झारखंड: एक दशक से बदहाल सड़क की अब बदलेगी तस्वीर, टेंडर निकलने से ग्रामीणों में खुशी

सरकार विभाग द्वारा दुरूकसमार से रौता गस्ती तक की चार किलोमिटर तक की सड़क को मरम्मत के लिये टेंडर निकला है. इस खबर से रौता सहित दुरूकसमार के ग्रामीणों में हर्ष का माहौल व्याप्त है. सड़क पर बड़े पत्थर निकल आये हैं. मार्ग की हालत बद से बतर हो गयी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | April 9, 2023 4:01 AM
an image

केदला (रामगढ़), वकील चौहान. रामगढ़ जिले के मांडू प्रखंड अंतर्गत उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र झूमरा पहाड़ की तलहटी में बसी रौता बस्ती बुनियादी सुविधाओं के अभाव की खबर 25 फरवरी को प्रभात खबर में गांव में रिश्ते के लिये नहीं आते हैं लोग, होती है ग्रामीणों की शर्मिंदगी शीर्षक प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था. इस मामले को झारखंड सरकार से गंभीरता से लिया और टेंडर निकाल गया.

10 साल से सड़कें जर्जर

सरकार विभाग द्वारा दुरूकसमार से रौता गस्ती तक की चार किलोमिटर तक की सड़क को मरम्मत के लिये टेंडर निकला है. इस खबर से रौता सहित दुरूकसमार के ग्रामीणों में हर्ष का महौल व्याप्त है. गौरतलब हो कि दस वर्षों से बस्ती की सड़क की गंभीर समस्या चल रही है. इस बस्ती में करीब एक सौ से अधिक घरे हैं. बस्ती में छह सौ के करीब आबादी है. बस्ती में जाने के लिये परेज से पांच किलोमीटर जर्जर सड़क पहाड़ी मार्ग को तय कर जाना पड़ कहा है.

Also Read: झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय: इंटीग्रेटेड कोर्स में 773 सीटों पर एडमिशन, 9-11 अप्रैल तक कर सकेंगे रजिस्ट्रेशन

जर्जर सड़क की बदलेगी तस्वीर

मार्ग से आने-जाने वाले लोग रोज गिर कर चोटिल हो रहे हैं. सड़क पर बड़े पत्थर निकल आये हैं. मार्ग की हालत बद से बतर हो गयी है. इस मार्ग से बड़े वाहनों का आना जाना बंद हो गया है. बस्ती के लोग मोटरसाइकिल व पैदल चल कर परेज मुख्य मार्ग पहुंचते हैं. इसके बाद ही सवारी गाड़ी. से रामगढ़ व हजारीबाग का सफर करते हैं. ग्रामीण दुख की मार अपने दिल में लंबे समय से दबाये हुये हैं. सड़की की हालत ठीक नहीं रहने से बच्चों की शिक्षा पर गहरा असर पड़ रहा है. यहां के बच्चों को ट्यूशन के लिए दूरी तय करनी पड़ रही है. ऐसे में बच्चों का हौसला काफी टूट जा रहा है. बस्ती के सड़क खराब होने के कारण चिकित्सक भी नहीं आना-जाना करते हैं. मरीजों को चारपाई (खटिया ) पर रख कर चार लोगों की मदद से परेज व तापीन मार्ग के पास पास पहुंचाना. इसके बाद ही मरीज एम्बुलेंस पर सावाह होकर अस्पताल पहुंचा पाते हैं. ग्रामीणों ने कहा कि कई गर्भवती महिलाएं सही समय पर अस्पताल में नहीं पहुंचने के कारण रास्ते में ही दम तोड़ दीं. बस्ती की जो हालत बनी हुई है. इस अवस्था में नयी पीढ़ी की शादी विवाह में समस्या शुरू हो गयी है.

Exit mobile version