Jharkhand news, Garhwa news : गढ़वा (पीयूष तिवारी) : एक तरह जहां साल 2022 तक केंद्र सरकार की ओर से सभी को आवास उपलब्ध करा देने का लक्ष्य रखा गया है़, वहीं दूसरी ओर सैकड़ों ऐसे लोग हैं, जिन्होंने सरकार से आवास निर्माण की राशि ले ली, लेकिन आवास का निर्माण नहीं किया. जिले में ऐसे 803 आवास लाभुक राशि लेने के बाद ट्रेसलेस हो चुके हैं. काफी प्रयास के बाद भी उनका या उनके उतराधिकारी का पता नहीं मिलने के बाद जिला प्रशासन ने यह मान लिया है कि सरकार की यह राशि बेकार चली गयी और आवास निर्माण पूरा होनेवाला नहीं है़ मजबूरन जिला प्रशासन ने उनके नाम से बने आवास की फाइल को बंद कर दिया है.
इस संबंध में जिला प्रशासन का कहना है कि लाभुक या उनके उतराधिकारी का पता नहीं चलने की वजह से अब उनसे दिये गये आवास की राशि भी वसूल कर पाना संभव नहीं है. ये सभी मामले वित्तीय साल 2011-2012 से लेकर 2015-2016 तक के बीच का है. तब पीएम आवास योजना का नाम इंदिरा आवास योजना था. वर्तमान में पीएम आवास योजना ग्रामीण के तहत आवास निर्माण के लिए 1.30 लाख रुपये लाभुकों को दिये जाते हैं, लेकिन वित्तीय साल 2011-12 में इंदिरा आवास योजना की प्राक्कलन राशि मात्र 45 हजार रुपये तथा साल 2015-16 में यह बढ़ कर 85 हजार रुपये हुई थी. इंदिरा आवास योजना को बंद करने के बाद पीएम आवास योजना के तहत राशि सीधे लाभुकों के खाते में भेजी जाने लगी है.
जिला प्रशासन ने कुल 1770 पुराने अपूर्ण इंदिरा आवास योजना के लाभुकों की सूची बनायी है. उनमें से कई लोगों ने प्रथम किस्त तथा कई लोगों ने दूसरी किस्त की राशि ले ली है. राशि लेने के बाद प्रशासन की ओर से नियमित निगरानी नहीं होने की वजह से लाभुकों ने इस मद में प्राप्त राशि को दूसरे मद में खर्च कर दिया है. इस वजह से उनके पास अब पैसे नहीं है कि वे घर बना सके़ं लंबा समय बीतने की वजह से भवन निर्माण सामग्री छड़, सीमेंट, गिट्टी, बालू, मजदूरी दर आदि के दाम करीब-करीब दोगुना होने की वजह से अब लोगों के लिए यह संभव नहीं है कि वे इंदिरा आवास मद में मिली 45 या 85 हजार रुपये में अपने आवास को पूर्ण कर सके. इसके अलावे कई लाभुकों का निधन हो जाने, उनका पूर्व के स्थान से पलायन कर जाने आदि कारणों से भी कई आवासों को हाउस नेवर कंप्लिटेड की श्रेणी में रखा गया है.
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गढ़वा जिले में वित्तीय साल 2011-12 से लेकर 2015-16 तक 12,180 लोगों को आवास उपलब्ध कराये गये थे. इसमें से 10,410 आवास का निर्माण पूरा कर लिया गया है, जबकि पुराने 1770 आवासों का निर्माण पूरा नहीं हुआ है. इस सूची में से 803 आवास को कभी पूरा नहीं होनेवाली सूची में रख लिया गया है, जबकि 967 आवासों को पूरा कराने के लिए अभी भी प्रयास किये जा रहे हैं. कभी पूरे नहीं होनेवाले आवास में सर्वाधिक भंडरिया प्रखंड में 147 है, जबकि सबसे कम डंडा प्रखंड में मात्र एक है.
इस संबंध में उपविकास आयुक्त (डीडीसी) सत्येंद्रनारायण उपाध्याय ने बताया कि 803 लाभुकों के बारे में पता लगाया गया, तो उनका कोई ट्रेस नहीं मिल पाया. उनके उतराधिकारी के बारे में भी पता नहीं चल सका है. इसलिए इसे क्लोज करते हुए शेष लंबित 967 आवासों को पूर्ण कराने का प्रयास किया जा रहा है.
Posted By : Samir Ranjan.