पश्चिम बंगाल के हुगली जिले में देखने को मिला अजीबाे-गरीब मामला. प्रशिक्षण के बावजूद शिक्षक की नौकरी नहीं मिली. बाद में पैनल रद्द कर दिया गया. कोर्ट का दरवाजा खटखटाने के बाद भी कोई समाधान नहीं निकला. अभ्यर्थियों ने नौकरी के लिए वर्षों इंतजार किया. अब उनकी उम्र 60 वर्ष से अधिक हो गयी है. आखिर में उन्हें नियुक्ति पत्र तब मिला, जब वे सेवानिवृत्ति की उम्र पार कर चुके हैं. हुगली प्राइमरी एजुकेशन बोर्ड (Hooghly Primary Education Board) की ओर से हाल में ऐसे 66 लोगों को नियुक्ति पत्र दिया गया है, जो 60 वर्ष से अधिक के हैं. चार लोगों की मौत भी हो चुकी है. इस उम्र में नियुक्ति पत्र मिलने से उनका चौंकना स्वाभाविक है.
कोई नियुक्ति पत्र में अंकित स्कूल में पता लगाने के लिए पहुंचा, तो किसी ने अंचल कार्यालय से संपर्क किया. वाम समर्थित शिक्षक संगठन एबीपीटीए ने घटना की जांच की मांग की है. हालांकि जिला प्राथमिक शिक्षा परिषद द्वारा आधिकारिक तौर पर कुछ भी घोषित नहीं किया गया है.सूत्रों के अनुसार, 20 दिसंबर 2023 को कलकत्ता हाइकोर्ट ने नियुक्ति का आदेश दिया था. इसी आधार पर 66 लोगों को नियुक्ति पत्र दिया गया. इनकी नियुक्ति आठ अगस्त 2014 से प्रभावी है.
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पांडुआ के दीनबंधु भट्टाचार्य प्रमाणपत्र लेने के बाद गुरुवार को नौकरी ज्वाइन करने गये थे. उन्होंने कहा कि वाममोर्चा के शासनकाल में मैंने प्रशिक्षण लिया. बाद में पैनल रद्द कर दिया गया. इतने वर्षों बाद नियुक्ति पत्र मिला. करीब 71 वर्षीय व्यक्ति सोच भी नहीं सकता कि अब वह नौकरी करेगा. इस उम्र में मुझे नौकरी कैसे मिल सकती है. एबीपीटीए के केंद्रीय अध्यक्ष मोहन पंडित ने कहा कि ऐसी घटना पहले कभी नहीं हुई. सेवानिवृत्ति की उम्र बीतने पर नियुक्ति पत्र थमाया जा रहा है.हम इसकी जांच चाहते हैं.
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हुगली जिला प्राथमिक शिक्षा परिषद की अध्यक्ष शिल्पा नंदी ने कहा, “ मैं अभी कुछ नहीं कह सकती, जब तक मेरे पास लिखित में कुछ नहीं आता.” भाजपा के राज्य कमेटी के सदस्य स्वपन पाल ने कहा कि जिन लोगों की मौत हो गयी है, उन्हें भी नियुक्ति पत्र दे दिया गया है. अन्य की भी काम करने की उम्र नहीं रह गयी है. यह ऐसी निकम्मी सरकार है, जिसे पता ही नहीं कि कौन जिंदा है और कौन मर गया. हुगली जिला परिषद के शिक्षा अधिकारी सुबीर मुखोपाध्याय ने कहा कि अदालत के फैसले को लागू किया जाना चाहिए. संबंधित विभाग ने ऐसा ही किया है.
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