Coronavirus : नया खौफ! कोरोना से ठीक हो चुके 97 प्रतिशत लोगों को नहीं आ रही नींद, समाज की बेरुखी से डिप्रेशन में

coronavirus outbreak, Depression, Tracker, cases, latest updates in india: कोलकाता : पश्चिम बंगाल में कोविड-19 से ठीक हो चुके कई लोग अकेलेपन और परिजनों, पड़ोसियों की बेरुखी के कारण अवसाद का सामना कर रहे हैं. कोलकाता में एक सरकारी अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर ने इस बारे में बताया है. बेलियाघाटा इलाके में आईडी एंड बीजी अस्पताल में कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीजों के लिए चलाये जा रहे क्लिनिक के प्रभारी संजीव बंद्योपाध्याय ने बताया कि संक्रमण से उबर चुके कुछ मरीजों के आवास को पड़ोसी ‘कोरोना फ्लैट’ या ‘कोरोना घर’ कहते हुए दूसरों को दूर रहने के लिए आगाह करते हैं.

By Prabhat Khabar Digital Desk | June 28, 2020 9:37 PM

coronavirus outbreak, Depression, Tracker, cases, latest updates in india: कोलकाता : पश्चिम बंगाल में कोविड-19 से ठीक हो चुके कई लोग अकेलेपन और परिजनों, पड़ोसियों की बेरुखी के कारण अवसाद का सामना कर रहे हैं. कोलकाता में एक सरकारी अस्पताल के वरिष्ठ डॉक्टर ने इस बारे में बताया है. बेलियाघाटा इलाके में आईडी एंड बीजी अस्पताल में कोविड-19 से ठीक हो चुके मरीजों के लिए चलाये जा रहे क्लिनिक के प्रभारी संजीव बंद्योपाध्याय ने बताया कि संक्रमण से उबर चुके कुछ मरीजों के आवास को पड़ोसी ‘कोरोना फ्लैट’ या ‘कोरोना घर’ कहते हुए दूसरों को दूर रहने के लिए आगाह करते हैं.

डॉ बंद्योपाध्याय ने कहा कि कोलकाता में कुछ लोगों को पड़ोसियों ने घरों में घुसने नहीं दिया, तो ऐसे लोगों को गृह स्थानों पर लौटना पड़ा. ठीक हो चुके लोगों के परिवार वालों ने जांच के लिए खून के नमूने लेने पहुंचे लोगों को भी मना कर दिया. विशेषज्ञों का कहना है कि महामारी के कारण कई-कई दिनों तक घरों में ही रहने से कई लोगों की मानसिक सेहत पर असर पड़ा है.

विशेषज्ञों के मुताबिक, लोग बैचेनी-घबराहट, व्यवहार में परिवर्तन, नींद में बाधा, लाचारी और आर्थिक परेशानियों के कारण अवसाद का सामना कर रहे हैं. असम सरकार के एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि राज्य के मरीज भी कई तरह की मानसिक समस्या का सामना कर रहे हैं. खासकर नौकरी खत्म होने, वित्तीय दबाव और सामाजिक तौर पर लांछन से मनोदशा पर गहरा असर पड़ा है और इसके लिए परामर्श की जरूरत है.

एक सर्वेक्षण के मुताबिक, 97 प्रतिशत लोगों ने कहा कि उनकी नींद उचट गयी है और 12 प्रतिशत ने कहा कि घबराहट, बैचैनी की उन्हें दिक्कत होती है. सर्वेक्षण के अनुसार, सात प्रतिशत लोगों ने कहा कि सामाजिक लांछन से वह दबाव का सामना कर रहे हैं. डॉ बंद्योपाध्याय ने कहा, ‘कोविड-19 से ठीक हो चुके तकरीबन शत-प्रतिशत लोग पड़ोसियों और परिजनों द्वारा अलग-थलग छोड़ दिये जाने के कारण अवसाद का सामना कर रहे हैं.’

संक्रमण से ठीक हो चुके लोगों को परामर्श के लिए आईडी एंड बीजी अस्पताल में करीब एक महीने से क्लिनिक चलाया जा रहा है. डॉ बंद्योपाध्याय ने कहा, ‘ठीक होने वाले करीब 60 प्रतिशत लोगों ने हमसे परामर्श लिया है और सबने एक ही तरह के अनुभव बयां किये हैं कि वे समाज में अलग-थलग पड़ चुके हैं. समाज उन्हें स्वीकार नहीं रहा. इससे उन पर गहरा मनोवैज्ञानिक दबाव पड़ा है.’

Posted By : Mithilesh Jha

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