वर्ष 2015-16 से 25 सितंबर 2023 के बीच कुल 698 हाथियों, 48 तेंदुओं और सात रॉयल बंगाल टाइगर्स की मौत हो गयी. वन और पर्यावरण मंत्री प्रदीप अमात ने ओडिशा विधानसभा में यह बात कही.अमात ने विधायक प्रफुल्ल सामल द्वारा पूछे गये एक अतारांकित प्रश्न का उत्तर देते हुए यह बात कही. उन्होंने सदन को बताया कि हाथियों और बड़ी बिल्लियों की मौत बीमारियों, बिजली के झटके, ट्रेन दुर्घटना, सड़क दुर्घटना, अवैध शिकार और जहर सहित कई कारणों से हुई. विधायक सामल ने जानवरों की मौत को कम करने के लिए उठाये गए कदमों के बारे में भी जानना चाहा. अपने जवाब में मंत्री ने कहा कि उनके प्राकृतिक आवासों को मजबूत किया गया है, बड़ी संख्या में हाथी चारे वाले पौधे लगाये गये हैं और चारागाह विकसित किये गये हैं. उन्होंने कहा कि इसके अलावा, कृत्रिम तालाब भी खोदे गये हैं और जंगल की आग और अवैध शिकार से निपटने के लिए कदम उठाये गये हैं.
पांच वर्षों में हाथियों के हमले में 602 लोगों की गयी है जान
वहीं, कांग्रेस विधायक ताराप्रसाद बाहिनीपति ने भी जानना चाहा कि मानव-हाथी संघर्ष के कारण अब तक कितने लोगों की मौत हो चुकी है. उनके सवाल का जवाब देते हुए मंत्री अमात ने कहा कि पिछले पांच साल में हाथियों के हमले में कुल 602 लोग मारे गये. अमात ने बताया कि इसी अवधि के दौरान हाथियों ने 127 घरेलू पशुओं को मार डाला और 611 घरों को गिरा दिया.
Also Read: ओडिशा : सुंदरगढ़ जिले में हाथी-मानव संघर्ष जारी, गजराज ने 55 महीने में 77 लोगों की ले ली जान