लॉकडाउन के 50 दिन : अरबों का व्यवसाय चौपट, विकास कार्य ठप, हर ओर मचा है त्राहिमाम
कोरोना वायरस की वजह से जारी लॉकडाउन के 50 दिन पूरे हो गये. इन पच्चास दिनों कटिहार जैसे जिले में अरबों का व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो गया है तो दूसरी ओर पूरे जिले में सैकड़ों विकास कार्य ठप पड़ गये हैं. व्यवसाय व विकास कार्य ठप होने से गरीबों पर खासा असर पड़ा है.
राज किशोर, कटिहार : कोरोना वायरस की वजह से जारी लॉकडाउन के 50 दिन पूरे हो गये. इन पच्चास दिनों कटिहार जैसे जिले में अरबों का व्यवसाय पूरी तरह से चौपट हो गया है तो दूसरी ओर पूरे जिले में सैकड़ों विकास कार्य ठप पड़ गये हैं. व्यवसाय व विकास कार्य ठप होने से गरीबों पर खासा असर पड़ा है. गरीबों को पिछले 50 दिनों से कोई काम नहीं मिल रहा है. हालांकि ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा योजना से कुछ गरीबों को जॉब कार्ड के माध्यम से काम जरूर मिला है. लेकिन हजारों गरीब मजदूर अब भी घर बैठे हैं. राज्य सरकार की सबसे महत्वपूर्ण योजना में एक हर घर नल जल योजना का काम शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में ठप पड़ी है.
इस योजना को कई स्थानों पर गर्मी शुरू होने तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था. ताकि लोगों के घर तक भीषण गरमी के समय शुद्ध पानी पहुंचाया जा सकें. शहर की यदि बात करें तो इस योजना के तहत पिछले वर्ष ही कई वार्डों में पाइप बिछाने का काम पूरा हो चुका है. कई जगहों पर नल भी लगाये जा चुके हैं. लेकिन अब तक कहीं भी पानी की आपूर्ति शुरू नहीं हो सकी है. कोरोना संकट के कारण 50 दिनों से कार्य पूरी तरह से ठप पड़ा है. कहीं पाइप बिछाने का काम अधूरा है तो कहीं पानी टंकी निर्माण का कार्य अधूर पड़ा है. ऐसे में इस वर्ष के गरमी में शहरवासियों के घर तक शुद्ध पानी पहुंचाने का काम संपन्न होता नहीं दिख रहा है.
इन कार्यों के बंद होने से सैकड़ों मजदूरों को काम भी नहीं मिल रहा है. यह स्थिति कमोवेश पूरे जिले की है. इसी तरह राज्य व केंद्र सरकार की कई विकास कार्यों पर लॉकडाउन के कारण ताला लग गया है. जिससे मजदूरों के बीच काम का संकट उत्पन्न हो गया है. इस बीच दूसरे प्रदेशों से भी बड़ी संख्या में मजदूर कटिहार पहुंच रहे हैं. उन मजदूरों को भी काम दिलाना बड़ी चुनौती बनेगी.
लॉकडाउन के बीच खुले कई दुकानदारों की बोहनी पर आफत – लॉकडाउन के कारण हर तबका त्राहिमाम कर रहा है. चाहे वह बड़ा व्यवसाय हो या छोटा कारोबारी, दुकानदार, फुटपाथी दुकानदार सभी की स्थिति खराब हो चली है. बिहार में 22 मार्च से ही लॉकडाउन है. लॉकडाउन की अवधि 50 दिन पूरे हो गये हैं. इन 50 दिनों में अरबों का व्यवसाय प्रभावित हुआ है. लॉकडाउन में ढील देने के बाद कई दुकानों को खोलने की अनुमति मिली है. लेकिन ग्राहक दुकानों तक नहीं पहुंच रहे हैं. इससे व्यवसायी काफी निराश है. खासकर गरमी में पंखा, कूलर, एसी जैसे उपकरण बेचने वाले दुकानदारों को आशा थी कि दुकान खुलने के बाद जमकर बिक्री होगी. लेकिन इसके ठीक विपरित हुआ है. दिन भर दुकान खोलकर बैठने के बाद भी बोहनी पर आफत आ जा रही है.
व्यवसायियों ने बताया कि लंबे समय तक चले लॉकडाउन के कारण लोगों के पास नगदी खत्म हो गयी है. लाखों लोग घरों में 50 दिनों से बैठे हैं. बहुत सारे लोगों को फरवरी, मार्च तक का वेतन नहीं मिला है. वैसे लोगों के सामने दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में गरमी से राहत पाने जैसे उपकरण की खरीदार कैसे करेंगे. वहीं दूसरा तबका गरीब जिसकी संख्या भी बड़ी तादाद में है. वैसे लोग पूरी तरह अभी बेरोजगार होकर रह गये हैं. काम पूरी तरह से बंद है. दुकानों पर ताला लटका है. ऐसे विपरित समय में नया समान खरीदारी करने के लिए लोग नहीं निकल रहे हैं. सभी अपने खर्च को कम करने में लगे. व्यवसायियों ने बताया कि बाजार की हालत काफी खराब इस वर्ष रहने वाली है. जब तक गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार के हाथ में नगदी नहीं आयेगी. तब तक बाजार की स्थिति सुधरने की उम्मीद नहीं है.
