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Jharkhand News: हजारीबाग के बड़कागांव में Lumpy Virus से एक गाय की मौत, ऐसे करें अपने पशुओं की देखभाल

हजारीबाग के बड़कागांव क्षेत्र में कई पशु लम्पी वायरस की चपेट में आ गये हैं. इस दौरान एक गाय की मौत भी हो गयी है. वहीं, कई पशुओं का इलाज हो रहा है. हालांकि, गांव में समय पर इलाज नहीं होने के कारण पशुओं में बीमारी बढ़ने लगी है. पशु चिकित्सक पशुपालकों से पशुओं की नियमित साफ-सफाई पर जोर दे रहे हैं.

Jharkhand News: हजारीबाग के बड़कागांव में कई पशु लम्पी वायरस (Lumpy Virus) की चपेट में आने लगे हैं. इसी कड़ी में पश्चिमी पंचायत अंतर्गत केरीगढ़ा गांव के गौपालक ईश्वरी प्रसाद की एक गाय की मौत हो गयी. गाय की मौत होने के साथ ही क्षेत्र में दूध व्यवसाय पर असर पड़ने लगा है. लोग दूध की चाय की जगह नींबू चाय और काड़ा पीना शुरू कर दिये हैं.

लम्पी वायरस की चपेट में आये चार पशु

मालूम हो कि केरीगड़ा गांव निवासी गौपालक ईश्वरी प्रसाद के चार जानवर लम्पी वायरस की चपेट में आ गये. इसमें एक गाय की मौत हो गई. पशुपालक ईश्वरी प्रसाद ने कहा कि आठ से 10 हजार रुपये खर्च करने के बाद भी गाय को नहीं बचा पाया. वहीं, दो जानवर का इलाज किया जा रहा है, जबकि एक जानवर की हालत काफी गंभीर हो गई है.

सरकारी पशु चिकित्सक नहीं आते इलाज करने

केरीगढ़ा निवासी विकास कुमार ने बताया कि बड़कागांव एवं केरेडारी प्रखंड में एक ही पशु चिकित्सक है. जिस कारण गांव में इलाज करने सरकारी चिकित्सक नहीं आते हैं. मजबूरन प्राइवेट चिकित्सकों से इलाज कराना पड़ रहा है. इधर,  रंजन कुमार उर्फ गुड्डू का कहना है कि जिस गाय को कोई बीमारी नहीं है उसका दूध लोग ले सकते हैं. इससे कोई खतरा नहीं है.

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इन गांवों में फैली है वायरस

लम्पी वायरस बड़कागांव प्रखंड के टिकरी टाड़, परेवातरी, गोंदलपूरा, कोइलंग, निमिया टोला, केरीगड़ा के अलावा कई गांव में यह वायरस फैला हुआ है. इसको लेकर पशुपालकों में चिंता बनी हुई है. वहीं, आंगों पंचायत के आंगो उरेज कॉलोनी, देवगढ़, उरेज कॉलोनी निवासी श्याम कुमार रंजन सहित कई लोगों के जानवर भी इस बीमारी से मर गये हैं.

अपने पशुओं की ऐसे करें देखभाल

इस संबंध में बड़कागांव पशु चिकित्सा डॉ लाइसरम गौसाई सिंह ने दूरभाष पर बताया कि वायरस से बचाव और उपचार दो प्रकार से किया जा सकता है. पशुओं की नियमित अच्छी तरह से साफ-सफाई करें और संक्रमित पशु के संपर्क में आने से रोके. बीमारी से बचाने के लिए नियमित रूप से नीम के पत्तों को पानी में उबालकर उसे ठंडा कर पशुओं को नहलाये.  कहा कि लम्पी वायरस के संक्रमण का प्रभाव सात से आठ दिनों तक ही रहता है. इस बीच पशु को सेेकेंडरी बीमारी का खतरा रहता है. इस दौरान सर्दी, बुखार, भूख न लगना आदि के लिए दवाई दिया जाता है. कहा कि अभी जितने भी मामले आये हैं ज्यादातर में पशु ठीक हो चुके हैं.

रिपोर्ट : संजय सागर, बड़कागांव, हजारीबाग.

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