धनबाद के घड़बड़ की 80 फीसदी आबादी फ्लोराइड से प्रभावित, दामोदर के पानी की बगैर फिल्टर किये हो रही आपूर्ति

jharkhand news: धनबाद जिले की घड़बड़ पंचायत के करीब 80 फीसदी लोग आज भी फ्लोराइड से प्रभावित हैं. इससे जहां बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक बीमार पड़ रहे हैं. वहीं, 40-45 साल की उम्र में ही बूढ़े लगने लगे हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 21, 2021 4:05 PM
an image

Jharkhand news: धनबाद जिला अंतर्गत बलियापुर प्रखंड की घड़बड़ पंचायत. यहां पानी में फ्लोराइड की मात्रा बहुत अधिक है. पंचायत के ब्राह्मण टोला में करीब 80 फीसदी लोग फ्लोराइड से प्रभावित हैं. इसे देखते हुए गांव में पाइपलाइन के जरिये जलापूर्ति की योजना बनी. एक साल से जलापूर्ति भी हो रही है. पर, ग्रामीणों के मुताबिक, दामाेदर नद से सीधे गंदे पानी की आपूर्ति की जा रही है. इसे फिल्टर नहीं किया जा रहा है. नतीजतन, ना तो इस पानी को लोग पी रहे हैं और ना ही खाना बनाने के लिए उपयोग कर रहे हैं.

इधर, बोरिंग की पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने से यहां बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक बीमार पड़ रहे हैं. 40-45 वर्ष की उम्र में ही लोग बूढ़े लगने लगे हैं. बच्चों के भी दांत पीले हो चुके हैं. ग्रामीणों ने फिल्टर किये हुए पानी की मांग की है. बता दें कि जहां से इस गांव में पानी की आपूर्ति की जाती है, वहां फिल्टर प्लांट भी बना हुआ है.

योजनाएं बनती गयीं, बीमारी बढ़ती गयी

धनबाद जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर धनबाद-सिंदरी मुख्य मार्ग के समीप घड़बड़ पंचायत है. इस गांव में खासकर ब्राह्मण टोला के लोगों के लिए शुद्ध पानी नहीं मिलना सबसे बड़ी समस्या है. ग्रामीणों के अनुसार, इस गांव में शुरू से पानी में फ्लोराइड की मात्रा परेशानी का सबब बनी हुई है. यहां पहले लोग तालाब के पानी का ही उपयोग करते थे. बीमारी बढ़ने के बाद यहां पर चापाकल लगाये गये. पर, इसमें भी यही समस्या रही. फिर भी एक चापाकल में फ्लोराइड ट्रीटमेंट प्लांट लगाया गया. कहा गया, इससे पानी की गुणवत्ता ठीक हो जायेगी. लेकिन, यह भी फेल हो गया.

Also Read: Jharkhand News: गंगा के कटाव से दहशत में ग्रामीण, साहिबगंज के शोभापुर गांव में गंगा में समा गयी 100 फीट जमीन
पानी पर जम रही काली परत

ग्रामीणों ने बताया कि पाइपलाइन के जरिये ही रही जलापूर्ति महज खानापूर्ति है. सोमवार को ग्रामीणों ने बाल्टी और अन्य बर्तन में जमा पानी दिखाया. पानी एकदम गंदा था. लोगों ने बताया कि कुछ देर बर्तन में पानी छोड़ देने से काली परत बन जाती है. कीड़ा रहता है. पीना तो दूर, इस पानी से खाना भी नहीं बना सकते. दामोदर नदी से पानी सीधे जलमीनार के जरिये आपूर्ति की जा रही है. कभी फिल्टर नहीं किया जाता.

सक्षम लोग जार का पानी खरीदने को विवश

ग्रामीणों के मुताबिक, खाना बनाने से लेकर पीने के लिए सक्षम लोग तो जार का पानी खरीद लेते हैं, पर गांव की अधिकतर आबादी गरीब है, वह फ्लाेराइड युक्त पानी पीने को मजबूर है. कानंद कहते हैं : 20 रुपये में 20 लीटर पानी जार में मिलता है. जिस घर में परिवार के सदस्य अधिक हैं, वहां रोज एक जार पानी की खपत है. सक्षम लोगों पर भी हर माह 12 सौ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ गया है. सरकार पानी दे भी रही है. हमलोगों को फायदा भी नहीं हो पा रहा है.

फ्लोराइड से क्या होता है नुकसान

अधिक मात्रावाले फ्लोराइड युक्त पानी पीना शरीर के लिए हानिकारक है. दांत का खराब होना शुरुआती लक्षण है. गर्दन, कमर, घुटने की हड्डी टेढ़ी होने लगती है. लोग सीधा नहीं चल पाते हैं. सुबह में बिस्तर से उठने में भी दिक्कत होती है. महिलाओं में बांझपन की समस्या भी हो सकती है. आंख की रोशनी व किडनी पर भी असर पड़ता है. आरओ भी एक सीमा तक ही पानी को पीने योग्य बना सकता है.

Also Read: झारखंड के उत्पाद राजस्व को सुधारने की हो रही तैयारी, नयी नीति छत्तीसगढ़ मॉडल पर होगी आधारित
गंदा पानी सप्लाई करने के मामले में कंपनी से मांगी गयी रिपोर्ट: एग्जिक्यूटिव इंजीनियर

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग, प्रमंडल-2 के एग्जिक्यूटिव इंजीनियर भीखाराम भगत ने कहा कि श्रीराम ईसीपी द्वारा बलियापुर फेज-1 का काम किया जा रहा है. दो जलमीनार से सप्लाई चल रही है. दो का काम लगभग पूरा हो चुका है. वहीं, एक जलमीनार का काम क्रॉसिंग में फंसा हुआ है. जलमीनार से गंदा पानी सप्लाई करने के मामले में कंपनी से रिपोर्ट मांगी गयी है.

रिपोर्ट: संजीव झा, धनबाद.

Exit mobile version