तिथियों का खास संयोग : विश्वकर्मा पूजा, महालया व पितृ तर्पण आज, पुरुषोत्तम मास की भी शुरुआत
तिथियों का खास संयोग आया है. आज भगवान विश्वकर्मा पूजा, महालया और पितृ तर्पण (पितृ पक्ष का समापन) एक साथ मनाया जायोगा. वहीं पुरुषोत्तम मास (मलमास या अधिकमास) की शुरुआत होगी.
रांची : तिथियों का खास संयोग आया है. आज भगवान विश्वकर्मा पूजा, महालया और पितृ तर्पण (पितृ पक्ष का समापन) एक साथ मनाया जायोगा. वहीं पुरुषोत्तम मास (मलमास या अधिकमास) की शुरुआत होगी. साथ ही दुर्गाेत्सव भी अजीब संयोग लेकर आया है़ आम तौर पर महालया के बाद से शारदीय नवरात्र शुरू हो जाती है, लेकिन इस साल महालया के पूरे एक महीने बाद 17 अक्तूबर से दुर्गा पूजा की शुरुआत होगी. यह संयोग मलमास के कारण आया है़ वहीं बंग भाषी 35 दिनों बाद दुर्गा पूजा सेलिब्रेट करेंगे़ बांग्ला समुदाय की दुर्गा पूजा बेलवरण के दिन से शुरू होती है़ इस बार 22 अक्तूबर को बेलवरण है. 23 को महा सप्तमी है. इस दिन नव पत्रिका प्रवेश के साथ मां की आराधना शुरू हो जायेगी. विजयादशमी 26 अक्तूबर मनायी जायेगी़
आज बंग समुदाय करेगा मां की आराधना : आज सुबह बंग समुदाय घरों और मंडपों की सफाई करेगा. मां की आराधना होगी. रेडियो और मोबाइल आदि के माध्यम से महिषासुर मर्दिनी का मंचन देखेंगे. फिर नदी घाटों पर पितृ तर्पण करेंगे. बांग्ला की विशुद्ध सिद्धनाथ पंजिका के अनुसार शाम 4:29 तक और बेनीमाधव शील पंजिका के अनुसार शाम 5:04 तक अमावस्या है. इसके बाद से पुरुषोत्तम मास का प्रतिपदा शुरू हो जायेगा, जिसका समापन 16 अक्तूबर को होगा. 17 अक्तूबर से शुद्ध मास के शुक्ल पक्ष का प्रतिपदा शुरू हो जायेगा. एचइसी निवासी सुकृत भट्टाचार्य ने कहा कि आज महिषासुर मर्दिनी का मंचन देखेंगे़ नदी घाटों पर पितृ तर्पण करेंगे. हर बार आज के दिन से पूजा की तैयारी में लग जाते थे़ इस बार ऐसा नहीं हो रहा है.
हर तीन साल के बाद आता है पुरुषोत्तम मास : सूर्य और चंद्र वर्ष में सामंजस्य बैठाने के लिए हर तीन वर्ष बाद एक मास की बढ़ोतरी हो जाती है, जिसे पुरुषोत्तम मास कहा जाता है. इस मास में सभी शुभ कार्य वर्जित रहते हैं, लेकिन भगवान की पूजा-अर्चना और जप-तप का विशेष महत्व है. इस महीने में भागवत पाठ करने और इसके सुनने का भी विशेष महत्व है. यह महीना भगवान विष्णु को समर्पित होता है. स्नान ध्यान और दान पुण्य करने का विशेष महत्व है.
महिषासुर मर्दिनी और आगोमनी कार्यक्रम आज : बांग्ला सांस्कृतिक कर्मी रांची की ओर से सुबह छह बजे ऑनलाइन आगोमनी कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा. इसे संस्था के फेसबुक पेज पर देखा जा सकता है. कोलकाता के कलाकार कमाल मुखर्जी, रविंद्र भारती विश्वविद्यालय के पार्थ मुखोपाध्याय, कोलकाता के लोक गायक जयंत चक्रवर्ती, प्याली भट्टाचार्य, अंजना चट्टोपाध्याय, लिली मुखर्जी, तापसी चक्रवर्ती, अपराजिता भट्टाचार्य, प्रियंका उपस्थित होंगी.
संगीत आयन करेगी महिषासुरमर्दिनी का मंचन : संगीत आयन संस्था सुबह छह बजे महिषासुर मर्दिनी का ऑनलाइन मंचन करेंगी. इसका निर्देशन सुदेशना चौधरी और शिवांशु दासगुप्ता ने किया. इसमें रांची के स्थानीय कलाकार हिस्सा लेंगे. देख-रेख शिवांशु दासगुप्ता कर रहे हैं. कार्यक्रम में सुदेशना चौधरी, शिवांशु दासगुप्ता, वेदत्रयी सरकार, डॉ पंपा सेन विश्वास, शंकर मुखर्जी, अशोक विश्वास, मानस मुखर्जी, कृष्णा सेनगुप्ता, कोयली सरकार, मानस और मौसमी मुखर्जी शामिल होंगे़
मजलिस का आराध्य संगीत कार्यक्रम : आज मजलिस के ऑफिस फेसबुक पेज पर आगाेमनी और आराध्य संगीत का आयोजन होगा़ कार्यक्रम रात आठ बजे से नौ बजे तक ऑनलाइन होगा़ इसमें लिली मुखर्जी, अमृता चटर्जी, सुमोना कुंडू, अपरूपा चौधरी, अंदिता बासु, साइनी दत्ता आगोमनी और आराध्य संगीत की प्रस्तुति देंगे.
भगवान विश्वकर्मा का दर्शन दूर से करेंगे भक्त : शिल्पकार भगवान विश्वकर्मा की पूजा गुरुवार को है. इस बार कोरोनावायरस के कारण सादगी से पूजा-अर्चना की जा रही है. छोटे-छोटे पंडाल बनाये गये हैं. प्रतिमा का स्वरूप भी छोटा है़ पूजा संपन्न होने के बाद प्रतिमा स्थल को घेर दिया जायेगा़ भक्त दूर से ही भगवान का दर्शन कर सकेंगे. पूजा समितियां इस बार सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं कर ही हैं. प्रीतिभोज और भोग का वितरण भी नहीं होगा.
सुबह 10:19 के बाद पूजा का मुहूर्त : आज सुबह 10:19 बजे के बाद सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करेंगे. इसके बाद भगवान की पूजा शुरू हो जायेगी. शाम 4:55 बजे तक अमावस्या है, जिसके बाद से पुरुषोत्तम मास शुरू हो जायेगा. इसके बाद सभी शुभ कार्य बंद हो जायेंगे.
बाजारों में दिखी चहल-पहल : इधर विश्वकर्मा पूजा को लेकर बाजारों में चहल-पहल दिखी. पूजा सामग्री, सजावट सामग्री, फल-फूल की दुकानों पर श्रद्धालुओं की भीड़ दिखी. गाड़ियों के सर्विसिंग सेंटर और शो रूम में भी लोग दिखे. नये वाहनों की बुकिंग करायी.
श्राद्ध की अमावस्या आज : आज श्राद्ध की अमावस्या है. इसी दिन पितृपक्ष का समापन हो जायेगा. इस दिन विभिन्न नदी घाटों पर जाकर लोग तर्पण करेंगे और पितरों से आशीर्वाद लेंगे. इस बार कोरोना के कारण अधिकतर लोग घरों में ही तर्पण करेंगे. इस दिन ऐसे भी जातक जिन्हें तिथि मालूम नहीं है, वे इस दिन तर्पण करेंगे.
Post by : Pritish Sahay