Agra News: ताजनगरी में मेट्रो डिपो का 60 फीसदी काम पूरा, प्रीकास्ट तकनीक से बनायी गयी दीवार

Agra News: परियोजना निदेशक अरविंद राय ने बताया कि 60 फ़ीसदी से अधिक काम पूरा हो चुका है. दीवार के बाहर सौंदर्यीकरण किया जा रहा है. पौधारोपण के लिए गमले बनाए गए हैं. डिपो में पटरी भी पहुंच गई है. साथ ही वॉटर टैंक के अलावा शीट बनाने का काम भी जारी है.

By Prabhat Khabar News Desk | March 3, 2022 6:35 AM
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Agra News: ताजनगरी में मेट्रो रेल परियोजना का काम तेजी से चल रहा है. जबकि उससे पहले ही मेट्रो डिपो का काम पूरा होने को है. उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन की ओर से पीएसी मैदान में मेट्रो डिपो का काम चल रहा है. पीएसी मैदान में ही मेट्रो डिपो की दीवार पूर्ण रूप से तैयार हो चुकी है, जिसे अल्ट्रा मॉडर्न डिजाइन से तैयार किया गया है.

दिव्यांगों के लिए बनाया जा रहा टेक्टाइल पाथवे

ढाई किलो मीटर लंबी दीवार पर जगह-जगह मेट्रो का लोगो बनाया गया है, जो बेहद खूबसूरत लग रहा है. वहीं सर्किट हाउस की सड़क का भी सौंदर्यीकरण किया जा रहा है. इसके साथ ही दिव्यांगों के लिए टेक्टाइल पाथवे बनाया जा रहा है, जिसमें दिव्यांगों को दिशा बताने वाली टाइल्स भी लगेंगी.

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प्रीकास्ट तकनीक से बनायी गयी दीवार

यूपीएमआरसी (उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन) के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने 112 करोड़ रुपये की लागत से 9 हेक्टेयर में निर्माणाधीन डिपो के विश्वस्तरीय होने का दावा किया है. सिकंदरा से ताज पूर्वी गेट तक प्रस्तावित पहले कॉरिडोर के लिए यह डिपो निर्माण किया गया है. पुरानी मंडी चौराहे चौराहे पर दीवार खड़ी की जा चुकी है, जिसे प्रीकास्ट तकनीक से बनाया गया है. इसमें पहले बेस बनता है और फिर प्रीकास्ट दीवार खड़ी की जाती है.

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सौदर्यीकरण का काम जारी

परियोजना निदेशक अरविंद राय ने बताया कि 60 फ़ीसदी से अधिक काम पूरा हो चुका है. दीवार के बाहर सौंदर्यीकरण किया जा रहा है. पौधारोपण के लिए गमले बनाए गए हैं. डिपो में पटरी भी पहुंच गई है. साथ ही वॉटर टैंक के अलावा शीट बनाने का काम भी जारी है.

अल्ट्रा मॉडर्न तकनीक में प्रीकास्ट ढांचे का इस्तेमाल

परियोजना निदेशक अरविंद राय के अनुसार अल्ट्रा मॉडर्न तकनीक में प्रीकास्ट ढांचे का इस्तेमाल होता है. गहरी व स्पष्ट आकृतियां उकेरी जा सकती हैं, जिससे यह देखने में सुंदर व मजबूत होती हैं. विदेशों में भी इसी तकनीक से सिविल निर्माण किया जाता है.

रिपोर्ट- राघवेंद्र सिंह गहलोत, आगरा

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