70 Hour Work Week : सत्तर घंटे के कार्य सप्ताह पर क्या है टेक इंडस्ट्री के दिग्गजों की राय? जानें

इंफोसिस के सह-संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति ने हाल ही में राष्ट्र निर्माण के लिए युवाओं को प्रति सप्ताह 70 घंटे काम करने का सुझाव दिया. उनके इस सुझाव पर काफी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. कोई इसके पक्ष में है, तो कोई विपक्ष में. हम आपके लिए इस मुद्दे पर लाये हैं टेक इंडस्ट्री के दो दिग्गजों की राय.

By Rajeev Kumar | November 13, 2023 8:13 AM

70 Hour Work Week : इंफोसिस के सह-संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति ने हाल ही में राष्ट्र निर्माण के लिए युवाओं को प्रति सप्ताह 70 घंटे काम करने का सुझाव दिया. उनके इस सुझाव पर काफी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. कोई इसके पक्ष में है, तो कोई विपक्ष में. हम आपके लिए इस मुद्दे पर लाये हैं टेक इंडस्ट्री के दो दिग्गजों की राय. पहली है – टीमलीज की उपाध्यक्ष और टीमलीज डिग्री अप्रेंटिसशिप की व्यवसाय प्रमुख धृति प्रसन्न महंत की राय और दूसरी है एलएंडटी के मानद चेयरमैन एएम नाइक की राय. आइए डालें एक नजर-

‘सत्तर घंटे के कार्य सप्ताह से श्रम कानूनों का उल्लंघन’

कर्मचारियों के लिए 70 घंटे का कार्य सप्ताह लागू करने में एक समस्या है कि यह फैसला श्रम कानूनों का उल्लंघन करता है. नियोक्ताओं और कर्मचारियों को जोड़ने वाली कंपनी टीमलीज की उपाध्यक्ष और टीमलीज डिग्री अप्रेंटिसशिप की व्यवसाय प्रमुख धृति प्रसन्न महंत ने यह बात कही. उन्होंने कहा, अगर कोई (कार्यालय में) 70 घंटे बिता रहा है, तो वह नौ घंटे से अधिक काम कर रहा है. इसमें एक बुनियादी विसंगति यह है कि अगर आप एक कर्मचारी हैं तो श्रम कानून आपको नौ घंटे काम करने की अनुमति ही देता है.

Also Read: 70 Hours Work A Week: सुधा मूर्ति ने बताया- सप्ताह में कितने घंटे काम करते हैं नारायण मूर्ति

इन्फोसिस के पूर्व सीईओ एन आर नारायण मूर्ति ने हाल ही में 70 घंटे के कार्य सप्ताह की वकालत की थी, जिस पर हर तरफ से प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. महंत ने पीटीआई भाषा से कहा कि अगर 70 घंटे का कार्य सप्ताह संभव हो गया, तो इससे रोजगार की लागत भी बढ़ जाएगी और कई जगहों पर ओवरटाइम के लिए भुगतान करने की अनुमति नहीं है.

उन्होंने बताया कि यह उद्यमियों और स्व-प्रेरित व्यक्तियों के लिए तो ठीक है, लेकिन श्रम कानूनों के अनुपालन मानदंडों के कारण इसे लागू नहीं किया जा सकता. नियुक्ति के रुझान पर उन्होंने कहा कि एआई (कृत्रिम मेधा), मशीन लर्निंग और ब्लॉकचेन में नौकरी की करीब 65 प्रतिशत मांग गैर-तकनीकी क्षेत्रों से आ रही है. ये मांग खासतौर से दूरसंचार, विमानन, खुदरा कारोबार, फिनटेक और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों से है.

‘दिन में 15 घंटे काम किया, एलएंडटी में ऑफिस की टेबल पर सोया’

एलएंडटी के मानद चेयरमैन एएम नाइक ने कहा कि उन्होंने दिन में 15-15 घंटे काम किया और लंबे समय तक काम करने के बाद कार्यालय की मेज पर सोये. उन्होंने पांच दशकों से अधिक समय में दिग्गज इंजीनियरिंग कंपनी लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) को खड़ा किया. इससे पहले, इंफोसिस के सह-संस्थापक एन आर नारायण मूर्ति ने राष्ट्र निर्माण के लिए युवाओं को प्रति सप्ताह 70 घंटे काम करने का सुझाव दिया था. उनके इस सुझाव पर काफी हंगामा हुआ.

नाइक ने कहा कि प्रतिदिन 15 घंटे काम करने के बाद, वह घर वापस जाते थे और उसके बाद एक घंटे एलएंडटी के बारे में सोचते थे. उन्होंने कहा कि बिड़ला द्वारा शुरू की गई कॉरपोरेट अधिग्रहण की लड़ाई के दौरान एलएंडटी को बचाने में पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस ने मदद की. फर्नांडीस अपने समाजवादी झुकाव के कारण कंपनी को किसी बड़े व्यापारिक घराने के हाथों में नहीं जाने देना चाहते थे.

नाइक ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल में कई प्रधानमंत्रियों से मुलाकात की और साथ ही दावा किया कि कभी-कभी प्रधानमंत्री एलएंडटी के कारण अपनी सरकार को बचाए रखने में सफल रहे. हालांकि, उन्होंने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया. नाइक ने कहा कि वह सुबह की बैठकों के लिए रात भर यात्रा करते थे.

उन्होंने यहां एक कार्यक्रम में कहा, जब मैं छात्र था, मैं एक ऐसी कंपनी में शामिल होने के बारे में सोच रहा था जो निश्चित रूप से मुझे प्रौद्योगिकी नवोन्मेष और इंजीनियरिंग उत्कृष्टता का अवसर दे, लेकिन साथ ही जो मुझे राष्ट्र निर्माण में मदद करने के लिए एक मंच भी दे.

नाइक ने 2017 में एलएंडटी के कार्यकारी चेयरमैन पद से इस्तीफा दे दिया था. उन्होंने कहा कि घंटों तक काम करने के बाद वह कई बार कार्यालय की मेज पर सो जाते थे. उन्होंने कहा कि जिन 20 वर्षों के दौरान वह एलएंडटी के शीर्ष पर थे, कंपनी का बाजार पूंजीकरण 4,000 करोड़ रुपये से 130 गुना बढ़कर पांच लाख करोड़ रुपये से अधिक हो गया.

नाइक ने कहा कि जीवन में सफल होने के लिए युवा अधिकारियों में समर्पण, जुनून, दृढ़ विश्वास और प्रतिबद्धता होनी चाहिए. उन्होंने स्व-शिक्षण के महत्व पर भी जोर देते हुए कहा कि वह इस पर बहुत भरोसा करते हैं. उन्होंने कहा कि प्रबंधन संस्थानों को अपने छात्रों को कम से कम तीन महीने के लिए गांवों में भेजना चाहिए, ताकि वे देश को बेहतर ढंग से समझ सकें.

नाइक ने कहा कि एलएंडटी के कर्मचारी रेगिस्तान में हॉवित्जर तोपों का परीक्षण करने जाते हैं, और इनमें से एक भी व्यक्ति आईआईएम से नहीं होता है. एलएंडटी की कार्यकारी जिम्मेदारियों को छोड़ने के बाद नाइक दिन में छह घंटे काम करते हैं और इनमें से दो घंटे परमार्थ कार्यों के लिए देते हैं. उन्होंने कहा कि अब वह सूट की जगह साधारण टी-शर्ट पहनना पसंद करते हैं, जो उन्हें लोगों के लिए अधिक सुलभ बनाती है.

Next Article

Exit mobile version