सब्जी, राशन व दवा दुकानों पर ही दिख रही भीड़- लॉकडाउन में आवश्यक सेवा से जुड़े सब्जी, राशन, दवा दुकान, पेट्रोल पंप, रसेाई गैस, दूध आदि की दुकानें खुली रही. इन दुकानों पर पहले भी भीड़ थी और लॉकडाउन में ढील देने के बाद भी इन्हीं दुकानों में भीड़ दिख रही है. लॉकडाउन में ढील देने के बाद जिला प्रशासन के निर्देश पर खुले इलेक्ट्रॉनिक्स गुड्स, पंखा, कूलर, एयर कंडीशनर एवं इलेक्ट्रिक गुड्स जिसमें मोबाइल, कंप्यूटर, लैपटॉप की दुकानें, ऑटोमोबाइल, टायर, टयूब्स, लुब्रिकेंट, मोटर वाहन, मोटरसाइकिल स्कूटर मरम्मत तथा निर्माण सामग्री के भंडारण एवं बिक्री से संबंधित प्रतिष्ठान सीमेंट, स्टील, बालू, स्टोन, गिट्टी, सीमेंट ब्लॉक, ईट, प्लास्टिक पाइप, हार्डवेयर, सेनिटरी फिटिंग, लोहा, पेंट, शटरिंग सामग्री का दुकानें जबकि ऑटोमोबाइल, स्पेयर पार्ट्स शैक्षणिक पुस्तक व स्टेशनरी की दुकान, गैरेज, वर्कशॉप की दुकानों में लोग काफी कम पहुंच रहे हैं.
जो चिंता का विषय इन दुकानदारों के लिए बनता जा रहा है. दरअसल लोगों के पास नगदी संकट होने के कारण सिर्फ जरूरत के समान ही किसी तरह खरीद पा रहे हैं. लोग अपने घर का निर्माण कार्य तक को बंद कर दिया है. नया मोबाइल लेने की बात तो दूर खराब पड़े मोबाइल को बनवाने भी नहीं पहुंच रहे हैं. टीवी, मोबाइल में रिचार्ज कराने के प्रति भी लोगों में पहले की तरह उत्साह नहीं है. इसका एक मात्र कारण लोगों के पास नगदी नहीं होने की बात कहीं जा रही है. हजारों लोग अब भी हैं दूसरे प्रदेशों में हैं फंसे, परिजन हो रहे परेशान
कोरोना संकट के बीच देशव्यापी लॉकडाउन में बड़ी संख्या में छात्र व मजदूरों की धर वापसी हो रही है. लेकिन अब भी हजारों की संख्या में लोग दूसरे प्रदेशों में फंसे हैं. वैसे लोग जल्द से जल्द घर लौटना चाह रहे हैं लेकिन सरकार सभी लोगों को सुविधा प्रदान करने में फेल साबित हो रही है. जिसके कारण उनके परिजनों की चिंता बढ़ती जा रही है. कोटा, दिल्ली, यूपी में अब भी काफी संख्या में कटिहार के छात्र फंसे हुए हैं. जिनको घर वापसी के लिए रजिस्टेशन भी कर रखा है. लेकिन सरकार अब तक ट्रेन से नहीं भेज रही है. इसी तरह देश के दूसरे कई प्रदेशों में मजदूर फंसे हैं. दूसरे कई मजदूरों के घर पहुंचने के बाद जो लोग घर नहीं लौट पाये हैं. उनके परिजनों में चिंता बढ़ गयी है.
बाजार में भीड़ बढ़ती ही जा रही –जिला प्रशासन की ओर से लॉकडाउन के बीच कुछ ढील देने के बाद कई तरह की दुकानें खुल रही है. इन दुकानों के खुलने के बाद लोग लॉकडाउन समाप्त होने जैसे हरकत कर रहे हैं. यह वैसे समय में हो रहा है जब जिले में कोरोना मरीजों की संख्या 11 तक पहुंच चुकी है. बिहार में 22 मार्च से लगे लॉकडाउन के बाद काफी सख्ती प्रशासन की ओर से बरती गयी थी. यह सिलसिला काफी दिनों तक चला है. यही वजह रहा कि 30 अप्रैल तक एक भी भी कोरोना मरीज नहीं पाया गया. एक मई से कोरोना के मरीज मिलने शुरू हुए और बढ़कर 11 तक संख्या पहुंच गयी. इसके बाद भी लोग लगातार लापरवाही बरत रहे हैं. बेवजह बाजार में घुमने वाले युवाओं की संख्या बढ़ गयी है. बाजार में खरीदारी के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां अलग उड़ायी जा रही हैं.