यह सर्वविदित है कि एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त करना एक अत्यंत कठिन प्रक्रिया है जिसके लिए बहुत अधिक अनुशासन और एकाग्रता की आवश्यकता होती है. फिर भी, कुछ असाधारण छात्र एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने के बाद भी रूढ़िवादिता को तोड़ने और सरकारी सेवा में शामिल होने का जोखिम भरा कदम उठाने का निर्णय लेते हैं. उन्हीं में शामिल है ये पांच नाम, जिन्होंने यूपीएससी के लिए अपनी डॉक्टर्स की प्रैक्सटिस छोड़ी दी. आइए जानते हैं इनके बारें में-
1. रोमन सैनी
रोमन सैनी निस्संदेह देश के सबसे तेज दिमागों में से एक बड़े अधिकरी हैं वह केवल 16 वर्ष के थे जब उन्होंने प्रतिष्ठित एम्स में दाखिला लिया और मेडिकल कॉलेज में अपने लिए सीट बुक की. एमबीबीएस पूरा करने के बाद, नौजवान रोमन सैनी ने 6 महीने तक एम्स में नेशनल ड्रग डिपेंडेंस ट्रीटमेंट सेंटर (एनडीडीटीसी) में काम किया. 22 साल की उम्र में, सैनी ने एक और चुनौतीपूर्ण खोज शुरू की और 22 साल की उम्र में अखिल भारतीय रैंक (AIR) 18 के साथ यूपीएससी सीएसई में सफलता हासिल की. उन्होंने मध्य प्रदेश में जिला कलेक्टर के रूप में कार्य किया.
2. आईएएस रेनू राज
आईएएस रेनू राज, उन्होंने अपने पहले प्रयास में एआईआर 2 के साथ यूपीएससी में सफलता हासिल की. रेनू राज ने यूपीएससी परीक्षा देने के लिए अपनी मेडिकल प्रैक्टिस छोड़ दी. मुन्नार के हिल स्टेशन में, रेनू राज को अनधिकृत निर्माण परियोजनाओं और भूमि अतिक्रमणों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने के लिए जानें जाते हैं. यूपीएससी से रैंक रखने वाले श्रीराम वेंकटरमन से शादी करने के बाद रेनू राज वर्तमान में केरल में अलाप्पुझा के जिला कलेक्टर के रूप में कार्यरत हैं.
3. डॉ स्नेहा अग्रवाल
डॉ. स्नेहा अग्रवाल, वह 2009 में एम्स, नई दिल्ली से स्नातक हैं. सीएसई 2010 में, उन्होंने एआईआर 305 अर्जित किया. डॉ. स्नेहा की दृढ़ता का फल मिला क्योंकि उन्हें सभी कठिनाइयों के बावजूद सीएसई 2011 में एआईआर 1 प्राप्त हुआ. वह वर्तमान में पंजाब में लुधियाना नगर निगम के आयुक्त के रूप में कार्यरत हैं.
4. डॉ. सैयद सबाहत अजीम
डॉ. सैयद सबाहत अजीम एक सामाजिक उद्यमी और एक प्रशिक्षित डॉक्टर हैं, जिन्होंने 2010 में ग्लोकल हेल्थकेयर सिस्टम शुरू करने के लिए 2000-बैच के आईएएस अधिकारी के रूप में अपना पद छोड़ दिया था. उनके पास दो दशकों से अधिक की चिकित्सा विशेषज्ञता है और उन्होंने आईआईएम अहमदाबाद से विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्राप्त किया है. स्वयं सहायता समूह प्रशिक्षण, बुनियादी ढांचा और वित्तपोषण सहित कई विषय.
5. डॉ. के. विजयकार्तिकेयन
तमिलनाडु के मूल निवासी डॉ. के. विजयकार्तिकेयन ने चिकित्सा की अपनी पृष्ठभूमि से सिविल सेवाओं के क्षेत्र में सफलतापूर्वक परिवर्तन किया. उन्होंने 2009 में एमबीबीएस की उपाधि प्राप्त की, 2010 में प्रतिस्पर्धी यूपीएससी सीएसई उत्तीर्ण की और प्रतिष्ठित आईएएस में शामिल हो गए. डॉ. विजयकार्तिकेयन अब तमिलनाडु राज्य मानवाधिकार आयोग के सचिव हैं.