Jharkhand News: दुनिया तेजी से बदल रही है. तकनीकी बदल रही है. काम करने की शैली बदल रही है, तो खेती-किसानी कैसे नहीं बदलेगी. कुछ किसानों ने ऐसी ही किसानी में प्रयोग किया और अपनी आमदनी दोगुनी-तिगुनी कर ली. आज हम ऐसे ही कुछ किसानों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने कुछ ऐसा ही कर दिखाया है धनबाद जिला अंतर्गत बाघमारा प्रखंड के अंतिम छोर में बसे मलकेरा में.
मलकेरा के सात किसानों की मेहनत लायी रंग
मलकेरा के सात किसान परिवार रामकुमार राम, अरविंद पासवान, कमलेश यादव, मुन्ना यादव, रामकृत यादव सहित अन्य ने प्रतिकूल परिस्थिति के बावजूद मलकेरा मैगजीन एरिया में 20 एकड़ परती बंजर जमीन पर खेती कर लोगों के समक्ष चुनौती पेश कर दी. ये जमीन ऐसी थी कि इसमें पानी का ठहराव भी नहीं होता है. खनन क्षेत्र होने के कारण बरसात का पानी जमीन के अंदर चला जाता है. बावजूद इसके विपरीत परिस्थिति में भी ये किसान सालों भर खेती कर प्रति किसान दो से तीन लाख रुपये सालाना कमा रहे हैं. ये लोग धान, गेहूं, सब्जी, फल आदि की खेती कर रहे हैं. किसानों ने बताया कि यदि सही ढंग से खेती की जाए, तो किसी नौकरी से कम नहीं है. खेती में ईमानदारीपूर्वक मेहनत आवश्यक है. खेती से वे लोग संतुष्ट हैं.
टाटा स्टील फाउंडेशन किसानों को समय-समय पर देता है भरपूर मदद
मलकेरा के ये किसान हालांकि पहले से ही इक्का-दुक्का खेती करते थे. खेती के प्रति इनलोगों के उत्साह और मेहनत को देखते हुए टाटा स्टील फाउंडेशन (Tata Steel Foundation- TSF) ने किसानों को सहयोग करने का बीड़ा उठाया. फाउंडेशन ने सबसे पहले खेती के लिए आवश्यक सिंचाई के साधन की व्यवस्था की. सिंचाई के लिए सबसे पहले तालाब बनाया गया. तालाब में ही इन्हें फाउंडेशन की और से बतख पालन में मदद की. हालांकि इसमें लोग सफल नहीं हो सके. इसके बाद ये किसान बड़े पैमाने पर खेती करने को ठानी. फाउंडेशन ने इनके निर्णय के बाद इन्हें अच्छी किस्म के धान,गेहूं, सब्जी का बीज उपलब्ध कराया. इन्हें खेती के लिए आधुनिक तरीके का प्रशिक्षण दिलाया.
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थ्री लेयर खेती से एक साथ उग रही कई तरह की फसल
जमीन की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए किसानों ने खेती लायक बनाया. यह जमीन पूरी तरह परती थी. परती रहने के कारण बंजर सा हो गया था. किसानों ने किसान पानी पंचायत सिंचाई परियोजना नामक एक ग्रुप बनाकर खेती करने का बीड़ा उठाया. ये लोग सबसे पहले जमीन को एक आकार दिया. जमीन के अनुरूप ये लोग आधुनिक पद्धति के इस्तेमाल कर खेती करना शुरू की. जमीन के स्तर तीन तरह की बन गयी. निचले हिस्से जहां पानी का जमाव होने लगा, वहां ये धान की खेती करने लगे. इससे ऊपर के हिस्से में गेहूं लगाया जाने लगा और जमीन की ऊपरी क्षोर में सब्जियों के साथ केला, अमरूद, आम, ईख आदि लगाया गया. इससे एक ही सिंचाई में तीनों खेती बेहतरीन ढंग से होने लगी. जमीन का विस्तारीकरण 20 एकड़ तक किया गया है.
किसानों की मदद को तैयार है टीएसएफ : हेड
टाटा स्टील फाउंडेशन, झरिया समूह के यूनिट हेड राजेश कुमार ने बताया कि किसानों की मेहनत देख फाउंडेशन ने इन लोगों को मदद करने की बीड़ा उठाया. संस्था का सहयोग किसानों ने साकार करके दिखाया है. इनलोगों की खेती देख अन्य किसानों को भी प्रेरणा लेकर खेती करनी चाहिए. संस्था मदद करने को तैयार है.
रिपोर्ट : इंद्रजीत पासवान, सिजुआ, धनबाद.