लगातार 36 घंटे तक निर्जला व्रत रखने की बात ही सुनकर कई लोगों की हिम्मत जवाब दे जाती है. लेकिन, कहते हैं कि दृढ़ संकल्प कर लें, तो कोई भी काम नामुमकिन नहीं है. झारखंड के गढ़वा जिले की 7 साल की मालिनी कुमारी को देखेंगे, तो आपको भी इस वाक्य पर यकीन हो जायेगा. आपको यकीन करना होगा कि दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली इस बच्ची ने पूरी नियम-निष्ठा के साथ न केवल छठ पूजा की, बल्कि 36 घंटे का निर्जला उपवास भी रखा.
झारखंड के गढ़वा जिले के केतार प्रखंड की इस बच्ची के बारे में जिसने भी सुना, उसने दांतों तले उंगली दबा ली. मालिनी कुमारी की भक्ति-भावना की सभी तारीफ कर रहे हैं. उसकी हिम्मत को लोग सलाम कर रहे हैं. लोगों के मन में सवाल उठना लाजिमी है कि नन्हीं-सी इस बच्ची ने इतना कठिन व्रत क्यों किया? क्या किसी ने उस पर छठ पर व्रत रखने का दबाव बनाया था? क्या उसने अपनी किसी मनोकामना के लिए यह व्रत रखा?
Also Read: आजादी के पूर्व से हो रही है गढ़वा के बांकी नदी में छठ पूजा, जानें इसके पीछे की दिलचस्प कहानीइस सवाल का जवाब खुद मालिनी कुमारी देती है. केतार प्रखंड के लतमरवा ग्राम निवासी रंजीत मेहता की पुत्री मालिनी कुमारी (7) ने बताया कि उसके घर में उसकी मां अनुराधा देवी, पिता रंजीत मेहता, चाची दालेंद्री देवी एवं दादी मीरा देवी को उसने छठ व्रत करते देखा. तैयारी के दौरान उसके मन में भी छठ पूजा करने की इच्छा जगी. उसने तय कर लिया कि वह छठ का व्रत रखेगी. इसके बाद उसने पूजा की तैयारी शुरू कर दी और पूरे विधि-विधान के साथ पूजा-अर्चना की.
प्राथमिक विद्यालय लतमरवा में दूसरी कक्षा में पढ़ने वाली मालिनी ने 36 घंटे का निर्जला उपवास प्रारंभ किया और घर के पास ही स्थित लतमरवा पंडा नदी के तट पर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया. इसके बाद पूरी रात घाट पर ही रही. वह रात भर अन्य छठव्रतियों के साथ जागती रही और सुबह उदयीमान भगवान भास्कर को अर्घ्य देकर छठ महापर्व के अनुष्ठान को संपन्न किया. छठ व्रत पूर्ण करने के बाद मालिनी कुमारी पूरी तरह स्वस्थ है.
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