7th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के बराबर महंगाई भत्ते (डीए) बकाया की मांग को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार के कर्मचारियों के 36 संगठनों के ‘संग्रामी संयुक्त मंच’ ने सोमवार से दो दिवसीय पेन-डाउन या हड़ताल शुरू कर दी. राज्य सरकार ने इसके खिलाफ सख्त रुख अख्तियार कर लिया है.
पश्चिम बंगाल के वित्त सचिव मनोज पंथ ने शनिवार को सरकारी दिशा-निर्देश जारी कर कहा है कि अगर कोई अति महत्वपूर्ण कारणों को छोड़कर आज और कल या आज या कल काम पर नहीं आता है, तो उसका कामकाजी जीवन बाधित होगा, लेकिन इसके बावजदू सरकारी कार्यालय में कर्मचारियों का प्रदर्शन और नारेबाजी जारी है.
सरकार के सख्त रवैये के बावजूद संयुक्त संग्रामी मंच ने कहा कि जरूरत पड़ी, तो कानूनी लड़ाई भी लड़ेंगे. मंच ने वित्त सचिव के निर्देश को तत्काल वापस लेने की मांग करते हुए एक प्रति-कानूनी पत्र दायर किया, जिसमें दावा किया गया है कि यह एक ‘काला निर्देश’ है.
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सत्तारूढ़ दल के कर्मचारी संगठनों के प्रभारी मानस भुइयां, जो राज्य के मंत्री भी हैं, ने कहा कि संयुक्त मंच द्वारा बुलायी गयी हड़ताल के विरोध में तृणमूल कांग्रेस सरकार के खिलाफ कर्मचारी महासंघ हर कार्यालय में टिफिन के समय मार्च और बैठकें आयोजित करेगा.
संयुक्त मंच के वकील प्रवीर चट्टोपाध्याय ने रविवार को एक ई-मेल में राज्य के वित्त सचिव को बताया था कि उनका निर्देश अवैध है और गलत इरादे से जारी किया गया. शहीद मीनार पर धरने पर बैठे सरकारी कर्मचारी अपने उचित हक की मांग कर रहे हैं. महंगाई भत्ता (डीए) कर्मचारियों के मौलिक अधिकार में आता है.
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कलकत्ता हाईकोर्ट को सूचना देकर कर्मचारी आंदोलन में जुट गये. पत्र में वकील ने कहा है कि ई-मेल प्राप्त होने के तीन घंटे के भीतर यदि दिशा-निर्देश वापस नहीं लिया गया, तो मंच कानूनी कार्रवाई करेगा. बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा कि ममता बनर्जी सरकार की लोकप्रियता घट रही है. वे सरकारी कर्मचारियों को वंचित कर रहे हैं और उन्हें धमका रहे हैं. यह कितने दिन चलेगा?
तृणमूल कर्मचारी संघ के नेता और राज्य के मंत्री मानस भुइयां ने कहा, ‘मैं कानूनी मुद्दों के बारे में बात नहीं कर रहा हूं. लेकिन राज्य सरकार ने जो किया है, उसने कानून का पालन किया है. अगर किसी को उसके खिलाफ कुछ कहना है, तो वह कह सकता है. मैं अनुरोध करता हूं, आंदोलनकारी अपना आंदोलन वापस लें और काम पर लौटें.’
मानस भुइयां ने कहा कि वह सरकारी कर्मचारियों को परेशानी में डालकर कोई काम नहीं करना चाहते, लेकिन सभी को कानून के हिसाब से काम करना होगा. उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार के कर्मचारियों का एक वर्ग राजनीतिक उद्देश्यों के लिए यह आंदोलन कर रहा है.
मानस के शब्दों में, ‘यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि सीपीएम उन्हें पीछे से भड़का रही है. भाजपा और कांग्रेस उनकी मदद कर रही है.’ सीपीएम नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा, ‘हड़ताल को हड़ताल मानते हुए राज्य सरकार ने मामले को समझे बिना दिशा-निर्देश जारी किया है. अगर सरकारी कर्मचारियों को उचित देय डीए से वंचित कर सरकार आंख मूंद ले, तो लोग इसे स्वीकार नहीं करेंगे.’