधिकार संगठन पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज ने भी नोटा के समर्थन में एक जनहित याचिका दायर की. जिस पर 2013 को न्यायालय ने मतदाताओं को नोटा का विकल्प देने का निर्णय किया था. 2014 के राज्यसभा चुनाव में सर्वप्रथम नोटा का विकल्प उपयोग में लाया गया. 2018 में नोटा को भारत में पहली बार उम्मीदवारों के समकक्ष दर्जा मिला.

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‘नोटा’ को ‘गधा’ सिंबल देने की हुई थी मांग

2014 में सोशल एक्टिविस्ट और तेलंगाना माटी मनुशुला वेदिका के संस्थापक वेनी पल्ली पांडुरंग ने चुनाव आयोग में डिमांड की थी कि नोटा बटन के लिए गधा सिंबल मिलना चाहिए, ताकि वह लोगों को आकर्षित करे. जिसको चुनाव आयोग ने स्वीकार नहीं किया.

यह है नोटा

ईवीएम मशीन में सबसे लास्ट एक गुलाबी रंग का एक बटन होता है, जिसे नोटा बटन कहते हैं. जब मतदाता को चुनाव में खड़े हुए प्रत्याशियों में से कोई पसंद नहीं है, तो वह नोटा का बटन दबाकर अपना वोट देता है. NOTA यानी None of The Above यानी ऊपर वालों में से कोई नहीं. NOTA का मतलब “उपरोक्त में से कोई नहीं” है. इसे “सभी के खिलाफ” या “खरोंच वोट” भी कहा जाता है.

49 प्रत्याशियों को अलीगढ़ में नोटा ने हराया था

अलीगढ़ में 2017 के विधानसभा चुनाव में 49 प्रत्याशी नोटा से चुनाव हारे थे. 7 विधानसभा सीटों पर 77 प्रत्याशियों में से केवल 28 प्रत्याशी ही नोटा से अधिक वोट प्राप्त कर पाए थे. 59 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी, जिनमें से 49 प्रत्याशियों को नोटा से भी कम वोट मिले थे.

  • खैर में पड़े थे 1651 नोटा वोट

  • बरौली में पड़े थे 1338 नोटा वोट

  • अतरौली में पड़े थे 1325 नोटा वोट

  • छर्रा में पड़े थे 1250 नोटा वोट

  • कोल में पड़े थे 1580 नोटा वोट

  • शहर में पड़े थे 1375 नोटा वोट

  • इगलास में पड़े थे 1122 नोटा वोट

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रिपोर्ट- चमन शर्मा, अलीगढ़

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